एक दशक पहले विकास के हर क्षेत्र में फिसड्डी रह कर "बीमारू" राज्य की श्रेणी में रखा जाने वाला मध्यप्रदेश आज विकास और समृद्धि के क्षेत्र में कुलांचें भर रहा है। मध्यप्रदेश की इस चमत्कारिक उपलब्धि को इस वर्ष भारत सरकार द्वारा जारी आर्थिक सर्वेक्षण में भी प्रमुखता से रेखांकित किया गया है। सकल घरेलू उत्पाद, औसत सकल राज्य घरेलू उत्पाद और प्रति व्यक्ति आय, इन तीन संकेतकों में मध्यप्रदेश के शानदार प्रदर्शन को आर्थिक सर्वेक्षण में विशेष रूप से उल्लेखित किया गया है। मध्यप्रदेश ने अपने स्वयं के संसाधनों को भी उल्लेखनीय रूप से बढ़ाया है, जिससे विकास की गति और तेज हुई है।

आर्थिक विकास दर बड़े राज्यों में सबसे ज्यादा

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2013-14 के अग्रिम अनुमानों के अनुसार मध्यप्रदेश की आर्थिक विकास दर 11.08 प्रतिशत और कृषि विकास दर 24.99 प्रतिशत से अधिक है। मध्यप्रदेश की 11.08 प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद दर है, जो देश के बड़े राज्यों में सबसे अधिक है। आधार वर्ष 2004-05 में प्रदेश का सकल घरेलू उत्पाद लगभग 1 लाख 12 हजार 926 करोड़ का था, जो 2013-14 में बढ़कर लगभग 2 लाख 38 हजार 526 करोड़ का हो गया। इस प्रकार सकल घरेलू उत्पाद में 111 प्रतिशत वृद्धि हुई। प्रति व्यक्ति आय में भी आधार वर्ष की तुलना में उल्लेखनीय 350 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई। 2004-05 में जहाँ प्रति व्यक्ति आय 15 हजार 442 रुपये थी वहीं 2013-14 में 54 हजार 34 रुपये हो गई।

जी डी पी में राष्ट्रीय औसत से अधिक वृद्धि

मध्यप्रदेश की सकल घरेलू उत्पाद में 11.08 प्रतिशत की वृद्धि औसत भारतीय वृद्धि 4.7 प्रतिशत से ढाई गुना से भी अधिक है। इसी प्रकार राज्य की प्रति व्यक्ति शुद्ध घरेलू उत्‍पाद आय वृद्धि 20.10 प्रतिशत रही है जबकि राष्ट्रीय औसत 10.44 प्रतिशत ही है। राज्य की यह आय वृद्धि भी राष्ट्रीय औसत से लगभग दोगुनी है। मध्यप्रदेश वर्ष 2009-10 से ही अपनी वृद्धि दर 9 प्रतिशत से ऊपर बनाए हुए है और यह गति निरंतर जारी है।

राजकोषीय घाटे में लगातार कमी

राजकोषीय घाटा लगातार कम हुआ है। वर्ष 2013-14 में यह 2.98 प्रतिशत रह गया जबकि 2003-04 में 7.12 प्रतिशत था। वर्ष 2004 से लगातार राजस्व आधिक्य की स्थिति बनी हुई है। वर्ष 2003-04 में ऋण पर ब्याज का भुगतान राजस्व प्राप्तियों का 22.44 प्रतिशत था, जो अब घटकर 6.7 प्रतिशत रह गया है।

प्रदेश के बजट में 540 प्रतिशत वृद्धि हुई है। वर्ष 2002-03 में प्रदेश का बजट 21 हजार 647 करोड़ था, जो वर्ष 2014-15 में एक लाख 17 हजार 40 करोड़ 99 लाख हो गया है। स्व-कर राजस्व में 5 गुना से अधिक की वृद्धि हुई। वर्ष 2003-04 में स्व-कर राजस्व 6805 करोड़ था, जो वर्ष 2014-15 में बढ़कर 38 हजार 938 करोड़ 88 लाख रुपये हो गया है।

मध्यप्रदेश के सकल राज्य घरेलू उत्पाद में दो अंकों में वृद्धि में सबसे बड़ा योगदान कृषि एवं संबंधित क्षेत्र का है जिसकी वृद्धि दर 29 प्रतिशत है जबकि उद्योग क्षेत्र की 25.6 प्रतिशत। सेवा क्षेत्र में भी वृद्धि दर 45.4 प्रतिशत रही है।

स्व-कर राजस्व में पाँच गुना वृद्धि

मध्यप्रदेश ने बीते 10 वर्ष में विकास के क्षेत्र में जो उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं उनमें उसके स्वयं के स्व-कर राजस्व की अहम भूमिका रही है। विगत 10 वर्षमें इसमें पाँच गुना से अधिक वृद्धि हुई है। वर्ष 2003-04 में राज्य में स्वयं के करों से राजस्व की प्राप्ति मात्र 6805 करोड़ रुपये थी, जो 2013-14 में पाँच गुना से अधिक बढ़कर 33 हजार 382 करोड़ अनुमानित है। केन्द्रीय करों में राज्य का संवैधानिक अंश 23 हजार 694 करोड़ इसके अतिरिक्त है।

