Saturday, 27 April 2024

 तुम्हारी सम्पदा है निष्ठा

यदि तुम सोचने हो कि ईश्वर में तुम्हारी निष्ठा ईश्वर का कुछ हित कर रही है, तो यह भूल है। ईश्वर या गुरु में तुम्हारी निष्ठा ईश्वर या गुरु का कुछ नहीं करती। निष्ठा तुम्हारी सम्पदा है। निष्ठा तुम्हें बल देती है। तुममें स्थिरता, केंद्रीयता, प्रशांति और प्रेम लाती है।...

Published on 08/07/2023 6:00 AM

इस तरह करें आध्यात्मिक सोच का विस्तार 

आध्यात्मिक गुरुओं का मानना है कि अपने मस्तिष्क में बेकार की सूचना संग्रहीत न करें, अनुपयोगी को निकाल फेंकें, तभी आपका मन उच्च विचार ग्रहण करने में समर्थ होगा।’ अवांछित, अशोभनीय वस्तुओं या विचारों को सहेजे रखने से नैराश्य पनपता है और हमारा शारीरिक तथा आध्यात्मिक बल क्षीण होता है।उन्नयन...

Published on 06/07/2023 6:00 AM

शिष्य बना प्रशंसा का पात्र 

गंगा किनारे गुरु अभेंद्र का आश्रम था। एक बार देश में भीषण अकाल पड़ा। गुरु अभेंद्र ने संकटग्रस्तों की मदद के उद्देश्य से अपने तीन शिष्यों को बुलाकर कहा - ऐसे संकट के समय में हमें अकाल पीड़ितों की सेवा करनी चाहिए। तुम लोग अलग-अलग क्षेत्रों में जाकर भूखों को...

Published on 05/07/2023 6:00 AM

सफलता चाहिए तो पहले ये सीखें 

किसी भी काम में लगन का अपना महत्व होता है, सफलता आपकी एकाग्रता पर ही निर्भर करती है। आप संसार को पाने की दौड़ में हो या परमात्मा को, जब तक हम ध्यान लगाकर काम नहीं करेंगे कभी ठीक परिणाम नहीं मिलेगा। इसके लिए जरूरी है कि आप पहले अपने...

Published on 04/07/2023 6:00 AM

कोई भी परिस्थिति हो, ये काम कभी बंद ना करें

अपने विचारों का मूल्यांकन करना कभी भी बंद न करें, क्योंकि विचारों का प्रवाह अनवरत और कभी-कभी अत्यधिक भी हो जाता है। हर नया विचार पुराने को चुनौती देता है। यहीं से भ्रम भी पैदा होता है और कभी-कभी अधिक विचार आने से निर्णय भी गलत हो जाते हैं। रावण...

Published on 03/07/2023 6:00 AM

हर जीव में व्याप्त नारायण

वैदिक साहित्य से हम जानते हैं कि परम-पुरुष नारायण प्रत्येक जीव के बाहर तथा भीतर निवास करने वाले है। वे भौतिक तथा आध्यात्मिक दोनों जगतों में विद्यमान हैं। यद्यपि वे बहुत दूर हैं, फिर भी हमारे निकट हैं-आसीनो दूरं व्रजति शयानो याति सर्वतरू हम भौतिक इन्द्रियों से न तो उन्हें...

Published on 02/07/2023 6:00 AM

उसका अभिमान नाश कर के छोड़ता है 

जब व्यक्तिि अपार धन-दौलत और आलीशान भवनों का मालिक हो जाता है तो वह स्वयं को औरों से अलग महसूस करने लगता है। ऊंचेपन की भावना के कारण वह किसी को कुछ नहीं समझता। यही भाव अभिमान है जो उसके रोम-रोम से दिखाई देता है। इस स्थिति में शेष लोग...

Published on 01/07/2023 6:00 AM

शांति इंसान के अंदर है 

प़ानी में मिला हुआ नमक दिखाई नहीं देता। इसका यह मतलब नहीं कि वह गायब हो गया। हालांकि आंख से नहीं देख सकते, पर जबान से उसे चख तो सकते हैं। मनुष्य के साथ ही कुछ ऐसा ही होता है। हम शांति को आंखों से नहीं देख सकते, परंतु हृदय...

Published on 30/06/2023 6:15 AM

जीवन में दर्द अस्थायी होता है

एक राजा ने अपने सभी सलाहकारों को बुलाया और कहा, मैं चाहता हूं कि मैं अंदर से स्थिर बना रहूं। जीवन के उतार-चढ़ाव मेरा संतुलन बिगाड़ देते हैं। तुम कोई ऐसी चीज बताओ जिससे दुख की अवस्था से गुजरते हुए मैं खुशी पा सपूं और जब मैं आनंद की अवस्था...

Published on 29/06/2023 6:15 AM

बदला हुआ आदमी

स्कॉटलैंड के एक राजा को शत्रुओं ने पराजित कर दिया। उसे धन-जन की बड़ी हानि हुई और संगी-साथी भी छूट गए। अब बस उसका जीवन बचा था, पर शत्रु उसकी टोह में थे। प्राण बचाने के लिए वह भागा-भागा फिर रहा था। स्थिति यह थी कि राजा अब मरा कि...

Published on 26/06/2023 6:00 AM