
भोपाल। मध्यप्रदेश पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों के एसपी और पुलिस आयुक्तों को निर्देश जारी कर दिए हैं कि थानों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए पदस्थापना की अवधि और प्रक्रिया को सख्ती से लागू किया जाए। यह आदेश 10 जून 2025 को विशेष पुलिस महानिदेशक (प्रशासन) आदर्श कटियार द्वारा जारी किया गया है। इसमें पुराने आदेशों का हवाला देते हुए कुछ मुख्य बिंदुओं को दोहराया और पुनर्निर्देशित किया गया है।
1. एक पद पर अधिकतम 5 वर्ष की पदस्थापना
किसी भी कर्मचारी को थाने में एक ही पद पर सामान्यतः 4 वर्ष तथा अधिकतम 5 वर्ष से अधिक पदस्थ नहीं किया जाएगा।
2. उपरोक्त अवधि पूरी होने के बाद पुनः उसी थाने में पदस्थ नहीं किया जाएगा
कोई भी अधिकारी या कर्मचारी, जिसकी उपरोक्त अवधि पूरी हो चुकी है, उसे दोबारा उसी थाने में पदस्थ नहीं किया जाएगा।
3. पूर्व पद पर दोबारा पदस्थापना से पूर्व कम से कम 2 वर्ष का अंतराल आवश्यक
यदि किसी कर्मचारी को उसी पूर्व पद पर फिर से नियुक्त करना हो, तो कम से कम दो वर्ष का गैप अनिवार्य होगा।
4. आसक (ASAK) से उपनिरीक्षक तक के पदों पर कुल पदस्थापना अवधि 10 वर्ष से अधिक नहीं होगी
एक ही अनुविभाग में कार्यरत कर्मचारियों की कुल अवधि 10 वर्ष से अधिक नहीं रखी जाएगी।
5. स्थानांतरण में अटैचमेंट की समयावधि भी शामिल मानी जाएगी।
मुख्यालय ने जिलों के सभी एसपी और आयुक्तों से कहा है कि वे अपने जिले के प्रत्येक थाने में पदस्थ ASAK से लेकर उपनिरीक्षक तक के कर्मचारियों की वर्तमान स्थिति की समीक्षा करें और 16 जून 2025 तक ईमेल के माध्यम से विस्तृत रिपोर्ट मुख्यालय को भेजें। इस निर्देश से साफ है कि पुलिस मुख्यालय अब थानों में लंबे समय तक जमे रहने वाले कर्मचारियों पर शिकंजा कसना चाहता है। यह व्यवस्था न केवल थानों की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लाएगी, बल्कि राजनीतिक या व्यक्तिगत प्रभावों को भी सीमित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है