
राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर का अजब-गजब अंदाज देखने को मिला. पूर्व सरपंच ने अपनी मांग के निवेदन को लेकर मंत्री के पैर छू लिए तो शिक्षा मंत्री दिलावर नाराज हो गए और कहा कि अब तो बिल्कुल भी नहीं करूंगा. ऐसे में पूर्व सरपंच डर गए और कान पकड़कर माफी मांगने लगे, लेकिन मंत्री जी मानने को तैयार ही नहीं हुए. उल्टा और नाराज होते हुए बोले, “इतना जल्दी तो नहीं मानू मैं.” पूर्व सरपंच काफी देर तक मंत्री जी के सामने गिड़गिड़ाते रहे, लेकिन मंत्री ने उनकी एक भी नहीं सुनी.
दरअसल, शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ‘पर्यावरण दिवस’ पर जोधपुर के बनाड क्षेत्र में अमृत सरोवर का पूजन करने के लिए पहुंचे थे. इस दौरान पूर्व सरपंच गोपाराम कड़वासरा ने अपने बनाड़ क्षेत्र में बालक-बालिकाओं के विद्यालयों को विलय करने के बाद में फिर से वापस अलग-अलग करने का अनुरोध किया. अपने निवेदन को आगे रखते हुए पूर्व सरपंच गोपाराम कड़वासरा ने मंत्री जी के पैर छू लिए तो मंत्री जी नाराज हो गए. मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि, “आपने पैर क्यों छुए. अब मैं आपका काम करता तो भी नहीं करूंगा.”
पैर छूने से मंत्री जी हो गए नाराज
मंत्री मदन दिलावर के जाने के बाद में पूर्व सरपंच गोपाराम कड़वासरा से मंत्री जी के पैर छूने और उनके नाराज होने का कारण पूछा गया तो उन्होंने बताया कि मेरे क्षेत्र में बालक विद्यालय में बालिका विद्यालय का विलय कर दिया गया है. उसको अलग करने के लिए शिक्षा मंत्री से निवेदन किया था कि इसको वापस अलग करो तो उन्होंने कहा कि मैं करता होता तो भी नहीं करूंगा. इस पर मैंने वापस कहा कि गलती मानता हूं. कान पकड़ लेता हूं. माफ करो. उन्होंने कहा कि ऐसे आसानी से माफी नहीं मिलेगी.
पूर्व सरपंच की मंत्री से क्या मांग थी?
पूर्व सरपंच ने कहा कि आज दुनिया में सब कुछ बालिकाएं ही हैं. बालिकाओं से ऊपर कुछ भी नहीं है. सरकार की मंशा समझ नहीं आती, क्यों विलय नहीं कर रही है. सरकार बजट दें, नए स्कूल बनाए. 10वीं से लेकर 12वीं तक अलग करें. गौरतलब है कि नई शिक्षा नीति के तहत जिन स्कूलों में नामांकन कम थे, उन्हें बंद कर दिया. या फिर जिन स्कूलों में दो पारी में बालक और बालिकाओं की अलग-अलग क्लास लगती थीं, नामांकन कम था, उन्हें विलय कर एक साथ चलाने के आदेश कर दिए. हालांकि इस फैसले का पूरे राजस्थान में विरोध हुआ था.