दिल्ली पुलिस ने अलकायदा के एक संदिग्ध आतंकवादी मौलाना अंजार शाह को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया है। आतंकी संगठन के खिलाफ जारी अभियान के तहत यह चौथी गिरफ्तारी है।

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि दिल्ली पुलिस की आतंकवाद रोधी टीम (एटीएस) ने 6 जनवरी की रात को बनासशंकरी इलाके से शाह को गिरफ्तार किया। वह एक मदरसे में शिक्षक का काम कर रहा था। हालांकि मदरसे से उसे 14 महीने पहले निकाल दिया गया था लेकिन परिवार वालों के अनुरोध पर वापस नौकरी पर रख लिया गया था। शाह को ट्रांजिट रिमांड पर दिल्ली लाकर पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने उसे 20 जनवरी तक के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया।

दिल्ली पुलिस ने दिसंबर में भारतीय उपमहाद्वीप में अलकायदा का माॠड्यूल (एक्यूआईएस) के तीन संदिग्धों को गिरफ्तार किया था।  सबसे पहले मोहम्मद आसिफ को उत्तरपूर्वी दिल्ली के सीलमपुर से गिरफ्तार किया गया था। माना जाता है कि वह संस्थापक सदस्यों में से एक है। वह एक्यआईएस की भर्ती और प्रशिक्षण विंग का भारतीय प्रमुख है। अब्दुल रहमान को ओडिशा में कटक के जगतपुर से गिरफ्तार किया गया था। तीसरा संदिग्ध जफर मसूद माॠड्यूल के लिए वित्त पोषक के तौर पर सक्रिय था। उसे उत्तर प्रदेश के संभल जिले से गिरफ्तार किया गया था। इन सभी के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि (निवारण) अधिनियम के तहत मामले दर्ज किए गए हैं।

वीओआईपी से बात हुई
मदरसा शिक्षक शाह बेंगलुरु में एक धार्मिक कार्यक्रम में आसिफ से मिला था। इसके उसका परिचय अब्दुल रहमान और जफर मसूद से कराया गया। जांच से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि उसे जरूरत होने पर साजोसामान देने के रूप में काम करने के लिए कहा गया था। अधिकारी ने बताया कि एटीएस के पास शाह, अब्दुल रहमान और जफर मसूद के बीच की बातचीत का प्रमाण है। इसमें से अधिकांश वाइस ओवर इंटरनेट प्रोटोकाल (वीओआईपी) सेवाओं के जरिए बातचीत है। जांचकर्ताओं ने शाह और मसूद के बीच रुपयों के लेनदेन को लेकर संपर्क का भी पता लगा लिया है।

अधिकारी ने बताया कि कुछ और लोगों पर पुलिस नजर रख रही है और कुछ और गिरफ्तारियां की जा सकती हैं।

अफगानिस्तान-पाकिस्तान के किसी  क्षेत्र में बैठक आयोजित होने के बाद सितंबर 2014 में अलकायदा के प्रमुख अयमान अल-जवाहिरी ने खुद एक्यूआईएस का गठन किया था। बैठक में अल जवाहिरी के दामाद सहित अलकायदा के पूरे ग्रैंड काउंसिल (अरबी शूरा) ने शिरकत की थी। कई भारतीयों के प्रशिक्षण शिविर में मौजूद रहने के बावजदू माना जाता है कि मौलाना आसिम उमर उर्फ सानाउल हक और मोहम्मद आसिफ एकमात्र भारतीय थे जो परिषद में मौजूद थे।