Friday, 19 April 2024

 विचारों की तरंगें

राजा की सवारी निकल रही थी। सर्वत्र जय-जयकार हो रही थी। सवारी बाजार के मध्य से गुजर रही थी। राजा की दृष्टि एक व्यापारी पर पड़ी। वह चन्दन का व्यापार करता था। राजा ने व्यापारी को देखा। मन में घृणा और ग्लानि उभर आई। उसने मन ही मन सोचा, यह...

Published on 07/04/2023 6:45 AM

अज्ञान का आवरण

गुरू के पास डंडा था। उस डंडे में विशेषता थी कि उसे जिधर घुमाओ, उधर उस व्यक्ति की सारी खामियां दिखने लग जाएं। गुरू ने शिष्य को डंडा दे दिया। कोई भी आता, शिष्य डंडा उधर कर देता। सब कुरूप-ही-कुरूप सामने दीखते। अब भीतर में कौन कुरूप नहीं है? हर...

Published on 06/04/2023 6:15 AM

अपूर्णता से पूर्णता की ओर 

मनुष्य का बाह्य जीवन वस्तुत: उसके आंतरिक स्वरूप का प्रतिबिम्ब मात्र होता है। जैसे ड्राइवर मोटर की दिशा में मनचाहा बदलाव कर सकता है। उसी प्रकार, जीवन के बाहरी ढर्रे में भारी और आश्चर्यकारी परिवर्तन हो सकता है। वाल्मीकि और अंगुलिमाल जैसे भयंकर डाकू क्षण भर में परिवर्तित होकर इतिहास...

Published on 05/04/2023 6:30 AM

 इच्छा का लक्ष्य है खुशी 

बुरी आदत को छोड़ने की असमर्थता तुम्हें तकलीफ देती है। जब तुम बहुत पीड़ित होते हो, वह व्यथा तुम्हें उस आदत से छुटकारा दिलाती है। जब तुम अपनी कमियों से व्यथा महसूस करते हो, तब तुम साधक हो। पीड़ा तुम्हें आसक्ति से दूर करती है। यदि अपने दुर्गुणों को हटा...

Published on 13/03/2023 6:00 AM

जीव परमेश्वर की परा शक्ति 

जीव परमेश्वर की परा प्रकृति (शक्ति) है। अपरा शक्ति तो पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश, मन, बुद्धि तथा अहंकार जैसे विभिन्न तत्वों के रूप में प्रकट होती है। भौतिक प्रकृति के ये दोनों रूप-स्थूल (पृथ्वी आदि) तथा सूक्ष्म (मन आदि) अपरा शक्ति के ही प्रतिफल हैं। जीव जो अपने विभिन्न...

Published on 12/03/2023 6:15 AM

शिष्य बना प्रशंसा का पात्र

गंगा किनारे गुरु अभेंद्र का आश्रम था। एक बार देश में भीषण अकाल पड़ा। गुरु अभेंद्र ने संकटग्रस्तों की मदद के उद्देश्य से अपने तीन शिष्यों को बुलाकर कहा - ऐसे संकट के समय में हमें अकाल पीड़ितों की सेवा करनी चाहिए। तुम लोग अलग-अलग क्षेत्रों में जाकर भूखों को...

Published on 05/03/2023 6:15 AM

Chanakya Niti: इन कारणों की वजह से मनुष्य को कभी नहीं मिलता सुख..

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों में ऐसी कई बातों का जिक्र किया है जिसके पालन मात्र से व्यक्ति को सफलताएं मिलने लगती हैं। अनजाने में आप से कुछ ऐसी गलतियां हो जाती है जिसके परिणाम सुखद नहीं होते। ऐसे में आपको इन बातों का अवश्य ध्यान रखना चाहिए।एक...

Published on 04/03/2023 9:00 AM

विवेक ही धर्म है 

युग के आदि में मनुष्य भी जंगली था। जब से मनुष्य ने विकास करना शुरू किया, उसकी आवश्यकताएं बढ़ गई। आवश्यकताओं की पूर्ति न होने से समस्या ने जन्म लिया।समस्या सामने आई तब समाधान की बात सोची गई। समाधान के स्तर दो थे- पदार्थ-जगत, मनो-जगत. प्रथम स्तर पर पदार्थ के...

Published on 04/03/2023 6:00 AM

सफलता चाहिए तो पहले ये सीखें

किसी भी काम में लगन का अपना महत्व होता है, सफलता आपकी एकाग्रता पर ही निर्भर करती है। आप संसार को पाने की दौड़ में हो या परमात्मा को, जब तक हम ध्यान लगाकर काम नहीं करेंगे कभी ठीक परिणाम नहीं मिलेगा। इसके लिए जरूरी है कि आप पहले अपने...

Published on 03/03/2023 6:00 AM

सच को छुपाने का परिणाम

एक बार की बात है। एक व्यक्ति का पुत्र कमाने के लिए विदेश गया। विदेश कमाने गए पुत्र ने अपने पिता को एक बहुत ही सुंदर अंगूठी भेजी। पत्र में उसने लिखा, ‘पिताजी! आपको मैं एक अंगूठी भेज रहा हूं। उसका मूल्य है पांच हजार रुपए। मुङो सस्ते में मिल...

Published on 27/02/2023 6:00 AM