जयपुर । दो साल पूर्व गहलोत और पायलट गुट में बंटी कांग्रेस में अब सुलह की किरणें फूटी है जिसके तहत पायलट गुट के माने जाने वाले विधायकों को सत्ता में भागीदारी के लिए पदो पर नियुक्ति की सौगात देना शुरू हो गया है। सूत्रों का कहना है कि सचिन पायलट को एआईसीसी में महासचिव पद देने पर सहमति बन चुकी है वहीं, इसकी शुरुआत विधानसभा की कमेटियों में पायलट गुट की भागीदारी से हुई है  खुद सचिन पायलट को विधानसभा की एथिक्स कमेटी में शामिल किया गया। पायलट गुट के ही नेता दीपेंद्र सिंह शेखावत को एथिक्स कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया. पायलट गुट के हटाए गए मंत्री रमेश मीणा और विश्वेंद्र सिंह को सदस्य मनोनीत किया गया. इतना ही नहीं, नाराज होकर विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने वाले पायलट गुट के विधायक हेमाराम चौधरी को विधानसभा की राजकीय उपक्रम समिति का अध्यक्ष बनाया गया. इससे साफ है कि हेमाराम का इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ और उन्हें मना लिया गया। पायलट गुट के विधायक इंद्रराज गुर्जर, वेद प्रकाश सोलंकी, मुरारी मीणा और हरीश मीणा को भी विधानसभा की समितियों में शामिल कर पायलट गुट की नाराजगी दूर करने की कोशिश की गई है माना जा रहा है कि सुलह कि इस कडी में अन्य राजनैतिक नियुक्तियों में पायलट समर्थकों को जगह दी जा सकती है। कांग्रेस की अंदरूनी राजनैतिक मामलों के जानकारों का कहना है कि कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी तीनों ने मिलकर राजसथान के इस संकट को हल करने के तौर पर मुख्यमंत्री गहलोत और तथाकथित पायलट गुट के कहे जाने वाले नाराज विधायकों और पदाधिकारियों को सत्ता में भागीदारी देकर राज्य में दो गुटो में बंटी कांगे्रस को एक गुट में करने के निर्णय में उपरोक्त कदम उठाया है।