नई दिल्ली : देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में समर्पित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि जो राष्ट्र अपने इतिहास का सम्मान नहीं करता, वह इसका सृजन नहीं कर सकता। उन्होंने वर्ष 1984 में आज ही के दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए सिख विरोधी दंगों का अप्रत्यक्ष जिक्र भी किया। ‘लौह पुरूष’ के तौर पर लोकप्रिय सरदार पटेल के सम्मान में आयोजित समारोह में उनके योगदान को रेखांकित करते हुए सरकार ने स्पष्ट किया कि यह पहल किसी अन्य नेता के योगदान को कमतर करने का प्रयास नहीं है।

मोदी ने कहा, ‘ हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जो राष्ट्र अपने इतिहास का सम्मान नहीं करता है, वह इसका सृजन कभी नहीं कर सकता.. इतिहास, विरासत को विचारधारा के संकीर्ण दायरे में विभाजित मत कीजिये ।’ देश के पहले गृह मंत्री सरदार पटेल के 139वें जन्मदिन को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने ‘रन फार यूनिटी’ को हरी झंडी दिखाई। मोदी ने कहा कि सरदार पटेल ने अपना पूरा जीवन देश की एकता के लिए समर्पित कर दिया और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि 30 वर्ष पहले उनकी जयंती पर ‘हमारे अपने लोग’ मारे गए। उनकी टिप्पणी एक तरह से वर्ष 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए दंगों को लेकर थी।

मोदी ने कहा, ‘अपने राजनीतिक जीवन में बाधा आने के बावजूद पटेल राष्ट्रीय एकता की अपनी सोच से कभी विचलित नहीं हुए । यह देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है कि 30 वर्ष पहले ऐसे नेता की जयंती पर ऐसी घटना हुई जिसने राष्ट्र की एकता को हिला दिया।’’ मोदी ने कहा, ‘ हमारे अपने लोगों मौत के घाट उतार दिया गया। यह घटना एक विशेष धर्म के लोगों के दिलों पर ही घाव नहीं है बल्कि हजारों वर्ष की देश की धरोहर एवं संस्कृति के हृदय में लगा खंजर है।’’ उन्होंने यह भी कहा कि आज पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि है।
 
स्वतंत्रता आंदोलन में सरदार पटेल के योगदान को याद करते हुए मोदी ने कहा कि महात्मा गांधी ने उन्हें ऐतिहासिक दांडी यात्रा की योजना बनाने का दायित्व सौंपा था जिसे उन्होंने सफलतापूर्वक पूरा किया। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘ जब हम रामकृष्ण परमहंस को देखते हैं तब ऐसा लगता है कि वह स्वामी विवेकानंद के बिना पूर्ण नहीं हैं। इसी तरह से जब हम महात्मा गांधी को देखते हैं तब भी वह सरदार पटेल के बिना अधूरे प्रतीत होते हैं।’

इससे पहले प्रधानमंत्री का स्वागत करते हुए शहरी विकास मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा, ‘ अगर सरदार पटेल देश के पहले प्रधानमंत्री होते, तब इतिहास कुछ और होता। ऐसा कई लोग महसूस करते हैं।’ उन्होंने यह भी कहा कि समारोह का उद्देश्य किसी दूसरे राजनीतिक नेता के योगदान को कमतर करना नहीं है। संघ का हमेशा से यह मानना रहा है कि उत्तरोत्तर सरकारों ने जवाहर लाल नेहरू और नेहरू गांधी परिवार के योगदान को दूसरों से अधिक तवज्जो दी।

‘रन फार यूनिटी’ को हरी झंडी दिखने के बाद मोदी ने कुछ दूर तेज चलकर दौड़ का नेतृत्व भी किया। इस दौड़ में सुशील कुमार, विजेन्दर सिंह, वीरेन्द्र सहवाग और गौतम गंभीर जैसे खिलाड़ियों ने भी हिस्सा लिया। केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज, वेंकैया नायडू, अरूण जेटली एवं अन्य के साथ प्रधानमंत्री ने दौड़ में हिस्सा लेने वालों को एकता की शपथ दिलायी। इससे पहले मोदी ने पटेल चौक पर सरदार पटेल की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की जिसे इस अवसर पर सजाया गया था।

सरदार पटेल की तुलना चाणक्य से करते हुए मोदी ने कहा, ‘ देश सरदार पटेल को कभी नहीं भूल सकता। शताब्दियों पहले, चाणक्य ने छोटी रियासतों को एकजुट करके एक मजबूत ढांचा स्थापित करने का सफल प्रयोग किया था।’ उन्होंने कहा, ‘ आजादी के बाद यही काम उस व्यक्ति सरदार वल्लभभाई पटेल ने किया जिनकी आज हम जयंती मना रहे हैं।’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक ऐसा व्यक्ति जिसने अपना पूरा जीवन भारत की एकता के लिए समर्पित कर दिया उसे अपने राजनीतिक जीवन में विरोध और आलोचनाओं का सामना करना पड़ा लेकिन वह देश को एकजुट रखने के अपने लक्ष्य से कभी विचलित नहीं हुआ।’ ‘रन फार यूनिटी’ में हिस्सा लेने वाले लोगों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, ‘ हमारी संस्कृति और विरासत विविधता में एकता की है। हमें जाति, समुदाय, भाषा के विभेदों से उपर उठना चाहिए।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि सरदार पटेल ने अपने कौशल, दूरदृष्टि और देशभक्ति से देश को एक सूत्र में पिरोया। विभाजन के बाद देश को एकजुट रखने में पटेल के योगदान को याद करते हुए मोदी ने कहा, ‘ सरदार पटेल ने भारत को कई छोटे क्षेत्रों में विभाजित करने की अंग्रेजों की योजना ध्वस्त कर दी। उन्होंने अकेले सभी 550 क्षेत्रों का देश में विलय किया।’