
वॉशिंगटन । रूस ने एंटी-सैटेलाइट मिसाइल दागकर अपने एक पुराने सैटेलाइट को धरती की निचली कक्षा में उड़ा दिया। इससे करीब 1500 से ज्यादा टुकड़े तेजी से अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन की तरफ बढ़े हैं। अंतरिक्ष में जानबूझकर फैलाए गए कचरे की वजह से स्पेस स्टेशन पर मौजूद एस्ट्रोनॉट्स को सोयुज और ड्रैगन कैप्सूल में छिपना पड़ा। ताकि अगर कचरा स्पेस स्टेशन को नुकसान पहुंचाए,तब ये लोग दोनों कैप्सूल के जरिए धरती की ओर लौट सकें। घटना के बाद से रूस की हरकत की कई देश आलोचना कर रहे हैं।
रूस ने 14 की रात या 15 नवंबर की सुबह एंटी-सैटेलाइट मिसाइल दागकर अपने सैटेलाइट कॉसमॉस-1408 को उड़ा दिया।सैटेलाइट का वजन 2000 किलोग्राम था।इस साल 1982 में लांच किया गया था।यह पिछले कुछ सालों से निष्क्रिय था।मिसाइल से इस उड़ाया गया तब यह धरती से 485 किलोमीटर की ऊंचाई पर था। इससे थोड़ा ही नीचे की कक्षा में स्पेस स्टेशन धरती के चक्कर लगाता है।
अमेरिका ने रूस की गलत हरकत की पुष्टि करते हुए घटना की निंदा की।यूएस डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि रूसी फेडरेशन ने लापरवाही से भरी हरकत की है।इसकारण स्पेस स्टेशन पर मौजूद एस्ट्रोनॉट्स की जिंदगी खतरे में पड़ गई थी।रूस के टेस्ट की वजह से करीब 1500 से ज्यादा कचरा पैदा हुआ है। जो आसानी से दिखाई दे सकता है।लेकिन हजारों बारीक और छोटे टुकड़े भी निकले, जिन्हें करीब से देखना पड़ेगा।रूस ने दुनियाभर के देशों के सैटेलाइट्स और स्पेस स्टेशन के लिए खतरा पैदा किया है।
इससे रूस के अंतरिक्षयात्रियों का जीवन भी खतरे में पड़ा।क्योंकि वहां भी स्पेस स्टेशन पर मौजूद थे।इसके अलावा अन्य इंसानी अंतरिक्ष उड़ानों के लिए खतरा पैदा हो गया है।क्योंकि कॉसमॉस-1408 और मिसाइल का कचरा अब धरती की निचली कक्षा में तैरता रहेगा।ये किसी भी सैटेलाइट या लोअर अर्थ ऑर्बिट मिशन के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।