मंईयां सम्मान योजना में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां उजागर हुई है। पूर्वी सिंहभूम में 2912 लाभुकों के एक ही बैंक खाते से लाभ लेने का मामला सामने आया। कई पंचायतों में पुरुषों और फर्जी मुस्लिम परिवारों के नाम शामिल हैं।

जिला प्रशासन ने तीन दिन में जांच पूरी करने का आदेश दिया है। उपायुक्त अनन्य मित्तल ने 2912 लाभुकों के एक ही बैंक खाते से योजना का लाभ लेने की शिकायत पर तत्काल जांच के आदेश दिए हैं। इसके अलावा, कई पंचायतों में पुरुषों और फर्जी मुस्लिम परिवारों के नामों के शामिल होने की बात भी सामने आई है।

प्रशासन ने सभी प्रखंड विकास पदाधिकारियों और अंचल अधिकारियों को तीन कार्यदिवसों के भीतर विस्तृत जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है।  कई पंचायतों में पुरुषों के नाम लाभुक सूची में शामिल होने की शिकायतें मिली हैं।

घाटशिला के हेदलजुड़ी पंचायत में, पोटका के जुड़ी व चाकड़ी जहां एक भी मुस्लिम परिवार नहीं है, 15 मुस्लिम परिवारों के नाम सूची में पाए गए। इसी तरह, चाकुलिया में फर्जी जन्म प्रमाणपत्रों के आधार पर लाभ लेने के मामले सामने आए हैं। उपायुक्त अनन्य मित्तल ने स्पष्ट किया कि अनियमितताओं को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

दोषी लाभुकों से वसूली जाएगी राशि
दोषी लाभुकों के नाम सूची से हटाए जाएंगे और उनसे अब तक दी गई राशि वसूली जाएगी। अगर किसी कर्मचारी या अधिकारी की संलिप्तता पाई गई, तो उनके खिलाफ कठोर विभागीय कार्रवाई होगी। प्रशासन ने सभी लाभुकों से सही जानकारी देने और नागरिकों से ऐसी गड़बड़ियों की सूचना जिला कार्यालय को देने की अपील की है।

भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिनेशानंद गोस्वामी ने कुछ दिन पहले फर्जी तरीके से बनाए गए आवासीय प्रमाण पत्र को लेकर जांच की मांग की थी। इसके बाद प्रशासन सक्रिय हो गया था। 
फर्जीवाड़े का खुलासा

प्रारंभिक जांच में पता चला कि जिले के 2912 लाभुकों ने एक ही बैंक खाते का उपयोग कर योजना का लाभ लिया, जो नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। सबसे अधिक मामले पोटका (573), जमशेदपुर अंचल (390) और गोलमुरी सह जुगसलाई (388) में सामने आए।

अन्य क्षेत्रों में भी अनियमितताएं पाई गईं 
मानगो अंचल: 300,  घाटशिला: 271, बोड़ाम: 191, चाकुलिया प्रखंड: 164, गुड़ाबान्दा: 122, पटमदा: 113, डुमरिया: 111,  बहरागोड़ा: 99, मुसाबनी: 97, धालभूमगढ़: 81, चाकुलिया अंचल: 10 

पहले भी सामने आए घपले
मंईयां सम्मान योजना में अनियमितताएं कोई नई बात नहीं हैं। पिछले साल घाटशिला में एक पंचायत में 174 मुस्लिम महिलाओं के नाम फर्जी रूप से सूची में शामिल किए गए, जबकि वहां कोई मुस्लिम परिवार नहीं था।

चाकुलिया के अलावा पोटका में भी फर्जी जन्म प्रमाणपत्रों का उपयोग कर लाभ लेने की शिकायतें भी सामने आईं। हजारीबाग के इचाक प्रखंड में 876 फर्जी लाभुकों की पहचान की गई, जिनमें दरिया पंचायत में 249 मामले थे। वहां बंगाली समुदाय के न होने के बावजूद बनर्जी, मुखर्जी जैसे नामों से लाभ लिया गया।

मंईयां सम्मान योजना शुरू होने के बाद से ही इसके दुरुपयोग की शिकायतें मिल रही हैं। कई मामलों में स्थानीय स्तर पर सत्यापन में लापरवाही और बिचौलियों की संलिप्तता सामने आई है। कुछ पंचायतों में सेविकाओं और अधिकारियों द्वारा फर्जी दस्तावेजों को सत्यापित करने की शिकायतें भी हैं।

घाटशिला में पहले तीन हजार मुस्लिम बच्चों के जन्म प्रमाणपत्र एक आदिवासी गांव के नाम पर बनाए गए, जहां मुस्लिम आबादी नहीं थी। यह घटना दस्तावेजों के सत्यापन में गंभीर खामियों को दर्शाती है।