
रांची: बोकारो के तेतुलिया मौजा में 74.38 एकड़ वन भूमि घोटाला मामले में मनी लांड्रिंग के तहत जांच कर रही ईडी को जांच में जालसाजी से संबंधित कई महत्वपूर्ण साक्ष्य मिले हैं। ईडी को जांच में जानकारी मिली है कि राजस्व उप निरीक्षक की अनुशंसा को दबाकर आरोपितों ने वन भूमि की 74.38 एकड़ जमीन को प्रतिबंधित सूची से बाहर कर दिया।
बदली गई रिपोर्ट
सीओ ने राजस्व उप निरीक्षक की अनुशंसा को दबाकर अपनी रिपोर्ट बदली थी। इस पर वन विभाग से एनओसी भी नहीं लिया गया था और फर्जी कागजात तैयार कर उक्त जमीन की खरीद-बिक्री भी कर दी थी।
ईडी को इससे संबंधित पर्याप्त साक्ष्य मिले हैं, जिसका एजेंसी विश्लेषण व सत्यापन कर रही है। इस पूरे मामले की जांच कर रही ईडी ने 22 अप्रैल को झारखंड व बिहार से जुड़े 16 ठिकानों पर एक साथ छापामारी की थी।
इस छापामारी में जालसाजी से संबंधित सबूत भी मिले थे, जिसके विश्लेषण के बाद ही ये जानकारियां सामने आई हैं
उपायुक्त को भी अंधेरे में रखा गया
बोकारो के उपायुक्त को भी नीचे के अधिकारियों ने अंधेरे में रखकर वन भूमि की उक्त जमीन को प्रतिबंधित सूची से बाहर कराया था। उपायुक्त बोकारो ने तेतुलिया मौजा की विवादित 74.38 एकड़ जमीन के संबंध में 12 जून 2024 को अंचलाधिकारी चास से 11 बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी थी और प्रतिबंधित सूची से हटाने या नहीं हटाने के बिंदु पर स्पष्ट अनुशंसा सहित मंतव्य की मांग की थी।
इस अनुशंसा में भी तत्कालीन सीओ ने राजस्व उप निरीक्षक की रिपोर्ट के तथ्यों को बदलकर अपनी रिपोर्ट दी थी। राजस्व उप निरीक्षक ने वन विभाग से रिपोर्ट मंगाकर ही आगे कुछ निर्णय लेने की अनुशंसा की थी, जिसे सीओ ने अपनी रिपोर्ट में अनदेखी की थी। ईडी की जांच में इसका खुलासा हुआ है।