जबलपुर में कोविड के बाद डेंगू से हाहाकार मचा हुआ है। आलम ये कि शहर के रांझी क्षेत्र में हर घर में दो से तीन डेंगू से पीड़ित निकल रहे हैं। सरकारी आंकड़ों में 8 सितंबर को 22 नए मरीज डेंगू के मिले हैं। अब तक 46 पुलिस वालों सहित 355 लोग डेंगू से पीड़ित मिले हैं। पर हाल इससे भी अधिक भयावह है। अस्पतालों में डेंगू और वायरल-फीवर से बेड भरे पड़े हैं। विक्टोरिया जिला अस्पताल के चिल्ड्रेन वार्ड में 24 बेड पर 48 डेंगू से पीड़ित बच्चे भर्ती हैं। मेडिकल और शहर के निजी अस्पतालों का भी यही हाल है।

डेंगू को लेकर सरकारी आंकड़ों से इतर शासकीय और निजी अस्पतालों में 3500 के लगभग मरीज भर्ती हैं। स्वास्थ्य विभाग जहां एलायजा टेस्ट के आधार पर ही डेंगू की पुष्टि को सच मान रहा है। वहीं प्राइवेट अस्पतालों में किट की जांच में रोज 100 से 150 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हो रही है। अस्पतालों में पलंग पाने के लिए मरीजों को दो से तीन दिन की वेटिंग करनी पड़ रही है। शहर में सबसे भयावह हालात रांझी क्षेत्र के हैं। यहां डेंगू से अब तक पूर्व पार्षद की पत्नी सहित 8 लोगों की मौत हो चुकी है।

चार अस्पतालों में रांझी के 150 मरीज भर्ती

रांझी क्षेत्र में डेंगू से पीड़ितों की हालत का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि शहर के चार निजी अस्पतालों में 150 मरीज िसर्फ रांझी के हैं। बापू नगर में अनिल सोनकर के परिवार में सभी को डेंगू हो चुका है। मानेगांव में संजय दुबे के दो भाई, उनकी पत्नी सहित 6 लोग डेंगू की चपेट में आ चुके हैं। रांझी के रक्षा कॉलोनी, मोहनिया, मानेगांव, बड़ा पत्थर, चुंगी चौकी में हर घर में कोई न कोई डेंगू से पीड़ित है।

शहर में ये क्षेत्र डेंगू के बने गढ़

रांझी, गढ़ा, घमापुर, सिविल लाइंस, बिलहरी, तिलहरी, अधारताल, रिछाई, महाराजपुर, रानीताल क्षेत्र में सबसे अधिक डेंगू के मरीज सामने आ रहे हैं। अस्पतालों में बेड की कमी के साथ ही पैथालॉजी केंद्रों में डेंगू जांच में उपयोगी किट का ही टोटा हो गया है। ब्लड बैंकों में प्लेटलेट्स खरीदने के लिए मरीजों के परिजन सुबह से लेकर देर रात तक भटक रहे हैं। किट की कमी के कारण सिंगल डोनर प्लेटलेट्स नहीं मिल पा रही है। प्लेटलेट्स की कमी के कारण डेंगू के कई मरीज गंभीर हालत में पहुंच रहे हैं। उन्हें आईसीयू में रखना पड़ रहा है।

बच्चों में डेंगू के साथ वायरल-फीवर के मामले बढ़े

शहर में विक्टोरिया, मेडिकल और 10 निजी चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में 1000 के लगभग बच्चे डेंगू और वायरल फीवर के भर्ती हैं। विक्टोरिया में तो 24 बेड पर 48 बच्चे भर्ती हैं। मेडिकल कालेज अस्पताल के शिशु रोग विभागध्यक्ष डॉ. अव्यक्त अग्रवाल के मुताबिक डेंगू के मरीज प्लेटलेट्स की कमी से नहीं बल्कि हेमेटोक्रिट बढ़ने के कारण गंभीर हो रहे हैं। डेंगू के मरीजों को समय पर दवा लेने और पर्याप्त मात्रा में पानी पीने की सलाह दी जा रही है।

क्या है हेमेटोक्रिट-

डॉ. अग्रवाल के मुताबिक खून की सीबीसी जांच से इसका पता चलता है। हेमेटोक्रिट बढ़ने का मतलब मरीज के रक्त में तरल पदार्थ की कमी हो रही है। ऐसे मरीजों को पर्याप्त मात्रा में पानी, नारियल पानी, ओआरएस का घोल, दाल का पानी देना चाहिए। खून में द्रव्य की कमी का सेहत पर बुरा असर पड़ता है। मरीज मल्टी आर्गन फेल्योर की हालत में जा सकता है। डेंगू ग्रस्त मरीज के शरीर में पानी की कमी गंभीर खतरा बन सकती है। उन्होंने कहा कि प्लेटलेट्स की कमी से डेंगू मरीज को जोखिम नहीं होता है।