
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने आय से अधिक संपत्ति के आरोपों में गुरुवार (9 जून) को हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से पूछताछ की। सिंह पर केंद्रीय मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप है। सीबीआई सूत्रों ने बताया कि 81 वर्षीय मुख्यमंत्री यहां एजेंसी के मुख्यालय में पूछताछ के लिए पेश हुए। एजेंसी ने कहा है कि उसने जांच शुरू की थी जिसमें कथित तौर पर यह पता चला कि वर्ष 2009 से 2012 तक (संप्रग शासन में) केंद्रीय मंत्री के रूप में सिंह ने अपने और अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर कथित तौर पर आय के ज्ञात स्रोतों से लगभग 6.03 करोड़ रुपए अधिक की संपत्ति अर्जित की थी।
दिल्ली में विशेष अदालत में भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के तहत दर्ज प्राथमिकी में सिंह, उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह, एलआईसी एजेंट आनंद चौहान तथा चुन्नी लाल चौहान के नाम शामिल हैं। सिंह ने आरोपों से इनकार किया है। सीबीआई प्रवक्ता ने एक बयान में आरोप का ब्योरा देते हुए कहा था कि सिंह ने अपना बेहिसाबी धन कृषि आय के रूप में दर्शाकर एक निजी व्यक्ति के जरिए अपने नाम से, अपनी पत्नी के नाम से तथा परिवार के अन्य सदस्यों के नाम से जीवन बीमा निगम की पॉलिसीज में निवेश किया।
सीबीआई ने कहा था कि यह तीन साल की अवधि के लिए सेब के एक बगीचे की देखरेख के लिए उक्त निजी व्यक्ति (चौहान) के साथ एक सहमति पत्र के जरिए किया गया था। निजी व्यक्ति ने कथित तौर पर अपने बैंक खाते में लगभग पांच करोड़ रुपए जमा किए थे और फिर उसने उनके नामों पर एलआईसी पॉलिसी खरीदने के लिए चेकों के जरिए इस धन को निकाला।
इसने कहा था कि सिंह ने कथित तौर पर 2012 में संशोधित आयकर रिटर्न दायर कर इसे कृषि आय के रूप में वैध बनाने का प्रयास किया। सीबीआई ने आरोप लगाया है, ‘अपने संशोधित आयकर रिटर्न में कृषि आय का उनका दावा तर्कसंगत नहीं पाया गया। तत्कालीन केंद्रीय मंत्री ने कथित तौर पर आय से अधिक अन्य संपत्तियां अर्जित की थीं।’