जबलपुर: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सिविल जज भर्ती पर रोक के आदेश में संशोधन करते हुए अगले 3 महीने में प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए हैं। चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की बेंच ने कहा, 'सभी भर्तियां इस याचिका के अंतिम फैसले के अधीन होंगी।' दरअसल, हाईकोर्ट ने 24 जनवरी को भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी।

हाईकोर्ट ने क्यों बदला अपना आदेश

हाईकोर्ट की रोक के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 3 मार्च 2025 को देशभर की अदालतों में सिविल जजों के खाली पदों को भरने के निर्देश दिए थे। इसे देखते हुए हाईकोर्ट ने पिछले आदेश में संशोधन किया है। अधिवक्ता संघ लोकतंत्र एवं सामाजिक न्याय के सचिव राम गिरीश वर्मा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर और विनायक प्रसाद शाह ने पक्ष रखा। उन्होंने बताया, ''मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 17 नवंबर 2023 को दिव्यांगों के लिए सिविल जज, जूनियर डिवीजन (एंट्री लेवल) के 06 पदों समेत कुल 138 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था। विज्ञापन के मुताबिक अनारक्षित वर्ग के 31 पद और अनारक्षित वर्ग के बैकलॉग के 17 पद, एससी के 09 पद और बैकलॉग के 11 पद, एसटी के 12 बैकलॉग, ओबीसी के 09 बैकलॉग और बैकलॉग का 01 पद शामिल किया गया था।'' 

सुनवाई में क्या दिए गए तर्क

ओबीसी वर्ग को इसमें किसी तरह की छूट नहीं दी गई। तर्क दिया गया कि ''अनारक्षित वर्ग का बैकलॉग कभी नहीं होता और इंटरव्यू में 50 में से 20 अंकों की अनिवार्यता अवैधानिक है। प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम जारी कर इंटरव्यू के लिए 3 गुना अभ्यर्थियों का चयन करने का नियम है, लेकिन हाईकोर्ट ने आरक्षित वर्ग के एक भी प्रतिभाशाली अभ्यर्थी को अनारक्षित वर्ग में शामिल नहीं किया।'' सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में संशोधन करते हुए नए निर्देश दिए।