उच्च शिक्षा ज्ञान और कौशल का ही विकास नहीं करती, बल्कि शिक्षित व्यक्ति को आत्म-निर्भर बनाने का भी मार्ग प्रशस्त करती है। मध्यप्रदेश देश के उन प्रमुख राज्यों में से एक है, जहाँ राज्य शासन उच्च शिक्षा के प्रति अपनी जिम्मेदारी पूरी निष्ठा और लगन के साथ निभा रहा है। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा विगत 10 वर्ष में विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा की ओर आकृष्ट करने तथा उन्हें सहज और सुलभ शिक्षा उपलब्ध करवाने के लिये विभिन्‍न योजना बनाकर सफलता से लागू की गई। इसी का परिणाम है कि उच्च शिक्षा में प्रदेश में विद्यार्थियों का सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) राष्ट्रीय अनुपात 19.07 तक पहुँच गया है, जो एक सराहनीय उपलब्धि है।

विभाग द्वारा गाँव की बेटी, प्रतिभा किरण, विक्रमादित्य, छात्राओं के लिये आवागमन सुविधा, अनुसूचित जाति-जनजाति के विद्यार्थियों को शोध छात्रवृत्ति, विकलांग विद्यार्थियों को शोध उपाधि के लिये प्रोत्साहन पुरस्कार, नि:शक्तजन विद्यार्थियों के लिये कम्प्यूटर एवं प्रबंधन की छात्रवृत्ति, वर्चुअल कक्षाओं की व्यवस्था, स्व. लक्ष्मण सिंह गौड़ पुरस्कार, उच्च शिक्षा ऋण गारंटी, स्वामी विवेकानंद केरियर मार्गदर्शन, विद्यार्थियों को स्मार्ट फोन देने और कौशल विकास योजना बनाई गई हैं। इसके साथ ही राज्य स्तरीय व्यक्तित्व विकास प्रकोष्ठ, प्रदेश के 12 चयनित कॉलेज की राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संस्थानों से साझेदारी, शिक्षक प्रशिक्षण, सभी जिलों में मॉडल कॉलेज की स्थापना, महाविद्यालयों में ऑनलाइन प्रवेश कार्यक्रम, प्रत्येक विश्वविद्यालय में दो विभाग को उत्कृष्ट बनाने सहित अनेक कार्यक्रम हाथ में लिये गये हैं।

गाँव की बेटी योजना में वर्ष 2009-10 से अब तक एक लाख 68 हजार 31 छात्रा को लाभान्वित किया गया। वर्ष 2012-13 से योजना में अशासकीय महाविद्यालयों को भी शामिल किया गया है। इसी तरह प्रतिभा किरण योजना में अभी तक 12 हजार 780 छात्रा को लाभान्वित किया गया है।

331 प्रतिभा बेंक का गठन

दूरस्थ अंचल के महाविद्यालयों में अध्ययनरत विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा दिलवाने के उद्देश्य से एम्बेसडर प्रोफेसर योजना प्रारंभ की गई। इसमें 316 एम्बेसडर प्रोफेसर नियुक्त किये गये। प्रतिभा बैंक योजना के माध्यम से उद्योग, बेंकिंग, पत्रकारिता, शिक्षा, साहित्य, चिकित्सा, रंगमंच, संगीत आदि विधाओं से जुड़ी स्थानीय प्रतिभाओं को महाविद्यालयों से जोड़ा गया। इससे विद्यार्थियों और शिक्षकों के बीच सतत साहचर्य विकसित हुआ। प्रदेश के 331 महाविद्यालय में प्रतिभा बेंक का गठन किया जा चुका है।

स्थापित हुए नवीन विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय

प्रदेश में अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, भोपाल, महाराजा छत्रसाल विश्वविद्यालय, छतरपुर के साथ ही 12 निजी विश्वविद्यालय भी प्रदेश में स्थापित हुए। प्रदेश में 77 शासकीय महाविद्यालय स्थापित किये गये और 507 अशासकीय महाविद्यालयों को अनुमति दी गई। विभिन्न महाविद्यालय में 114 नवीन विषय प्रारंभ करने के साथ ही 29 विधि महाविद्यालय भी स्थापित किये गये। निक्षेप योजना में 17 महाविद्यालय भवन एवं 16 कन्या छात्रावास का निर्माण करवाया गया।

वित्तीय वर्ष 2010-11 में 18, वर्ष 2011-12 में 5, वर्ष 2012-13 में 9 और वर्ष 2013-14 में 33 नवीन शासकीय महाविद्यालय की स्थापना की गई। इससे सुदूर अंचल में रहने वाले विद्यार्थियों को भी उच्च शिक्षा की सुविधा उपलब्ध हुई है।

नवाचार

उच्च शिक्षा विभाग द्वारा उच्च शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिये कई नवाचार किये गये हैं। ई-गवर्नेंस को लागू किया गया है। इसके लिये सभी महाविद्यालयों को इलेक्ट्रानिक नेटवर्क से जोड़ कर पारदर्शी तंत्र विकसित किया गया है। विभाग द्वारा जारी किये जाने वाले सभी आदेश और पत्र वेबसाइट पर अपलोड किये जाते हैं। प्रदेश में उच्च शिक्षा विभाग द्वारा कॉलेजों के साथ पोस्टल के माध्यम से पत्र-व्यवहार नहीं किया जा रहा है। छात्रवृत्ति की योजनाओं के लिये ग्लोबल बजट का प्रावधान किया गया है। इससे महाविद्यालय द्वारा लाभान्वित विद्यार्थी के खाते में सीधे कोषालय के माध्यम से राशि ट्रांसफर की जा रही है।

मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है जहाँ वर्ष 2012-13 से ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया अपनायी गई। इससे विद्यार्थी घर बैठे मनचाहे महाविद्यालय और पाठ्यक्रम में प्रवेश की प्रक्रिया पूर्ण कर सकता है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना को वर्ष 2013 में राष्ट्रीय स्तर पर स्कॉच अवार्ड से सम्मानित किया गया है। वर्ष 2014 में लगभग एक लाख 55 हजार विद्यार्थी ने इसके माध्यम से स्नातक स्तर पर प्रवेश लिया।

आधुनिक तकनीक के माध्यम से विद्यार्थियों को शिक्षित करने के उद्देश्य से प्रदेश के प्रत्येक जिले के दो शासकीय महाविद्यालय में वर्चुअल कक्षा लगाई गई। बेहतर संचार सुविधा के लिये प्रदेश के 127 महाविद्यालय में वाई-फाई केम्पस बनाये गये हैं। सभी महाविद्यालय में सेमेस्टर सिस्टम का सफलतापूर्वक संचालन किया गया।

स्मार्ट फोन

राज्य शासन द्वारा प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में स्नातक प्रथम सेमेस्टर में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को नि:शुल्क स्मार्ट-फोन देने का निर्णय लिया गया है। इस शैक्षणिक सत्र 2014-15 में ही महाविद्यालयों के नव-प्रवेशित लगभग एक लाख 55 हजार विद्यार्थी को स्मार्ट-फोन दिये जायेंगे। विद्यार्थियों को यह सुविधा दुनिया के अन्य विकसित देशों के विद्यार्थियों के समकक्ष लाने और ग्लोबलाइजेशन के इस युग में ई-लर्निंग को बढ़ावा देने के लिये संचार के विभिन्न माध्यमों से परिचित करवाने के उद्देश्य से दी जा रही है। साथ ही इससे सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग विद्यार्थी अपने ज्ञान-विज्ञान के संवर्धन के लिये भी कर सकेंगे।

मध्यप्रदेश के मूल निवासी सभी विद्यार्थी, जो स्नातक प्रथम वर्ष में नियमित प्रवेश लेंगे, उन्हें इस योजना का लाभ मिलेगा। इसमें आय-सीमा और जाति का बँधन नहीं है। लाभान्वित विद्यार्थी द्वारा असमय पढ़ाई छोड़ने तथा अध्ययन निरंतर नहीं रखने पर स्मार्ट-फोन वापस ले लिया जायेगा। योजना से दूरस्थ अंचल में स्थित महाविद्यालयों के विद्यार्थी भी लाभान्वित होंगे। इससे सकल मूल्यांकन अनुपात में वृद्धि होगी।

2 वर्ष में सभी रिक्त पदों की पूर्ति

प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों के सभी रिक्त पद को 2 वर्ष में भर दिया जायेगा। इसकी प्रक्रिया भी प्रारंभ कर दी गई है। सहायक प्राध्यापकों के रिक्त 1646 पद पर भर्ती के लिये मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा विज्ञापन जारी किया जा चुका है। इन पद पर भर्ती के लिये अतिथि विद्वानों को प्रतिवर्ष के मान से 4 अंक एवं अधिकतम 20 अंक का अधिभार दिया जायेगा।

उच्च शिक्षा विभाग द्वारा सहायक प्राध्यापकों के अतिरिक्त अन्य रिक्त पदों की भर्ती के लिये भी कार्यवाही की जा रही है। उच्च शिक्षा में विद्यार्थियों का सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) 19.07 प्रतिशत तक पहुँच चुका है। यह राष्ट्रीय अनुपात के बराबर है। विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास के लिये राज्य-स्तरीय व्यक्तित्व विकास प्रकोष्ठ का गठित गया है। सभी जिलों एवं संभाग-स्तर पर प्रकोष्ठ के समन्वयक नियुक्त किये जा चुके हैं।

उच्च शिक्षा के लिये विश्व बेंक से 2500 करोड़ का लोन

उच्च शिक्षा में गुणात्मक सुधार एवं अधोसंरचना विकास के लिये विश्व बेंक से 2500 करोड़ रुपये का सॉफ्ट लोन आगामी पाँच वर्ष में मिलेगा। इस राशि से विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में अधोसंरचना विकास एवं शैक्षणिक परिसर के पर्यावरण सुधार का कार्य करवाया जायेगा। महाविद्यालयों में शैक्षणिक अधोसंरचना के विकास के लिये राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसामें 39 जिले के महाविद्यालयों में विकास कार्य करवाने का निर्णय लिया गया है।

इस शैक्षणिक सत्र में 15 महाविद्यालय में ई-लायब्रेरी तथा 22 महाविद्यालय में आदर्श प्रयोगशाला बनाई जायेंगी। पिछले सत्र में 15 महाविद्यालय में ई-लायब्रेरी एवं 28 महाविद्यालय में आदर्श प्रयोगशाला की स्थापना की जा चुकी है।

मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय अधिनियम-1973 में हुए संशोधन

मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय अधिनियम-1973 में संशोधन किया गया है। इससे विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों के स्थानांतरण के साथ ही उनकी नियुक्तियाँ भी समय पर की जा सकेंगी। इसके साथ ही अन्य संवर्ग के रिक्त पदों पर भी भर्ती की जा सकेगी। यह प्रक्रिया विशेष परिस्थितियों पर ही अपनाई जायेगी।

इस तरह से प्रदेश में उच्च शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए न सिर्फ उत्कृष्ट योजनाएँ बनायी जा रही हैं, अपितु उतनी ही शिद्दत और कुशलता से उनका क्रियान्वयन भी किया जा रहा है।