मुंबई : बीजेपी ने भले ही महाराष्ट्र में नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक दिवाली तक टाल दी हो, लेकिन राज्य में सरकार बनाने को लेकर शिवसेना के साथ पर्दे के पीछे बातचीत चल रही है। हालांकि, अभी बातचीत किसी समझौते तक नहीं पहुंची है। शिवसेना के रुख में नरमी आई है और पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं ने महाराष्ट्र में अगले सरकार के लिए किसी फॉर्म्युले पर पहुंचने के मकसद से बीजेपी नेताओं से दिल्ली पहुंचकर बात की है।

बीजेपी नेताओं से भी संकेत मिल रहे हैं कि अगली सरकार शिवसेना के सहयोग से बन सकती है। बीजेपी ने कहा था कि वह शिवसेना से तभी बात करेगी, जब पार्टी उसे बिना किसी शर्त के समर्थन देने की घोषणा करे और नई सरकार में खास पदों की मांग न करे। शिवसेना के सांसद अनिल देसाई और वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक सुभाष देसाई मंगलवार रात को दिल्ली में बीजेपी के जे पी नड्डा से मिलने पहुंचे। ये दोनों नेता सुबह बात करने के बाद मुंबई रवाना हो गए।

दोनों नेताओं की बीजेपी नेता से क्या बात हुई इसका ब्योरा अभी नहीं मिल पाया है। सूत्रों का कहना है कि दोनों शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से मिलकर बातचीत के बारे में बताएंगे और उसके बाद पार्टी अगला कमद उठाएगी। संभावना जताई जा रही है कि बातचीत सही दिशा में आगे बढ़ी तो उद्धव खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दिल्ली आकर मिल सकते हैं।

शिवसेना के नेतृत्व पर अपने विधायकों की ओर से बीजेपी के साथ समझौता करने और सरकार में शामिल होने का दबाव है। पार्टी ने मंगलवार को अपने कुछ विधायकों के साथ मुंबई में एक और मीटिंग की। ज्यादातर विधायकों का मानना था कि उनकी पार्टी को सरकार में शामिल होना चाहिए और बिना अधिक पूर्व शर्तों के बीजेपी को समर्थन की पेशकश करनी चाहिए। बीजेपी ने संकेत दिए थे कि वह बिना शिवसेना से बात किए स्वतंत्र विधायकों के समर्थन से अल्पमत सरकार बना सकती है और इसके बाद सदन में बहुमत साबित करने के लिए काम कर सकती है। अब शिवसेना के तेवर ढीले पड़ने से स्थिति बदलती दिख रही है।

एनसीपी की मदद नहीं पसंद

पार्टी सूत्रों के मुताबिक, शिवसेना पर दबाव बनाने के लिए मंगलवार को ही विधायक दल की बैठक बुलाकर मुख्यमंत्री चुनना तय किया गया था। पार्टी का एक बड़ा वर्ग और खुद आरएसएस भी नहीं चाहता कि बीजेपी सरकार बनाने में एनसीपी की मदद ले। हालांकि इस वर्ग के नेता यह भी चाहते हैं कि शिवसेना के सामने झुका न जाए बल्कि बीच का ही कोई रास्ता निकाला जाए।

फिलहाल समर्थन पर बयान नहीं

पार्टी सूत्रों का कहना है कि जब तक शिवसेना के साथ बातचीत किसी नतीजे पर नहीं पहुंच जाती, तब तक एनसीपी का समर्थन लेने या न लेने के बारे में पार्टी कोई सार्वजनिक बयान जारी नहीं करेगी। पार्टी संसदीय बोर्ड के एक सीनियर नेता के मुताबिक, बीजेपी के पास दो विकल्प हैं और इन दोनों पर विचार हो रहा है। बात बनती है, तो शिवसेना पार्टी के लिए उम्दा विकल्प है।

छोटे दलों के समर्थन के लिए टीम

सूत्रों का कहना है कि पार्टी की एक टीम को निर्दलीय और छोटे दलों के समर्थन जुटाने का जिम्मा भी दिया गया है। इस पर काम चल रहा है। पार्टी को लग रहा है कि अगर इनके भरोसे बहुमत हो जाता है, तो पार्टी शिवसेना के बिना भी सरकार बना सकती है। विधायक दल की बैठक टालने की वजह यह भी है कि अब बीजेपी नहीं चाहती कि सिर्फ सीएम के नाम को लेकर विवाद हो।

मुख्यमंत्री पद के लिए कयास

गडकरी खेमा यह भी नहीं चाहता कि महाराष्ट्र की राजनीति में गडकरी को चुनौती देने वाला गोपीनाथ मुंडे के बाद कोई दूसरा नेता पनपे। सूत्र यह भी बता रहे हैं कि फडणवीस को दूर रखने की रणनीति के तहत ही पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुधीर मुनगंटीवार से मंगलवार को यह बयान दिलाया गया कि बीजेपी नेता गडकरी को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं। कहा जा रहा है कि गडकरी अगर खुद नहीं तो मुनगंटीवार के नाम पर सहमत हो सकते हैं।

चुनाव में बीजेपी के प्रदेश प्रभारी ओपी माथुर ने बयान देकर गठबंधन में पार्टी की स्थिति पहले ही स्पष्ट कर दी है। माथुर ने कहा था कि हमारा दल राज्य में नया 'बड़ा भाई' है और जनादेश नहीं मिलने पर दूसरे दलों को खुद को बड़ा नहीं मानना चाहिए। हमारी बहुत अच्छी तरह जीत हुई है, कुछ सीटें कम होने से अन्य दलों को आगे आकर प्रस्ताव देना और समर्थन जताना सामान्य बात है। अंतिम निर्णय हमारी पार्टी का संसदीय बोर्ड करेगा।