नवीन युवा नीति - 2008

युवा नीति का उद्देश्य प्रदेश के वातावरण (माहौल) में एक ऐसी ऊर्जा का संचार करना है, जिससे प्रदेश के युवाओं की सोच में सकारात्मकता आए, उनकी ऊर्जा का राज्य के विकास में उपयोग हो, उन्हें अपने समग्र विकास (व्यक्तित्व, शैक्षणिक एवं आर्थिक) का अवसर मिले एवं वह देश का एक आदर्श नागरिक बन सके।

उद्देश्य एवं लक्ष्य :

  • प्रदेश में ऐसे वातावरण का निर्माण करना, जिसमें प्रत्येक युवा अपनी योग्यता को निखारते हुए आवश्यक कौशल अर्जित कर सके तथा आर्थिक रूप से सशक्त हो सके।

  • युवाओं के व्यक्तित्व एवं नेतृत्व गुणों का विकास करना, जिससे कि युवा राष्ट्र/समाज/प्रदेश के विकास में सकारात्मक भूमिका का निर्वहन करने में सक्षम हो सके।

  • युवाओं की सृजनात्मक ऊर्जा को अभिप्रेरित करना तथा उनमें साहसिक निर्णय लेने, खेलकूद एवं अन्य गतिविधियों में स्वस्थ प्रतिस्पर्धात्मकता की क्षमता का विकास।

  • युवतियों को उनकी क्षमता का विकास करने एवं उन्हें उनकी क्षमता के अनुसार बेहतर अवसर उपलब्ध कराना।

  • अजा, अजजा, अन्य पिछड़ा वर्ग, नि:शक्तजन एवं आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के युवाओं के आर्थिक, सामाजिक सशक्तीकरण के लिये विशेष प्रयास।

कार्यक्षेत्र

स्कूल शिक्षा :

  • स्कूल शिक्षा की नीति बनाई जाएगी। सर्वशिक्षा अभियान में प्राप्त सफलता को माध्यमिक स्तर (9-12) की शिक्षा व्यवस्था तक विस्तारित किया जाएगा।

  • माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक शिक्षा के दौरान ही जीवन कौशल के विकास पर जोर देकर शिक्षा को उपयोगी बनाया जाएगा।

  • पाठ्यक्रमों का निर्माण इस प्रकार से किया जाएगा कि उच्चतर माध्यमिक शिक्षा के पश्चात विद्यार्थी की रोजगार एवं स्व-रोजगार हेतु क्षमता में वृद्धि हो सके।

  • पाठ्यक्रमों की रचना इस प्रकार की जाएगी कि विभिन्न कौशल यथा बढ़ई, प्लम्बर, लुहारी, डी.टी.पी. प्रबंधन आदि तथा विभिन्न खेलकूद यथा क्रिकेट, योग, मलखम्ब, खो-खो, कबड्डी, हॉकी आदि में छात्र अपनी अभिरुचि के अनुसार किसी एक विषय में निपूर्ण हो सके।

  • परीक्षा प्रणाली एवं पाठ्यक्रम लचीले एवं मानक होंगे। जीवन उपयोगी कौशल एवं ज्ञान में दक्षता की केडिट रेटिंग कर, अकादमिक पाठ्यक्रम को कम किया जा सकेगा।

  • कौशल वृद्धि में स्थानीय सफल व्यवसायियों/कारीगरों से सेवाएं ली जायेंगी। 10-12 के अकादमिक प्रमाण-पत्र के साथ आवश्यकतानुसार कौशल निपूर्णता के प्रमाणीकरण की व्यवस्था की जाएगी।

  • उच्च गुणवत्ता वाले राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्कूल समूहों को प्रदेश में स्कूल खोलने के लिये प्रोत्साहित किया जाएगा।

  • प्रतिभावान बच्चों को उत्कृष्ट राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्कूलों में प्रवेश को बढ़ावा देने के लिए सहायता दी जाएगी।

उच्च शिक्षा :

  • उच्च शिक्षा को रोजगारोन्मुखी बनाया जाएगा।

  • सभी वर्तमान पाठ्यक्रमों का पुर्नमूल्यांकन किया जाएगा। नियमित रूप से बदलती जीवनोन्मुखी एवं रोजगार आवश्यकताओं के अनुसार पाठ्यक्रमों में नियमित रूप से परिवर्तन की व्यवस्था की जाएगी।

  • प्रदेश में उच्च शिक्षा में उच्च गुणवत्ता वाली राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय शिक्षण संस्थाओं की स्थापना को प्रोत्साहित किया जाएगा।

