
Spain Villena Treasure: स्पेन के एलिकांटे में स्थित विलेना के खजाने में अब तक की सबसे रहस्यमयी खोजों में से एक सामने आई है. इस खजाने से दो लोहे जैसी वस्तुएं एक कंगन और एक छोटी गोल आकार की ज्वेलरी मिली है. ये लोहा नहीं बल्कि उल्कापिंड से मिली धातु से बनी है. यह खोज न केवल तकनीकी दृष्टिकोण से बल्कि सांस्कृतिक और प्रतीकात्मक महत्व की दृष्टि से भी बेहद जरूरी माना गया है.
यह धातु धरती पर मौजूद सामान्य खनिजों से अलग है. इसमें निकेल की मात्रा ज्यादा पाई गई, जो अंतरिक्ष से गिरे उल्कापिंडों की विशेषता होती है. इससे यह प्रमाणित होता है कि यह धातु स्वाभाविक रूप से पृथ्वी पर नहीं पाई जाती. विलेना के खजाने की ये कलाकृतियां लगभग 1400 से 1200 ईसा पूर्व के बीच की मानी जाती हैं. यह उस समय की हैं, जब इबेरियन लौह युग की शुरुआत हुई थी, जो कि 850 ईसा पूर्व के आसपास करीब 500 वर्ष पहले का है.
प्राचीन आइबेरियन लोगों की खासियत
इस खोज से यह संकेत मिलता है कि प्राचीन आइबेरियन लोग उल्कापिंड से परिचित हो चुके थे. उन्होंने उस धातु को पहचाना और उसे धार्मिक या प्रतीकात्मक महत्व प्रदान किया. उन्होंने इतनी शुरुआती अवस्था में धातु को आकार देने की तकनीक विकसित कर ली थी. यह प्राचीन Metallurgy के इतिहास को दोबारा परिभाषित करता है और दर्शाता है कि वे लोग केवल धरती पर मौजूद संसाधनों तक सीमित नहीं थे.
उल्कापिंड लोहे का प्रयोग
इतिहास में अन्य स्थानों पर भी उल्कापिंड से बनी वस्तुएं मिली हैं, जैसे कि मिस्र के तूतनखामेन का खंजर प्राचीन चीन और मेसोपोटामिया में उल्का पिंड लोहे से बने शस्त्र. इस तरह से देखा जाए तो विलेना की यह खोज दर्शाती है कि स्पेन के प्राचीन समाजों में भी उल्कापिंड की धातु को धार्मिक, अनुष्ठानिक और सामाजिक दृष्टिकोण से विशेष माना गया होगा. यह संभव है कि इन वस्तुओं का इस्तेमाल समाज के कुलीन वर्ग की तरफ से किया जाता रहा हो.
वैज्ञानिक विश्लेषण की पुष्टि
इस खोज को सही तरीके से जांच करने के लिए मास स्पेक्ट्रोमेट्री (Mass Spectrometry) जैसे मॉर्डन वैज्ञानिक टेस्ट का इस्तेमाल किया गया. स्पेन के राष्ट्रीय पुरातत्व संग्रहालय के विशेषज्ञ साल्वाडोर रोविरा-लोरेंस के नेतृत्व में किए गए विश्लेषणों ने इन वस्तुओं की उत्पत्ति को स्पष्ट किया कि जिसमें निकेल की अत्यधिक मात्रा थी साथ में कोबाल्ट भी पाया है. यह खोज Trabajos de Prehistoria में प्रकाशित की गई है और इसे भविष्य के लिए एक मार्गदर्शक माना जा रहा है, जिससे अन्य धात्विक वस्तुओं पर भी बिना हानि पहुंचाए परीक्षण किए जा सकें.