
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मुर्शिदाबाद हिंसा को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि मुर्शिदाबाद में अराजकता फैलाने के लिए बाहर से लोग आए थे। पुलिस को मामले की विस्तृत जांच करने के आदेश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर कुछ फर्जी तस्वीरें शेयर की जा रही हैं, जिसमें कहा जा रहा है कि यह घटना बंगाल में हुई है। लेकिन ऐसा नहीं है। हमें असली स्रोत की पहचान करनी होगी। ममता ने कहा कि अगर हम स्रोत की पहचान नहीं करेंगे और ऐसी चीजों पर ध्यान नहीं देंगे, तो इससे सिर्फ उकसावे की स्थिति बनेगी और सीमा पर शांति भंग होगी। इससे सबसे ज्यादा नुकसान आम लोगों और प्रशासनिक अधिकारियों को हो रहा है, इसलिए हम सभी को शांति बनाए रखने के लिए कंधे से कंधा मिलाकर काम करना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसा संभव नहीं है कि सिर्फ प्रशासन ही काम करेगा। हमें भी अपनी भूमिका निभानी होगी। डीएम और एसपी अपने इलाके में सोशल मीडिया को लेकर सतर्क रहें, क्योंकि किसी भी तरह का उकसावा पैदा हो सकता है।
सीमावर्ती इलाका बेहद संवेदनशील:
ममता ने कहा कि सीमावर्ती इलाका बेहद संवेदनशील है। कुछ दिन पहले सीतलकुची से एक व्यक्ति को पकड़ा गया था। वह किसान था और अपनी जमीन पर खेती कर रहा था। उसकी कोई गलती नहीं थी। उन्होंने कहा कि जब मुझे खबर मिली तो हमने तुरंत कार्रवाई की, उसे जमानत दिलवाई और वापस लाया। सीमावर्ती इलाकों में ऐसी चीजें चल रही हैं। सभी को सतर्क रहना चाहिए। बीएसएफ सीमा पर है, इसका मतलब यह नहीं है कि आईसी और ओसी आंखें मूंद लेंगे।
रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे:
मुर्शिदाबाद हिंसा पर जो रिपोर्ट सामने आई है, उसमें चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। कोलकाता हाईकोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंदुओं को निशाना बनाया गया। इस दौरान पुलिस मूकदर्शक बनी रही। पुलिस ने हिंसा नहीं रोकी, बल्कि तृणमूल कांग्रेस को संरक्षण दिया। पानी की आपूर्ति रोक दी गई ताकि वे आग न बुझा सकें। वक्फ संशोधन अधिनियम के विरोध में मुर्शिदाबाद में हिंसा भड़क उठी।
पश्चिम बंगाल सरकार हिंदू विरोधी है- भाजपा:
जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद भाजपा ने टीएमसी पर हमला बोला है। भाजपा ने कहा कि मुर्शिदाबाद में हिंदुओं को निशाना बनाया गया। उनके घर जला दिए गए। जांच में टीएमसी पार्षद महबूब आलम का नाम सामने आया है। हिंसा में टीएमसी नेता और विधायक का भी नाम आया है। भाजपा ने कहा कि स्थानीय पार्षद महबूब आलम के उकसावे पर हिंसा हुई। हिंसा के दौरान पुलिस प्रशासन मूकदर्शक बना रहा। भाजपा ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार हिंदू विरोधी है। हिंदुओं के खिलाफ हिंसा पर विपक्ष चुप रहा।