  • उच्च शिक्षा में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देना। शोध एवं उद्योग संस्थानों का शिक्षण संस्थानों के साथ समन्वय स्थापित करना।

  • शिक्षण संस्थाओं को स्वावलम्बी बनाने हेतु उन्हें सरकार और निजी क्षेत्र के लिए जॉब वर्क करने के लिए प्रेरित किया जायेगा।

व्यावसायिक शिक्षा :

  • व्यावसायिक/प्रबंधकीय/तकनीकी के क्षेत्र में राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय समूहों के संस्थानों को प्रदेश में प्रारंभ करने के लिए प्रोत्साहन दिया जायेगा।

  • संस्थाओं, उद्योग एवं हितबद्ध समूहों के मध्य संवाद की व्यवहारिक अवस्था प्रतिपादित की जाएगी, जिसके तहत प्रदेश में व्यावसायिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में नियमित रूप से लगातार परिवर्तन होंगे, ताकि युवकों की रोजगार क्षमता में वृद्धि हो।

  • व्यावसायिक शिक्षा के नियमित प्रमाण पत्र/उपाधियों के साथ संस्थाओं को अन्य आवश्यक ऐसे कौशल का प्रशिक्षण विद्यार्थियों को देने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा, जिनके कारण शिक्षार्थी की रोजगार योग्यता (Employability)में वृद्धि हो।

  • प्रतिभावान विद्यार्थी धन के अभाव में शिक्षा से वंचित न रहे, इसके लिये शैक्षणिक ऋण प्राप्त करने हेतु राज्य शासन की ओर से चयनित संस्थाओं में प्रवेश लेने वाले छात्रों को ऋण के लिए शासन की ओर से गारंटी दी जायेगी।

रोजगार प्रशिक्षण एवं उद्यमिता :

  • रोजगार के लिये प्रदेश के युवाओं को सक्षम बनाना एवं अवसर उपलब्ध कराना इस नीति का प्रमुख लक्ष्य है। लक्ष्य की पूर्ति के लिये रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण नीति 2007 को प्रभावी ढंग से लागू किया जाएगा।

  • रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण को बढ़ावा देने के लिये गुणवत्तापूर्ण संस्थानों की स्थापना के लिये अनुकूल वातावरण तैयार किया जायेगा तथा प्रशिक्षण में निजी एवं व्यावसायिक संस्थानों की भागीदारी सुनिश्चित की जायेगी।

  • स्वरोजगार स्थापित करने वाले युवाओं को प्रदेश सरकार द्वारा लागू स्वरोजगार समूह संवर्द्धन नीति-2007 के तहत समस्त सुविधाएं एवं सहयोग दिया जायेगा।

  • सरकार द्वारा संचालित विभिन्न रोजगारोन्मुखी योजनाओं को समन्वित रूप से लागू किया जायेगा।

  • राज्य सरकार द्वारा प्रतिवर्ष एक लाख युवकों को रोजगार में स्थापित करने का लक्ष्य रखा जायेगा।

  • प्रदेश के कृषि, वन एवं कच्चे उत्पादों को प्रसंस्करण के पश्चात निर्यात को बढ़ावा दिया जायेगा, साथ ही लोक वानिकी को बढ़ावा दिया जायेगा एवं लघु उद्योगों के उत्पादों को कौशल एवं गुणवत्ता में वृद्धि कर अंतर्राष्ट्रीय स्तर का बनाया जायेगा।

  • सूचना प्रौद्योगिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए शिक्षण और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रोत्साहित किया जायेगा।

  • जिला रोजगार केन्द्रों के द्वारा न केवल शासकीय एवं निजी क्षेत्र के प्रतिष्ठानों में रोजगार के अवसर की जानकारी उपलब्ध कराई जायेगी, वरन प्लेसमेंट एवं पोस्ट प्लेसमेंट सर्विसेज भी प्रदान की जायेंगी।

स्वास्थ्य :

  • युवाओं की शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य की आवश्यकताओं का समग्र आंकलन कर उन्हें समग्र स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया जायेगा।

  • प्रदेश के युवाओं के स्वास्थ्य, वनज और उनके आहार के मध्य संबंधों का अध्ययन करते हुए प्रत्येक युवा को नियमित पोष्टिक आहार मिलना सुनिश्चित किया जायेगा।

  • युवाओं को विशेषकर युवतियों को शारीरिक साफ-सफाई के महत्व से अवगत कराया जायेगा और उनमें शारीरिक स्वच्छता की प्रवृत्तियां स्कूल के दिनों से ही विकसित की जायेंगी। इसके लिये आवश्यकतानुसार जनजागरण अभियान भी चलाया जायेगा।

