उज्जैन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 अक्टूबर 2022 को उज्जैन पहुंचकर महाकाल महालोक का लोकार्पण किया था. महाकाल महालोक बनने के बाद बड़ी संख्या में पर्यटक उज्जैन आने लगे, लेकिन एक साल बाद साल 2023 के मई महीने में महाकाल महालोक में लगी सप्त ऋषि की प्रतिमाएं आंधी तूफान और तेज बारिश में गिर गईं थी, जिसका वीडियो जमकर वायरल हुआ था. अब एक बार फिर 6 जून 2025 को महाकाल महालोक में लगी त्रिपुरासुर संहार प्रतिमा के रथ का छत्र आंधी तूफान में क्षतिग्रस्त हुआ और प्रतिमा के अन्य भाग भी प्रभावित हुए हैं. इस हादसे के बाद मंदिर समिति ने प्रतिमा को कपड़े से ढक दिया है.

कलेक्टर ने प्रतिमा के खंडित होने का किया खंडन
त्रिपुरासुर संहार प्रतिमा को लेकर उज्जैन कलेक्टर रोशन कुमार सिंह ने कहा, "मैं प्रतिमा के खंडित होने का खंडन करता हूं. मध्य प्रदेश सरकार के निर्देश पर स्मार्ट सिटी के माध्यम से पत्थर की प्रतिमाओं को बनाकर सभी प्रतिमाओं का रिप्लेसमेंट किया जा रहा है. पत्थर की प्रतिमाओं को बनाने का काम भी शुरू हो गया है."

ये है प्रतिमा की खासियत
त्रिपुरासुर संहार की प्रतिमा की खासियत की बात करें तो प्रतिमा में भगवान शिव रथ पर सवार होकर धनुष हाथ में लिए असुर का वध करते हुए दिखाई पड़ रहे हैं. यह प्रतिमा महाकाल महलोक में रुद्र सागर और त्रिवेणी संग्रहालय के बीच में बनी हुई है. धनुष द्वार के ठीक सामने लगी ये प्रतिमा अन्य प्रतिमाओं के मुकाबले विशाल है.

एफआरपी की बनी है प्रतिमाएं
दरअसल, वर्ष 2023 में जब सप्त ऋषियों की प्रतिमाएं आंधी तूफान बारिश में मई महीने में गिरी थी. तब यह प्रतिमाएं एफआरपी (फाइबर रिइंफोर्स प्लास्टिक) की बनाई गई प्रतिमाएं थी. सप्त ऋषियों की प्रतिमाएं तो तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आदेश पर बदल दी गई, लेकिन अब अन्य प्रतिमाओं को लेकर मध्य प्रदेश की डॉक्टर मोहन सरकार पत्थरों की प्रतिमाएं स्मार्ट सिटी के माध्यम से बनवाने का कार्य करवा रही है. इसको लेकर कलेक्टर रोशन कुमार सिंह ने कहा कि काम लगातार जारी है.

अहमदाबाद से विशेषज्ञों की टीम आई
स्मार्ट सिटी के सीईओ संदीप शिवा ने कहा, "अहमदाबाद से विशेषज्ञों की टीम ने प्रतिमाओं का निरीक्षण किया है. प्रतिमाओं के संधारण के लिए आसपास बैरिकेडिंग किया गया है, जिससे कि काम में किसी प्रकार का व्यवधान न हो.

फिर बदली जाएंगी सप्त ऋषियों की प्रतिमाएं
वर्ष 2023 में सप्त ऋषियों की प्रतिमाएं गिरने के बाद नई प्रतिमाएं लगाई गई थी, लेकिन अब दोबारा इन प्रतिमाओं को बदला जाएगा. अब जो प्रतिमाएं लगेगी वह सभी पत्थर की होगी. 2.50 करोड़ रुपए की लागत से सप्त ऋषियों की प्रतिमाएं बनाने का कार्य ओडिशा के कलाकारों द्वारा शुरू कर दिया गया है.

बंशी पहाड़पुर के पत्थर से बनेंगी प्रतिमाएं
पत्थर की जो प्रतिमाएं बनाई जा रही हैं, उनमें बंसी पहाड़पुर के पत्थर इस्तेमाल किए जा रहे हैं. बताया जा रहा है कि 35 लाख रुपए कीमत एक प्रतिमा की होगी. पत्थर से बनने वाली यह मूर्तियां 10 फीट चौड़ी, 15 फीट ऊंची और 4.5 फीट मोटी होगी. इसी तरह सप्त ऋषियों की प्रतिमाओं के साथ सभी प्रतिमाओं को बंसी पहाड़पुर के पत्थरों से निर्मित कर बदल जाएगा.