यह कहानी कुछ अलग है। बच्ची के माता-पिता को कोरोना ने लील लिया और अब इस अनाथ बच्ची के पीछे लोन रिकवरी एजेंट्स पड़े हैं। ऐसी रिपोर्ट देखकर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से नहीं रहा गया और वह खुद इस मामले में दखल कर रही हैं। उन्होंने अधिकारियों से कहा है कि इस मामले को प्रमुखता से देखें।वित्त मंत्री ने डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेज और भारतीय जीवन बीमा निगम को इस मामले की जांच करने करने का निर्देश दिया है। सीतारमण ने ट्वीट कर कहा, कृपया इस मामले की जांच करें। उन्होंने अपने ट्वीट के साथ वह न्यूज रिपोर्ट भी लगाया, जिसका शीर्षक "Orphaned Topper Faces Loan Recovery Notices" था।
भोपाल की 17 वर्षीय वनीशा पाठक के पिता एलआईसी एजेंट का काम करते थे। उन्होंने अपने कार्यालय से लोन लिया था। रिपोर्ट के अनुसार, वनीशा अभी वयस्क नहीं हैं इसलिए भारतीय जीवन बीमा निगम ने उसके पिता के बचत की सभी राशियों के अलावा उस कमीशन पर भी रोक लगा दी, जो उन्हें हर महीने मिला करता था। वनीशा के पिता की मृत्यु 2021 में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान हो गई। रिपोर्ट के अनुसार, उसे 29 लाख रुपये के भुगतान के लिए 2 फरवरी 2022 को अंतिम लीगल नोटिस प्राप्त हुआ था। जिसमें कहा गया था कि या तो वह लोन का पुनर्भुगतान करे या कानूनी कार्रवाई के लिए तैयार रहे।
वनीशा पाठक अभी अपने मामा प्रो. अशोक शर्मा के साथ रह रही हैं। एलआईसी को लिखे अपने पत्र में उसने कहा था- मेरे पिता मिलियन डॉलर राउंड टेबल के सदस्य थे, जो जाना-माना इंश्योरेंस क्लब है। मेरे माता-पिता जीतेंद्र पाठक और सीमा पाठक की मृत्यु कोरोना की वजह से 2021 के मई में हो गई थी। मैं और मेरे 11 साल का भाई विवान अभी अवयस्क हैं और कोविड के कारण अनाथ हो गए हैं। चूंकि, अभी हम वयस्क नहीं है इसलिए मेरे पिता की पॉलिसियां और उनके कमीशन नियमानुसार अभी नहीं निकाला जा सकता। हमारी सभी आर्थिक और वित्तीय आय के स्रोत बाधित हैं, हमारी आय का कोई स्रोत नहीं है। इसलिए, सभी कर्जों का पुनर्भुगतान तभी किया जा सकता है जब मैं 18 वर्ष की हो जाती हूं।