Friday, 26 April 2024

क्या आपकी हथेली में भी हैं ये निशान, आप जरूर बनेंगे धनवान

सनातन धर्म में ज्योतिष शास्त्र को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। ज्योतिष गणना के आधार पर पूजा पाठ और पर्व-त्योहार की तिथि निर्धारित की जाती है। साथ ही सभी मांगलिक कार्य जैसे शादी, विदाई, मुंडन आदि की तिथि भी तय की जाती है। इसके अलावा, ज्योतिष हाथ और कुंडली देखकर व्यक्ति...

Published on 10/05/2023 10:08 AM

भय को निकालें

जब क्रियता का संवेदन होता है तो अक्रियता का संवेदन भी होगा। हमारे सारे तनाव इस परिघि में हो रहे हैं। क्रियता का संवेदन हो, क्रिय मिले, क्रिय को वियोग न हो और अप्रियता का योग न हो। बस, सारी तनाव की यह सीमा है। इसी सीमा में सारे तनाव...

Published on 07/05/2023 6:15 AM

विनम्रता का पाठ 

पंडित विद्याभूषण बहुत बड़े विद्वान थे। दूर-दूर तक उनकी चर्चा होती थी। उनके पड़ोस में एक अशिक्षित व्यक्ति रहते थे-रामसेवक। वे अत्यंत सज्जन थे और लोगों की खूब मदद किया करते थे। पंडित जी रामसेवक को ज्यादा महत्व नहीं देते थे और उनसे दूर ही रहते थे। एक दिन पंडित...

Published on 01/05/2023 6:15 AM

संत की सीख

एक धनी सेठ ने एक संत के पास आकर उनसे प्रार्थना की, महाराज, मैं आत्मज्ञान प्राप्त करने के लिए साधना करता हूं पर मेरा मन एकाग्र ही नहीं हो पाता है। आप मुझे मन को एकाग्र करने का कोई मंत्र बताएं। सेठ की बात सुनकर संत बोले, मैं कल तुम्हारे...

Published on 27/04/2023 6:15 AM

शुद्ध भक्त सर्वोत्तम 

निर्विशेषवादी के लिए ब्रह्मभूत अवस्था अर्थात ब्रह्म से तदाकार होना परम लक्ष्म होता है। लेकिन साकारवादी शुद्धभक्त को इससे भी आगे शुद्ध भक्ति में प्रवृत्त होना होता है। इसका अर्थ हुआ जो भगवद्भक्ति में रत है, वह पहले ही मुक्ति की अवस्था, जिसे ब्रह्मभूत या ब्रह्म से तादात्म्य कहते हैं,...

Published on 13/04/2023 6:15 AM

कर्मयोग के बिना संन्यास नहीं

आज की चिंतनधारा में संन्यास और कर्मयोग को अलग-अलग करके देखा जा रहा है। महर्षि अरविंद ने अपने साधना-प्रम में संन्यास को कोई स्थान नहीं दिया। उन्होंने कर्मयोग का ही विधान किया। इसी प्रकार कई विचारधाराएं तो संन्यास-विरोधी भी हो गई हैं। किंतु मैं संन्यास और कर्मयोग में कोई विरोध...

Published on 12/04/2023 6:15 AM

सर्वव्यापी है आत्मा

केवल वह जो क्षणिक है, छोटा या नर है, उसे ही सुरक्षा की आवश्यकता है; जो स्थायी है, बड़ा या विशाल है, उसे सुरक्षा की जरूरत नहीं। सुरक्षा का अर्थ है समय विशेष को लंबा कर देना; इसीलिए सुरक्षा परिवर्तन में बाधक भी होती है। पूर्ण सुरक्षा की स्थिति में...

Published on 11/04/2023 6:00 AM

निराशा से होती है हार

नियति प्रम के निरंतर उल्लंघन से प्रकृति का अदृश्य वातावरण भी इन दिनों कम दूषित नहीं हो रहा है। भूकम्प, तूफान, बाढ़, विद्रोह, अपराध, महामारियां आदि पर नियंत्रण पाना कैसे संभव होगा, समझ नहीं आता। किंकर्त्तव्यविमूढ़ स्थिति में पहुंचा हतप्रभ व्यक्ति प्रमश: अधिक निराश होता है। इतना साहस और पराक्रम...

Published on 10/04/2023 6:30 AM

ईश्वर का आहार है साधना

तुमने ईश्वर को सदैव पिता के रूप में देखा है, कहीं ऊपर स्वर्ग में। मन में बैठी इस धारणा के संग तुम ईश्वर से कुछ मांगना चाहते हो और उनसे कुछ लेना। परन्तु क्या तुम ईश्वर को एक शिशु के रूप में देख सकते हो? जब तुम ईश्वर को शिशु...

Published on 09/04/2023 6:00 AM

 सच्चे ज्ञानी की विशेषता

व्यक्ति सत्संगति से तीन वस्तुओं को-शरीर, शरीर का स्वामी या आत्मा तथा आत्मा के मित्र को- एक साथ संयुक्त देखता है, वही सच्चा ज्ञानी है। जब तक आध्यात्मिक विषयों के वास्तविक ज्ञाता को संगति नहीं होती, वे अज्ञानी हैं, वे केवल शरीर को देखते हैं, और जब यह शरीर विनष्ट...

Published on 08/04/2023 6:00 AM