
देश की आठ प्रमुख आधारभूत उद्योगों — जिसे कोर सेक्टर के नाम से जाना जाता है — की उत्पादन वृद्धि दर अप्रैल 2025 में भारी गिरावट के साथ आठ महीने के निचले स्तर 0.5% पर आ गई। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, मार्च में यह आंकड़ा संशोधित होकर 4.6% रहा था, जबकि अप्रैल 2024 में कोर सेक्टर की वृद्धि दर 6.9% थी। इस गिरावट का मुख्य कारण रिफाइनरी उत्पादों और उर्वरकों के उत्पादन में गिरावट और पिछले साल की उच्च आधार दर रही।
किन- किन सेक्टर्स में दिखी कमजोरी
क्रूड ऑयल (कच्चा तेल) का उत्पादन -2.8% रहा, जो लगातार चौथे महीने गिरावट में रहा। वैश्विक कीमतों में गिरावट के कारण घरेलू उत्पादन की जगह आयात को प्राथमिकता दी गई।
रिफाइनरी उत्पादों में -4.5% की गिरावट दर्ज की गई, जो पिछले आठ महीनों में पहली बार है।
उर्वरकों का उत्पादन भी -4.2% गिरा, जो 11 महीनों में पहली गिरावट है। यह संकेत देता है कि बुवाई के मौसम (जो जून से शुरू होता है) से पहले पर्याप्त भंडारण हो चुका है।
सीमेंट का उत्पादन 6.7% की दर से बढ़ा, लेकिन यह वृद्धि दर भी छह महीने के निचले स्तर पर रही।
बिजली उत्पादन में भी सिर्फ 1% की वृद्धि हुई, जो सात महीने की सबसे कमजोर दर है।
इस्पात (स्टील) की वृद्धि दर घटकर 3% रह गई।
कौन-कौन से सेक्टर्स रहे मजबूत
हालांकि, कुछ क्षेत्रों ने सकारात्मक प्रदर्शन किया:
प्राकृतिक गैस का उत्पादन 0.4% बढ़ा, जो 10 महीनों में पहली बार सकारात्मक क्षेत्र में पहुंचा, जबकि पिछले साल अप्रैल में यह वृद्धि 8.6% थी।
कोयले का उत्पादन 3.5% बढ़ा, जो तीन महीने का उच्चतम स्तर है।
आईसीआरए रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि अप्रैल में कोर सेक्टर का प्रदर्शन काफी कमजोर रहा और उत्पादन में गिरावट अधिकांश क्षेत्रों में देखी गई, कोयला और प्राकृतिक गैस को छोड़कर बाकी छह क्षेत्रों में मंदी रही।
औद्योगिक उत्पादन पर असर
गौरतलब है कि कोर सेक्टर के आठ उद्योग औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) में 40.27% वजन रखते हैं। इसका अर्थ है कि कोर सेक्टर के प्रदर्शन का IIP पर सीधा प्रभाव पड़ता है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा 28 अप्रैल को जारी आंकड़ों में मार्च महीने में IIP वृद्धि दर 3% रही थी, जो फरवरी के छह महीने के निचले स्तर 2.72% से थोड़ी बेहतर थी।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि अप्रैल में कोर सेक्टर का प्रदर्शन “काफी निराशाजनक” रहा, हालांकि उच्च आधार दर भी इसका एक कारण है। उन्होंने अनुमान जताया कि अप्रैल के लिए IIP वृद्धि दर 1% से 1.5% के बीच रह सकती है।
डेटा रिलीज में बदलाव
सरकार ने एक अहम बदलाव करते हुए अप्रैल 2025 से कोर सेक्टर के आंकड़े हर महीने की 20 तारीख को जारी करने का फैसला लिया है, जबकि IIP आंकड़े 28 तारीख को आएंगे। इससे दोनों महत्वपूर्ण आर्थिक संकेतकों के बीच समयांतराल (टाइम लैग) कम होगा और विश्लेषण अधिक सटीक हो सकेगा। कोर सेक्टर के कमजोर प्रदर्शन ने नीति निर्माताओं और उद्योग विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी है। आने वाले महीनों में औद्योगिक क्षेत्र को स्थिरता प्रदान करने के लिए सरकार को मांग और निवेश दोनों स्तरों पर ठोस कदम उठाने की आवश्यकता होगी।