इसी प्रकार मध्यप्रदेश ने आयोजना व्यय में 6 गुना की महत्वपूर्ण वृद्धि हासिल की है। इसके फलस्वरूप प्रदेश में अधोसंरचना का तेजी से विकास हुआ है। यह प्रदेश में लोगों के पास बढ़ते पैसों को भी दर्शाता है। प्रदेश में आयोजना व्यय वर्ष 2003-04 में 5684 करोड़ रुपये था, जो वर्ष 2013-14 में छह गुना से अधिक बढ़कर 37 हजार 608 करोड़ अनुमानित है।

पूँजीगत व्यय बढ़ने से सड़क, बाँध सहित अधोसंरचना के विभिन्न क्षेत्र में बेहतर प्रावधान किये जा सके हैं। मध्यप्रदेश में पूँजीगत व्यय वर्ष 2003-04 में महज 2883 करोड़ रुपये था, जो वर्ष 2013-14 में बढ़कर 17 हजार 558 करोड़ होना अनुमानित है।

कुशल वित्तीय प्रबंधन के एक अन्य मानक में अच्छी उपलब्धि हासिल करते हुए मध्यप्रदेश में वर्ष 2004-05 से लगातार राजस्व आधिक्य का बजट प्रस्तुत हो रहा है। इससे पता चलता है कि प्रदेश ने अपने संसाधनों का बेहतर प्रबंधन किया है। वर्ष 2003-04 में प्रदेश में राजस्व घाटा (माइनस) 4476 करोड़ रुपये था, जिसके उलट वर्ष 2013-14 में राजस्व आधिक्य (प्लस) 5215 करोड़ रुपये अनुमानित है।

मध्यप्रदेश में मार्च 2014 की स्थिति में साख जमा अनुपात 66 प्रतिशत है, जो राष्ट्रीय मानक 60 प्रतिशत से अधिक है। इसी तरह कुल अग्रिम का प्राथमिक क्षेत्र में अग्रिम राष्ट्रीय मानक 40 प्रतिशत की तुलना में 59 प्रतिशत है। कुल अग्रिम में कृषि अग्रिम राष्ट्रीय मानक 18 प्रतिशत की तुलना में 34 प्रतिशत है। प्रदेश में कुल अग्रिम में कमजोर वर्गों को दिया गया अग्रिम कुल अग्रिम का 13 प्रतिशत है, जबकि इसका राष्ट्रीय मानक 10 प्रतिशत है।

प्रदेश में पिछले वर्ष मार्च 2014 तक एक लाख 64 हजार 877 करोड़ का अग्रिम दिया गया इसमें 55 हजार 681 करोड़ कृषि क्षेत्र को, 22 हजार 937 लघु उद्योग क्षेत्र को तथा 21 हजार 271 करोड़ कमजोर वर्गों को दिया गया अग्रिम शामिल है।

मध्यप्रदेश में बेंक शाखाओं में लगातार वृद्धि हो रही है। मार्च 2013 की तुलना में वर्ष 2014 के मार्च तक 466 नई बेंक शाखा खुलीं। इनमें ग्रामीण क्षेत्रों में 182, अर्ध-शहरी क्षेत्रों में 136 तथा शहरी क्षेत्रों में 148 शाखा शामिल हैं। वर्तमान में प्रदेश में कुल 6415 बेंक शाखा हैं। इनमें 2730 ग्रामीण क्षेत्रों में, 1975 अर्ध-शहरी तथा 1710 शहरी क्षेत्रों में हैं। बेंक शाखाओं में से 4102 वाणिज्यिक बेंक, 1121 सहकारी बेंक तथा 1192 क्षेत्रीय ग्रामीण बेंक हैं।

बेंकों में जमा राशि बढ़ी

प्रदेश की बैंक शाखाओं में मार्च 2014 की स्थिति में 2 लाख 49 हजार 525 करोड़ रुपये जमा हैं। यह मार्च 2013 में जमा 2 लाख 20 हजार 689 करोड़ की तुलना में 28 हजार 836 करोड़ अधिक है। यह प्रदेश की आर्थिक प्रगति का सूचक है। इससे यह भी पता चलता है कि लोगों के पास पहले की तुलना में ज्यादा पैसा आ रहा है। घरेलू बचत के प्रोत्साहन तथा बेंकिंग के जरिये उसके वित्तीय बाजार में संचार में वृद्धि का भी पता चलता है।

वित्तीय समावेशन

ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा बेंकिंग सुविधाएँ उपलब्ध करवाने के लिये वित्तीय समावेशन का काम तेजी से चल रहा है। दो हजार से ज्यादा जनसंख्या वाले चिन्हित 2736 गाँव में वित्तीय समावेशन का काम शुरू हो चुका है। वित्तीय समावेशन के क्षेत्र में हुए बेहतर कार्यों के लिये मध्यप्रदेश को प्रतिष्ठित स्कॉच फायनेंशियल इन्क्लूजन और डीपनिंग अवार्ड 2014 से सम्मानित किया गया है।

वित्तीय समावेशन का लाभ जरूरतमंद ग्रामीणों को आसानी से पहुँचाने के लिये ग्रामीण क्षेत्रों में हर पाँच किलोमीटर के दायरे में अल्ट्रा स्माल बेंक खोली जा रही है। इन बेंक के जरिये 1500 करोड़ से अधिक का कारोबार हो चुका है।

इस प्रकार मध्यप्रदेश आर्थिक विकास के नये आयाम रचते हुए राष्ट्रीय स्तर पर एक समृद्ध होते हुए राज्य की छवि बना रहा है।