इंदौर । जाने-माने लेखक,रंगमंच प्रशिक्षक, दिग्दर्शक और छोटे से बड़े पर्दे के बड़े कलाकार योगेश सोमण ने कहा कि बदलते दौर में नाटक को दर्शकों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी भी कलाकारों की होनी चाहिए। नाटक का विषय उसकी परिकल्पना इस तरीके से होनी चाहिए कि वह बड़े रंगमंच से लेकर गांव की चौपाल में बरगद के पेड़ के तले भी खेला जा सके। श्री सोमण ने स्टेट प्रेस क्लब,मप्र के 'रूबरू' कार्यक्रम में बताया कि उन्होंने संत तुकाराम के जीवन पर एकल नाट्य 'आनंद डोह' की तीन सौ सबसे अधिक प्रस्तुतियां की हैं। संत तुकारामजी के 350 वें जन्मदिन पर योगेशजी की मंशा है कि नाटक का 350वां मंचन भी तुकारामजी के जन्म स्थान पर होना चाहिए। संत तुकाराम जैसे ही स्वतंत्र वीर सावरकर के जीवन पर भी उन्होंने एकल नाटक की 150 से अधिक प्रस्तुतियां दी हैं और सावरकरजी के जीवन पर तीन भागों में एक बड़ी ओटीटी वेब सीरीज भी लेकर आ रहे हैं। सावरकरजी की बाल्यावस्था, उनके आजन्म कारावास एवं कारावास के बाद का जीवन इस पर आधारित वेब सीरीज होगी। फिल्म ऊरी, द फाइनलअटैक में देश के पूर्व रक्षा मंत्री स्वर्गीय मनोहर पर्रिकर के किरदार फिल्म दृश्यम वन और टू में अपने स्वाभाविक इंटेंस अभिनय से चर्चित योगेश सोमण देवी अहिल्याबाई होलकर के जीवन पर एकल नाट्य भी प्रस्तुत करने वाले हैं। देवी नाम से यह नाटक कुल 90 मिनट का है जिसका शोध लेखन एवं निर्देशन योगेश सोमण ने किया है। इस नाटक की किरदार पुणे की रश्मि देव हैं। श्री सोमण इस बात का भी प्रयास कर रहे हैं कि अहिल्या मां साहेब के त्रि- जन्मशती समारोह वर्ष में 100 स्थानों पर नाटक प्रस्तुत हो। उन्होंने बताया कि नाटक में कलाकार मेकअप करते हुए दर्पण में अहिल्या मां साहब से संवाद करती हैं और इसमें उनके जन्म से लेकर देवी अहिल्याबाई बनने तक के पूरी जीवन यात्रा को लिया है। यह नाटक 16 मई को इंदौर में भी खेला जाएगा।
श्री सोमण ने इस बात पर भी संतोष जताया कि अब मराठी फिल्म ओटीटी प्लेटफॉर्म पर विभिन्न भाषाओं में डब होकर आने वाली हैं। अमेजन प्राइम पर इसकी शुरुआत होगी क्योंकि देश में मराठी बोलने लिखने पढ़ने जानने वालों की संख्या सीमित हैं लेकिन हिंदी सहित अन्य भाषाओं में यदि यह फिल्में डब होंगी तो बेहद बड़े दर्शक वर्ग तक इसकी पहुंच होगी। हिंदी के दर्शक भी जब मराठी फिल्मों को देखेंगे महसूस करेंगे की नई और अलग कहानी एक ताकतवर पटकथा स्ट्रांग कैरक्टर्स और एक सोशल मैसेज के साथ अच्छा सिनेमा कैसा बनता है। श्री सोमण ने दक्षिण भारतीय फिल्मों की सराहना करते हुए कहा कि वें अपनी भाषा और संस्कृति पर बहुत ध्यान देते हैं और फिल्मों की अन्य भाषाओं में डबिंग फिल्म प्रमोशन आदि में भी आगे हैं। उनका यह भी मानना है कि सिनेमा के सामने जिस तरह से समानांतर सिनेमा संघर्ष करता है उसी तरीके से मुख्य धारा के नाटक के सामने समानांतर या इंटेंस थिएटर भी ऐसा ही संघर्ष करता है। ऐतिहासिक फिल्मों के मामले में श्री सोमण का मानना है कि यदि शोध से एक नया सत्य या उसका एक नया पक्ष सामने आ रहा है तो जनता के सामने उसका सही प्रस्तुतीकरण किया जाना चाहिए। यदि छत्रपति संभाजी राजे पर औरंगजेब ने नृशंस अत्याचार और हिंसा की है, तो उसे सही लिखकर दिखाने की जरूरत है। उनका यह भी मानना है कि परिकल्पना करने वाला या कहिए लेखक किसी भी फिल्म, सीरियल या रचना में सबसे मुख्य है। इसके बाद दिग्दर्शक और एक्टर का रोल होता है। वर्तमान में आप मुंबई विद्यापीठ में परफॉर्मिंग आर्ट्स के थिएटर विंग में विभाग अध्यक्ष हैं। प्रारम्भ में प्रवीण खारीवाल,सोनाली यादव,दीपक माहेश्वरी,अर्जुन चौहान नायक,नीतेश उपाध्याय ने श्री सोमण का स्वागत एवं स्मृति चिन्ह भेंट किया। संचालन पंकज क्षीरसागर ने किया। बंसी लालवानी ने आभार व्यक्त किया।