दिल्ली : कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए सरकार प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत अगले पांच साल में 50,000 करोड़ रुपये खर्च करेगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंत्रिमंडल के फैसलों के बारे में कहा कि फैसला किया गया है कि केंद्रीय बजट से अगले पांच साल में 50,000 करोड़ रुपये का उपयोग प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के लिए किया जाएगा। इसके अलावा इसमें राज्यों का भी योगदान होगा।

उन्होंने कहा कि इसका उपयोग मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के प्रमुख अंगों की सहायता में भी इस्तेमाल किया जा सकेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली आर्थिक मामलों पर मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में कल यह फैसला किया गया। उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में इस काम के लिए 5,300 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। उम्मीद है कि इस साल के खर्च से अतिरिक्त छह लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई के दायरे में लाया जाएगा जबकि पांच लख हेक्टेयर इलाके में ड्रिप सिंचाई की सुविधा की जाएगी।

इसके अलावा इसके तहत 1,300 जल-संभरण परियोजनाओं को पूरा करने का लक्ष्य है। फिलहाल देश में कुल 14.2 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर खेती होती है और इसमें से सिर्फ 45 प्रतिशत कृषि भूमि में ही सिंचायी सुविधाएं हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का मुख्य लक्ष्य खेतों तक सिंचाई की सुविधाओं में निवेश, सिंचाई की सुनिश्चित व्यवस्था के तहत आने वाली खेतीयोग्य भूमि का विस्तार (हर खेत को पानी), खेती में पानी का दक्षता से इस्तेमाल ताकि पानी की बर्बादी रोकी जा सके और जल बचत की अन्य प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल कर हर बूंद से अधिक फसल प्राप्त करना है।

वित्त मंत्री ने कहा कि इसके अलावा इस योजना के लक्ष्यों में जलधारक क्षेत्रों का पुनर्भरण और नगरों के आस पास के इलाकों में खेती के लिए शोधित जल के उपयोग की व्यवहार्यता तलाशना, सतत जल संरक्षण और सुव्यवस्थित सिंचाई में ज्यादा निजी निवेश आकषिर्त करना शामिल है। उन्होंने कहा कि इस योजना का लक्ष्य मंत्रालयों, विभागों, एजेंसियों, अनुसंधान एवं वित्तीय संस्थानों को जल संचय, पुनर्चक्रण, संभावित पुनर्चक्रण के लिए एक मंच पर लाना है ताकि पूरे जल चक्र को व्यापक विचार किया जा सके हर क्षेत्र के लिए उचित जल बजट तैयार किया जाए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि सिचांई याजना का लक्ष्य है राज्य स्तरीय योजना और कार्यान्वयन ढांचे का विकेंद्रीकरण करना है। इसमें राज्यों को जिला सिंचाई याजना (डीआईपी) और राज्य सिंचाई योजना (एसआईपी)  तैयार करने की भी छूट होगी।

जेटली ने कहा कि सरकार ने पिछले एक साल में किसानों के हित में कई पहल की है। इसमें हर किसान को मृदा स्वास्थ्य कार्ड पेश किया जाना शामिल है। उन्होंने कहा कि मृदा एवं उर्वरक परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना के जरिए मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन का संवर्धन किया जा रहा है। अब तक 54 लाख मृदा नमूने इकट्ठे किए गए हैं और विश्लेषण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जैविक खेती के संवर्धन के लिए एक नई योजना परंपरागत कृषि विकास योजना पेश की जा रही है। दूरदर्शन ने किसानों से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए एक प्रतिबद्ध चैनल ‘किसान चैनल’ शुरू किया है। उन्होंने कहा कि विभिन्न खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ा दिया गया है। दलहन के लिए 200 रुपये प्रति क्विंटल बोनस की घोषणा की गई थी। पिछले साल के मुकाबले दलहन का दायरा बढ़ा है।