रायपुर: कोंडागांव आदिवासी बहुल जिला है, जहां लोग आजीविका के लिए कृषि के साथ-साथ छोटे पैमाने पर पशुपालन भी करते हैं, जो परिवार के लिए आय का जरिया भी है। अधिकांश पशुपालक सीमित संसाधनों में पारंपरिक पशुपालन करते हैं, ऐसे में जब पशुओं में कोई गंभीर बीमारी आ जाती है तो जानकारी के अभाव में उन्हें समय पर उचित उपचार नहीं मिल पाता है। नतीजतन पशुओं की मौत के साथ-साथ पशुपालकों को आर्थिक नुकसान भी होता है। लेकिन अब यह तस्वीर बदल रही है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में केंद्र और राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का धरातल पर सफलतापूर्वक क्रियान्वयन हो रहा है।
राज्य सरकार सभी वर्गों के विकास के लिए योजनाएं बनाकर उन्हें लाभान्वित कर रही है। सरकार ने किसानों और पशुपालकों को भी विशेष प्राथमिकता दी है। इसी सोच का परिणाम है मोबाइल पशु चिकित्सा इकाई, जो अब कोंडागांव के सुदूर वनांचल क्षेत्रों में भी उम्मीद की नई किरण बन गई है। जहां पहले बीमार पशु का समय पर इलाज संभव नहीं था, वहीं अब वही इलाज पशुपालकों के दरवाजे पर पहुंच रहा है। एम.वी.यू. एलएचडीसीपी योजना के तहत संचालित यह सेवा जिले के सभी विकास खंडों में नियमित रूप से काम कर रही है। 14 सितंबर 2023 से शुरू हुई यह सेवा न केवल आंकड़ों में बल्कि लोगों की मुस्कान और विश्वास में भी दिखाई दे रही है।
वर्ष 2024-25 में अब तक यह सेवा जिले के 4643 गांवों तक पहुंच चुकी है और 56210 पशु-पक्षियों का एम.वी.यू. द्वारा इलाज किया जा चुका है, साथ ही 56410 पशुपालकों को निःशुल्क दवाइयां वितरित की जा चुकी हैं। 578 गायों में कृत्रिम गर्भाधान किया जा चुका है, 3150 अवर सांडों का बधियाकरण किया जा चुका है, 23002 पशुओं की जांच की जा चुकी है और 135586 पशु-पक्षियों का टीकाकरण कर उन्हें बीमारियों से बचाया जा चुका है।
पशु चिकित्सा विभाग के निर्देशन में एम.वी.यू. प्रतिदिन तीन गांवों में पहुंचकर न केवल इलाज करती है, बल्कि पशुपालकों को आवश्यक जानकारी और सलाह भी देती है। मोबाइल पशु चिकित्सा इकाई न केवल इलाज बल्कि आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता भी लाती है। अब जिले के जंगलों में न तो इलाज में देरी हो रही है और न ही दवाइयों की कमी। इस वाहन ने पशुओं को स्वस्थ ही नहीं किया है बल्कि मालिकों के जीवन को भी नई दिशा दी है। ग्राम पदनार के पशुपालक पोहाड़ो की भैंस बछड़े को जन्म नहीं दे पा रही थी क्योंकि उसका बछड़ा गर्भाशय में ही मर गया था। स्थिति गंभीर होती जा रही थी तब पोहाड़ो ने तत्काल इसकी सूचना चलित पशु चिकित्सा इकाई को दी।
पशुओं को घर पहुंच सेवा देने वाली एमवीयू की टीम सूचना मिलते ही तत्काल मौके पर पहुंची। डॉक्टरों और स्टाफ की सजगता और अनुभव के चलते मृत बछड़े को सुरक्षित निकाला गया और भैंस की जान बचाई जा सकी। आज भैंस पूरी तरह स्वस्थ है और पशुपालक पोहाड़ो ने इस सुविधा के लिए शासन और एमवीयू टीम का आभार व्यक्त किया है। इसी तरह ग्राम लंजोड़ा के पशुपालक राकेश महलवार ने चलित पशु चिकित्सा इकाई ब्लॉक फरसगांव को अपने बैल के सड़क दुर्घटना में घायल होने और पैर टूटने की सूचना दी।
उस समय विकासखंड फरसगांव में कोई डॉक्टर उपलब्ध न होने के कारण एमवीयू कोंडागांव की टीम ने तत्परता दिखाते हुए मौके पर पहुंचकर बैल का ऑपरेशन किया। समय पर उपचार मिलने से बैल की जान बचाई जा सकी। फिलहाल बैल पूरी तरह स्वस्थ है। पशुपालक राकेश महलवार ने एमवीयू टीम और प्रशासन का आभार व्यक्त किया है।