Turkiye Boycott: भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के दौरान खुद को दोस्त बताने वाले तुर्किये ने बड़ी गलती की है। सही मायने में इसका बदला अब राजस्थान के व्यापारी ले रहे हैं। राजस्थान के व्यापारियों ने तुर्किये के राष्ट्रपति रजब तय्यब एर्दोगन को जिस तरह से झटका दिया उसको वे कभी नहीं भूल पाएंगे। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्किये लगातार पाकिस्तान की शहबाज सरकार को सपोर्ट कर रहा था।पाकिस्तान का सपोर्ट करना तुर्किये को अब भारी पड़ने वाला है, क्योंकि राजस्थान के व्यापारियों ने जिस तरह से एर्दोगन के देश पर बैन लगाया है, इससे उनको अपनी गलती का एहसास होना तय है। क्योंकि राजस्थान पूरे एशिया की सबसे बड़ी मार्बल मंडी है और भारी मात्रा में भारत के अंदर तुर्किये से माल आता है। लेकिन यहां के व्यापारियों ने अब तुर्किये के माल पर बैन लगा दिया है।
तुर्किये के खिलाफ सभी व्यापारी एकमत
दूसरी तरफ, उदयपुर मार्बल प्रोसेसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सुराना ने एक न्यूज एजेंसी को बताया कि इस मसले को लेकर उन्होंने पीएम मोदी को भी पत्र लिखा है। पीएम को लिखे पत्र में उन्होंने तुर्की से आने वाले हर तरह के माल पर बैन लगाने की मांग की है। खासतौर पर मार्बल के आयात पर बैन लगाने की बात कही है।
राष्ट्र हित से बड़ा व्यापार नहीं
ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए सुराना ने कहा, “हम पिछले दिनों पीएम मोदी की तरफ से लिए गए ऐतिहासिक निर्णयों का पूरा समर्थन करते हैं।” उन्होंने कहा कि “हमने उन्हें आश्वासन दिया है कि अगर वह किसी भी देश पर किसी भी तरह का प्रतिबंध लगाते हैं, तो हम उनके साथ खड़े होंगे। हमें लगता है कि व्यापार और उद्योग राष्ट्र और राष्ट्रीय हित से बड़े नहीं हो सकते।”
दुनिया को बड़ा संदेश
उन्होंने कहा, “अगर भारत भर के अन्य संगठन भी तुर्की से आयात बंद करने का फैसला करते हैं, तो इससे दुनिया को यह स्पष्ट संदेश जाएगा कि भारतीय व्यवसाय इस महत्वपूर्ण समय में सरकार का पूरा समर्थन कर रहे हैं।” केवल मार्बल ही क्यों? उन्होंने तुर्की से भारत द्वारा आयात किए जाने वाले अन्य उत्पादों पर भी प्रतिबंध लगाने का सुझाव दिया।
70 प्रतिशत माल तुर्किये का
उदयपुर स्थित व्यापारियों के संगठन ने कहा कि भारत सालाना 14-18 लाख टन मार्बल आयात करता है, और इसका लगभग 70 प्रतिशत तुर्किये से आता है। उदयपुर मार्बल प्रोसेसर्स एसोसिएशन के महासचिव हितेश पटेल ने कहा कि तुर्की से आयात होने वाले माल की कीमत लगभग 2500-3000 करोड़ रुपये होती है।