मुंबई : राकांपा अध्यक्ष शरद पवार की पुत्री और लोकसभा सदस्य सुप्रिया सुले साड़ी पर दिए गए अपने एक बयान पर आलोचना से घिर गई हैं। साड़ी पर उनके बयान ने नई बहस छेड़ दी है। सुले ने हालांकि अपने बयान पर सफाई भी दी है।

अपने बयान के लिए आलोचनाओं से घिरीं सुप्रिया ने दावा किया कि उनके बयान का गलत मतलब निकाला गया है।

नासिक के फ्रावाशी इंटरनेशनल एकेडमी में कल आयोजित एक समारोह में सुप्रिया सुले ने कहा था कि लोगों को लगता है कि सांसद महत्वपूर्ण चर्चा कर रहे हैं लेकिन जब वो ही बातें दोहराई जाती हैं तो हमेशा ऐसा नहीं होता।

उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं संसद जाती हूं तो मैं पहले सदस्य का भाषण सुनती हूं, दूसरा भाषण सुनती हूं और तीसरा भाषण सुनती हूं। चौथे भाषण तक बोलने वाले सदस्य वही चीजें दोहराते हैं जो पहले के वक्ता बोल चुके होते हैं।’’ सुप्रिया ने कहा, ‘‘अगर आप मुझसे पूछते हैं कि चौथे भाषण के बाद क्या कहा गया तो मैं नहीं बता सकती। हम किसी अन्य सांसद से बात करने लगते हैं। जब सांसद बात कर रहे होते हैं तो सभी देखते हैं। लोगों को लगता है कि सांसद अपने देश के विषयों पर बातचीत कर रहे हैं।’’ द्रमुक नेता कनिमोई की अच्छी दोस्त मानी जाने वाली सुप्रिया ने कहा, ‘‘अगर मैं चेन्नई की सांसद से बात कर रही हूं तो आपको लगेगा कि मैं चेन्नई में भारी बारिश पर बात कर रही हूं। हम इस तरह की बातें नहीं करते। हमारी बातें इस तरह की होती हैं कि आपने साड़ी कहां से खरीदी और मैंने कहां से खरीदी।’’

राकांपा सांसद ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा था, ‘‘आप विद्यार्थी लोग पढ़ाई के दौरान बोर हो जाते हैं और फिर दीपिका पादुकोण और ‘बाजीराव मस्तानी’ में उनके रूप-रंग की बात करना शुरू कर देते हैं।’’ शिवसेना नेता नीलम गोरे ने कहा कि सुप्रिया के बयान गैरजिम्मेदाराना हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘संसद सत्र में बहुत कामकाज होता है। इस तरह के बयान देने का मतलब गंभीर महिला विधायकों और सांसदों की छवि खराब करना है जो जनप्रतिनिधि बनने के लिए संघर्ष करती हैं।’’ महिला आरक्षण के मुद्दे पर सुप्रिया ने कहा, ‘‘संसद में सभी पुरुष सदस्य मुझे ताना मारते हैं कि अगर महिलाओं को अतिरिक्त 50 प्रतिशत आरक्षण और दे दिया जाए तो संसद में केवल साड़ियों, फेशियल और पार्लर के बारे में चर्चा होगी।’’