बसंत पंचमी पर करें मां सरस्वती के इन मंत्रों का जाप..

पंचांग के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था। इसी के कारण इस दिन मां सरस्वती की विधिवत पूजा करने का विधान है। इसके साथ ही इस दिन से...
Published on 19/01/2023 1:23 PM
जो हो रहा है उसके जिम्मेदार हम खुद हैं

हम मनुष्यों की एक सामान्य सी आदत है कि दु?ख की घड़ी में विचलित हो उठते हैं और परिस्थितियों का कसूरवार भगवान को मान लेते हैं। भगवान को कोसते रहते हैं कि हे भगवान हमने आपका क्या बिगाड़ा जो हमें यह दिन देखना पड़ रहा है। गीता में श्री कृष्ण...
Published on 17/01/2023 6:45 AM
मृत्यु की चिंता और चिंतन का महत्व

एक महात्मा अपने शिष्यों के साथ जंगल में आश्रम बनाकर रहते थे और उन्हें योगाभ्यास सिखाते थे। वह सत्संग भी करते थे। एक शिष्य चंचल बुद्धि का था। बार-बार गुरु से कहता आप कहां जंगल में पड़े हैं चलिए एक बार नगर की सैर करके आते हैं। महात्मा ने कहा...
Published on 02/01/2023 6:15 AM
भगवान का अचिंत्य ऐश्वर्य

भगवान भौतिक जगत के पालन व निर्वाह के लिए प्रत्यक्ष रूप से उत्तरदायी नहीं हैं। हम एटलस (एक रोमन देवता) को कंधों पर गोला उठाये देखते हैं। वह अत्यन्त थका लगता है और इस विशाल पृथ्वीलोक को धारण किये रहता है। हमें किसी ऐसे चित्र को मन में नहीं लाना...
Published on 01/01/2023 6:30 AM
झांसी की रानी का सर्वोत्तम बलिदान

बात उन दिनों की जब अंग्रेजों के हमले से झांसी की रानी लक्ष्मी बाई के लिए किले की दीवारें टूटने लगीं और लड़ाई के लिए गिन-टूटने लगीं और लड़ाई के लिए गिनेृ-चुने सैनिक की शेष रह गए थे।तब यह निश्चय किया गया कि रानी को अन्यत्र चले जाना चाहिए। पर...
Published on 11/12/2022 6:30 AM
अहिंसा का स्वरूप

सामान्यत: अहिंसा को निषेधार्थक माना जाता है। ‘न हिंसा -अहिंसा’- हिंसा का अभाव अहिंसा है, यह इसकी एकांगी परिभाषा है। इसको सर्वागीण रूप से परिभाषित करने के लिए इसके विधेयार्थ और निषेधार्थ दोनों को समझना जरूरी है। किसी प्राणी के प्राणों का वियोजन नहीं करना, इस सूत्र का हिंसा के...
Published on 23/11/2022 6:00 AM
'सुख' के मोह माया में फंसे व्यक्ति को परमात्मा भी नहीं पाते बचा
सुख की मोह माया में फंसे व्यक्ति को परमात्मा भी नहीं बचा सकते। एक इंसान घने जंगल में भागा जा रहा था। शाम हो चुकी थी, इसलिए अंधेरे में उसे कुआं दिखाई नहीं पड़ा और वह उसमें गिर गया।गिरते-गिरते कुएं पर झुके पेड़ की एक डाल उसके हाथ में आ...
Published on 20/11/2022 7:00 AM
मूल्य भावना का

भगवान बुद्ध जेतवन में ठहरे हुए थे। हर सुबह वह भिक्षावृत्ति को निकलते तो उन्हें मार्ग में एक किसान अपने खेत में काम करता मिलता। अपने कार्य के प्रति उसकी निष्ठा देख बुद्ध के मन में उसके लिए करुणा उमड़ी। वह प्रतिदिन वहां रुककर उस किसान को कुछ उपदेश देने...
Published on 19/11/2022 6:15 AM
चैतन्यता जरूरी

स्मृति और विस्मृति दोनों संतुलन अपेक्षित हैं। कुछेक व्यक्तियों में विस्मृति की बड़ी मात्रा होती है। वह हमारी चेतना की स्थिति को बहुत स्पष्ट करता है। एक व्यंग्य है। दो बहनें मिलीं। एक स्त्री ने कहा, मेरा पति बहुत भुलक्कड़ है। एक दिन बाजार में गया सब्जी लाने के लिए।...
Published on 16/11/2022 6:45 AM
सफलता का मार्ग

संग्रह की वृत्ति बहिमरुखता का लक्षण है। साधक क्षणजीवी होता है। अतीत की स्मृति और भविष्य की चिंता वह करता है जो आत्मस्थ नहीं होता। वर्तमान में जीना आत्मस्थता का प्रतीक है। एक साधक कल की जरूरत को ध्यान में रखकर संग्रह नहीं करता, पर एक व्यवसायी सात पीढ़ियों के...
Published on 14/11/2022 6:00 AM