
सूरत। हाल ही में साउथ-वेस्टर्न कमांड में तैनात दो लेफ्टिनेंट जनरलों की आपसी लड़ाई को आर्मी चीफ जनरल एमएम नरवणे ने गंभीरता से लेते हुए कोर्ट ऑफ इन्क्वॉयरी का आदेश दिया। इसी बीच साउथ-वेस्टर्न कमांड के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल आलोक क्लेर और उनके ठीक नीचे तैनात लेफ्टिनेंट जनरल केके रेप्सवाल ने एक-दूसरे के खिलाफ अपनी शिकायतें वापस ले लीं। हालांकि इससे उनकी मुश्किलें कम नहीं होंगी। आर्मी के टॉप सोर्सेज ने बताया कि आर्मी चीफ नरवणे ही अब अंतिम फैसला करेंगे। वैसे कोर्ट ऑफ इन्क्वॉयरी भी जांच के अंतिम चरण में है। वो रिपोर्ट जनरल नरवणे को मिलेगी। इस कोर्ट ऑफ इन्क्वॉयरी को लखनऊ स्थित सेंट्रल कमांड के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल आईएस गुमन हेड कर रहे हैं। जनरल गुमन आपस में लड़ने वाले दोनों जनरलों से सीनियर हैं।
सूत्रों के मुताबिक दोनों ने एक दूसरे के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं। प्रशासनिक चूक से लेकर कमांड के कामकाज में बाधा डालने तक के आरोप लगाए गए हैं। लेफ्टिनेंट जनरल क्लेर इसी साल 31 मार्च को रिटायर होने वाले हैं। लेफ्टिनेंट जनरल रेप्साल को कोलकाता के ईस्टर्न कमांड में भेज दिया गया है। दोनों जनरलों के परिवार का सेना से पुराना नाता रहा है। कई रिश्तेदार आर्मी और एयर फोर्स में ऊंचे ओहदे पर रहे हैं। दोनों के बीच लंबे समय से खींचतान चल रही थी। पिछले साल दोनों ने आर्मी चीफ तक अपनी शिकायत पहुंचाई थी। तब जनरल नरवणे ने वाइस चीफ लेफ्टिनेंट जनरल एसके सैनी को मामला सुलझाने की जिम्मेदारी दी। वो 31 जनवरी को रिटायर हो गए। जब जनरल नरवणे को लगा कि कुछ मुद्दे बेहद गंभीर हैं तब उन्होंने मामले को कोर्ट ऑफ इन्क्वॉयरी में भेज दिया। साउथ - वेस्टर्न कमांड देश के छह रीजनल कमांड्स में से एक है और सामरिक तौर पर बेहद अहम भूमिका निभाते हैं।