Tuesday, 07 May 2024

'सुख' के मोह माया में फंसे व्यक्ति को परमात्मा भी नहीं पाते बचा

सुख की मोह माया में फंसे व्यक्ति को परमात्मा भी नहीं बचा सकते। एक इंसान घने जंगल में भागा जा रहा था। शाम हो चुकी थी, इसलिए अंधेरे में उसे कुआं दिखाई नहीं पड़ा और वह उसमें गिर गया।गिरते-गिरते कुएं पर झुके पेड़ की एक डाल उसके हाथ में आ...

Published on 20/11/2022 7:00 AM

मूल्य भावना का 

भगवान बुद्ध जेतवन में ठहरे हुए थे। हर सुबह वह भिक्षावृत्ति को निकलते तो उन्हें मार्ग में एक किसान अपने खेत में काम करता मिलता। अपने कार्य के प्रति उसकी निष्ठा देख बुद्ध के मन में उसके लिए करुणा उमड़ी। वह प्रतिदिन वहां रुककर उस किसान को कुछ उपदेश देने...

Published on 19/11/2022 6:15 AM

चैतन्यता जरूरी 

स्मृति और विस्मृति दोनों संतुलन अपेक्षित हैं। कुछेक व्यक्तियों में विस्मृति की बड़ी मात्रा होती है। वह हमारी चेतना की स्थिति को बहुत स्पष्ट करता है। एक व्यंग्य है। दो बहनें मिलीं। एक स्त्री ने कहा, मेरा पति बहुत भुलक्कड़ है। एक दिन बाजार में गया सब्जी लाने के लिए।...

Published on 16/11/2022 6:45 AM

सफलता का मार्ग 

संग्रह की वृत्ति बहिमरुखता का लक्षण है। साधक क्षणजीवी होता है। अतीत की स्मृति और भविष्य की चिंता वह करता है जो आत्मस्थ नहीं होता। वर्तमान में जीना आत्मस्थता का प्रतीक है। एक साधक कल की जरूरत को ध्यान में रखकर संग्रह नहीं करता, पर एक व्यवसायी सात पीढ़ियों के...

Published on 14/11/2022 6:00 AM

संवेदनशील और सबल बनो 

सदाचार का तब तक पालन किए जाओ जब तक यह तुम्हारा स्वभाव न बन जाए। मित्रता, दया और ध्यान का अभ्यास जारी रखो। जब तक यह न समझ जाओ कि यह तुम्हारा स्वभाव है। जब कार्य स्वभावत: किया जाता है,तब तुम फल की लालसा नहीं रखते हो। सहजता से बस...

Published on 13/11/2022 6:00 AM

मन में होना चाहिए सेवा का भाव

एक समय की बात है, कागावा नामक एक युवक जापान में रहता था। उसने अपनी पढ़ाई समाप्त करने के पश्चात जरूरतमंद जापानी लोगों व वहां के दीन-दुखियों की सेवा करने लगा।सेवा करते-करते उसे अपने कार्यों में इतना आनंद आने लगा कि उसने अन्य लोगों को भी इस सेवा कार्य में...

Published on 11/11/2022 6:45 AM

विचारों की तरंगें

राजा की सवारी निकल रही थी। सर्वत्र जय-जयकार हो रही थी। सवारी बाजार के मध्य से गुजर रही थी। राजा की दृष्टि एक व्यापारी पर पड़ी। वह चन्दन का व्यापार करता था। राजा ने व्यापारी को देखा। मन में घृणा और ग्लानि उभर आई। उसने मन ही मन सोचा, 'यह...

Published on 09/11/2022 6:15 AM

अज्ञान का आवरण

गुरू के पास डंडा था। उस डंडे में विशेषता थी कि उसे जिधर घुमाओ, उधर उस व्यक्ति की सारी खामियां दिखने लग जाएं। गुरू ने शिष्य को डंडा दे दिया। कोई भी आता, शिष्य डंडा उधर कर देता। सब कुरूप-ही-कुरूप सामने दीखते। अब भीतर में कौन कुरूप नहीं है? हर...

Published on 08/11/2022 6:00 AM

जीवन जीने का सही मार्ग दिखाते हैं गुरु नानक देव के ये अनमोल वचन

हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को गुरु नानक जी की जयंती मनाई जाती है।इस साल 8 नवंबर को गुरु नानक देव जी की जयंती है। गुरु नानक जी सिखों के पहले गुरु और सिख धर्म के संस्थापक हैं। सिख धर्म को मानने वालों के...

Published on 07/11/2022 6:45 AM

सहन करना सीखें

व्यक्ति स्वयं ही बेचैनी का जीवन जीता है और अकारण ही जीवन में अनेक कष्टों को आमंत्रित कर लेता है। एक आदमी था। वह सदा प्रसन्न रहता था। एक दिन उसको उदास देखकर मित्र ने पूछा, मित्र! तुम सदा प्रसन्न रहते थे। तुम्हारी सारी अनुकूलताएं थीं। पर आज तुम बहुत...

Published on 07/11/2022 6:15 AM