  • युवा अवस्था में शारीरिक बनावट और मानसिक परिवर्तनों की जानकारी औपचारिक और अनौपचारिक शिक्षा के सभी वर्गों के पाठ्यक्रमों में शामिल की जायेगी। स्कूल से बाहर युवकों को भी इस संबंध में अलग से जन-जागरण अभियान चलाकर शिक्षित किया जायेगा। बदलते आर्थिक और सामाजिक परिवेश में उत्पन्न हो रही जटिल प्रतियोगिताओं के कारण युवकों में बढ़ रहे अवसाद को रोकने के लिये समुचित काउंसिलिंग की व्यवस्था की जायेगी।

  • किशोरावस्था में हो रहे परिवर्तनों के कारण दबाव एवं उत्तरदायित्व के संबंध में किशोरों की ऊर्जा का सृजनात्मक क्षेत्र में उपयोग करने के लिये आवश्यक प्रशिक्षण, शिक्षण एवं काउंसिलिंग की व्यवस्था की जायेगी।

  • युवाओं में नशा, यौन रोगों, एचआईवी एड्स के फैलाव को रोकने के लिये आवश्यक शिक्षण/काउंसिलिंग और मार्गदर्शन की व्यवस्था की जायेगी। आवश्यकतानुसार किशोर मार्गदर्शन (Adolescent Clinic)बड़े अस्पतालों में खोले जायेंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में भी सम्यक व्यवस्था की जायेगी।

  • यह एक सर्वमान्य तथ्य है कि जनसंख्या वृद्धि एक राष्ट्रीय समस्या है। जनसंख्या में वृद्धि को रोकने के लिये युवाओं को उनकी भूमिका से परिचित कराया जायेगा और उन्हें परिवार नियोजन के संबंध में आवश्यक जानकारी शिशु और मातृ स्वास्थ्य संबंधी शासकीय कार्यक्रमों आदि से अवगत कराया जायेगा। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये स्वयंसेवी संगठनों, यूथ क्लब, युवा समूह जैसे संगठनों को बढ़ावा देकर प्रचार-प्रसार किया जायेगा और काउंसिलिंग सेवा उपलब्ध कराई जायेगी।

  • राज्य की पर्यावरण नीति के अनुरूप पर्यावरण को हो रहे नुकसान और उसे रोकने के संबंध में युवकों को प्रशिक्षित किया जायेगा तथा पर्यावरण संरक्षण में युवाओं को अहम भूमिका प्रदान की जायेगी।

  • एनजीओ एवं समूह गठित कर इस संबंध में स्थानीय स्तर पर नीति अनुसार युवाओं को प्रेरित किया जायेगा।

  • स्कूलों के पाठ्यक्रम एवं विभिन्न पाठ्यक्रमों में पर्यावरण एवं जनसंख्या सुधार के संबंध में आवश्यक एवं उपयुक्त पाठ शामिल किये जायेंगे।

खेलों को प्रोत्साहन :

  • युवकों के हित में खेल नीति, 2005 का प्रभावी कार्यान्वयन किया जायेगा।

  • युवाओं के लिये खेल प्रशिक्षण एवं खेल अधोसंरचना का विस्तार किया जायेगा।

  • विभिन्न विभागों की योजनाओं में समन्वय स्थापित कर अधोसंरचना के लिये आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराये जायेंगे। इसके लिये निजी निवेश को बढ़ावा दिया जायेगा।

  • बदलते परिवेश में राज्य शासन खेल को न केवल स्वस्थ मनोरंजन व शारीरिक विकास की दृष्टि से महत्वपूर्ण मानता है, बल्कि इसमें रोजगार की संभावनाएं भी देखता है। प्रदेश के प्रतिभावान खिलाड़ियों को शासकीय नौकरियों में उनकी योग्यता एवं उपलब्धता के अनुरूप रोजगार की व्यवस्था की जायेगी।

  • खेल और युवा कल्याण विभाग द्वारा चलाये जा रहे शत-प्रतिशत रोजगारोन्मुखी व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को संभाग स्तरीय जिलों में विस्तारित किया जायेगा।

योग:

  • स्वस्थ शारीरिक और स्वस्थ मस्तिष्क की अवधारणाओं को मूर्त रूप देने के लिये प्रदेश की योग नीति के अनुरूप युवा वर्ग को शिक्षा के लिये प्रेरित किया जायेगा। स्कूलों, कॉलेजों एवं विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों के साथ योग की शिक्षा भी शामिल की जायेगी।

