रायपुर :  दंतेवाड़ा जिले के कुआकोंडा विकासखंड के ग्राम बेदीपारा की किशोरी पूर्णिमा नागवंशी आज युवाओं के लिए मिसाल बन गई हैं। हाल ही में आयोजित एक कार्यशाला में भाग लेने के बाद पूर्णिमा ने अपने घर में ष्पढ़ाई का कोनाष् तैयार कर शिक्षा के प्रति नई पहल की शुरुआत की है।
जिला प्रशासन, यूनिसेफ और सर्वहितम के संयुक्त प्रयासों से आयोजित की गई थी, इस कार्यशाला में मितानिन दीदियों, ग्रामीण महिलाओं, अभिभावकों और किशोर-किशोरियों ने हिस्सा लिया। इसमें रूप नहीं गुण को देखो, आज क्या सीखा और पढ़ाई का कोना जैसे कार्यक्रमों पर प्रशिक्षण दिया गया।
पूर्णिमा नागवंशी, जो इस कार्यशाला की प्रतिभागी थीं, ने इस पहल के महत्त्व को गंभीरता से समझा। घर लौटकर उन्होंने अपनी मां की पुरानी साड़ी से एक घेरा बनाकर एक शांत और सुव्यवस्थित अध्ययन स्थल तैयार किया। उन्होंने वहां अपनी किताबें सजाईं, दीवार पर पढ़ाई का रूटीन चिपकाया और उसी स्थान को अपनी नियमित पढ़ाई का केंद्र बना लिया।

पूर्णिमा का कहना है, अब मुझे पढ़ाई में पहले से ज्यादा रुचि हो रही है। मेरे माता-पिता भी अब मेरा उत्साहवर्धन कर रहे हैं। वह अब अपने गांव के अन्य किशोर-किशोरियों को भी पढ़ाई का कोना बनाने के लिए प्रेरित कर रही हैं। उनका उद्देश्य है कि हर बच्चा पढ़ाई के लिए एक समर्पित स्थान बनाए, जिससे अनुशासित और केंद्रित अध्ययन की आदत विकसित विकसित कर सके। पूर्णिमा का यह प्रयास न केवल व्यक्तिगत विकास की दिशा में एक मजबूत कदम है, बल्कि यह गांव के अन्य किशोर-किशोरियों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन रहा है।

गौरतलब है कि रूप नहीं गुण को देखो, आज क्या सीखा और पढ़ाई का कोना जैसे कार्यक्रम वर्तमान में दंतेवाड़ा जिले के 100 चयनित गांवों में किशोरों के समग्र विकास के उद्देश्य से क्रियान्वित किए जा रहे हैं।