नेतृत्व विकास :

  • आकस्मिक स्थितियों, जोखिम एवं आपदाओं से निपटने, प्रदेश के विकास में अपनी भूमिका निभाने के लिये युवकों में नेतृत्व विकास हेतु विभिन्न जीवनशैलियों को पल्लवित किया जायेगा। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये जहां एक और शिक्षण पाठ्यक्रम में आवश्यक परिवर्तन किया जायेगा, वहीं स्वयंसेवी संगठनों एवं स्थानीय निकायों की सहायता से विभिन्न सम-सामयिक विषयों पर कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे।

  • युवकों में जन-जागरण और नेतृत्व का विकास करने के लिये युवा समूह, युवा क्लब यथा हेल्थ क्लब, सांस्कृतिक क्लब, खेलकूद क्लब जैसे समूहों को प्रोत्साहित किया जायेगा और उन्हें सहायता प्रदान की जायेगी।

सामाजिक एवं सांस्कृतिक परम्पराओं का रेखांकन :

  • प्रदेश के विभिन्न अंचलों और समुदायों की प्रचलित संस्कृति, नीति, रिवाज और ज्ञान को पल्लवित करने के लिये शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में उनका समावेश किया जायेगा।

  • ग्राम स्तर से लेकर राज्य स्तर तक तथा बड़े नगरों में मोहल्लों से लेकर नगर स्तर पर वार्षिक आधार पर गायन, नाटक, नृत्य, वाद-विवाद, भाषण प्रतियोगिताएं आयोजित की जायेंगी। साथ ही इन गतिविधियों से मीडिया एवं पर्यटन को जोड़ने का प्रयास किया जायेगा।

रणनीति:

  • युवाओं से संबंधित कार्यक्रमों के लिये एक राज्य स्तरीय एजेंसी गठित की जायेगी। युवाओं से सरोकार रखने वाली विभिन्न जानकारियां यथा उपलब्ध शैक्षणिक पाठ्यक्रम, रोजगार के अवसर, विभिन्न प्रकार के आयोजन आदि की जानकारी, सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए प्रदेश में स्थापित होने वाली सूचना गुमटियों के माध्यम से युवकों तक पहुंचाई जायेगी।

  • युवा नीति को लागू करने के लिये निजी क्षेत्र, स्वयंसेवी संगठनों एवं जन-भागीदारी की प्रक्रिया को प्रोत्साहित किया जायेगा।

  • युवा नीति के प्रावधानों को लागू करने वाले अच्छे निकायों और संस्थाओं को पुरस्कृत किया जायेगा। स्थानीय निकायों को जन-भागीदारी के आधार पर युवा नीति लागू करने के लिये अनुदान दिया जायेगा।

  • युवा नीति लागू करने के लिये राज्य स्तर पर एक कोष का निर्माण किया जायेगा। युवा नीति लागू करते समय ग्रामीण, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, स्कूलों के बाहर छात्र, किशोर अवस्था के छात्र विशेषकर नि:शक्त कन्याओं एवं युवकों, नशा प्रभावित अनाथों, बेघर एवं विभिन्न दुर्घटनाओं के शिकार युवाओं को प्राथमिकता दी जायेगी।

कार्यान्वयन एवं अनुश्रवण तंत्र :

  • प्रदेश के प्रत्येक विभाग और निकायों में विशेषकर सामाजिक क्षेत्र के विभाग में युवाओं के लिये विशिष्ट रूप से बजट चिन्हित किया जायेगा।
  • युवा नीति को लागू करने के लिये नीतिगत निर्णय हेतु मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में समिति गठित की जायेगी, जिसमें संबंधित विभागों के मंत्री, वरिष्ठ अधिकारी एवं युवा प्रतिनिधि सदस्य होंगे।

  • युवा नीति लागू करने के लिये मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक सशक्त समिति का गठन किया जायेगा, जो नियमित रूप से युवा नीति के विभिन्न प्रावधानों को लागू करने के लिये समीक्षा कर उन्हें कार्यान्वित करायेगी।

  • महत्वपूर्ण विभागों में युवा प्रकोष्ठ का गठन किया जायेगा, जो युवा नीति को लागू करने एवं संबंधित मामलों के कार्यान्वयन के लिये नियमित रूप से अनुश्रवण करेगा।

  • मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गठित समिति दो-दो वर्ष के अंतराल में युवा नीति की समीक्षा कर उसमें आवश्यकतानुसार परिवर्तन भी सुझायेगी एवं उपलब्धियों का आंकलन करेगी।