भोपाल : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि भारतवर्ष के गौरवशाली अतीत से परिचय तथा प्रेरणा वर्तमान की अनिवार्य आवश्यकता है। इसीलिये उद्देश्य से ही राज्य सरकार उज्जैन में वीर भारत संग्रहालय विकसित कर रही है। भारत भूमि सदियों की संस्कृति और सर्वश्रेष्ठ ज्ञान को समेटे है। देश और उसकी संस्कृति पर हुए अनेक आक्रमणों के बाद भी वीर सपूतों ने अपने शौर्य और बलिदान से संस्कृति और संस्कारों की रक्षा करते हुए भारतीय जीवन मूल्यों को संजोए रखा है। वीर भारत संग्रहालय में भारत के सभी कालखंडों के तेजस्वी व्यक्तित्व और घटनाओं को रेखांकित किया जाएगा। देश के शूरवीरों, विचारकों, दार्शनिकों, ऋषियों, लेखकों, कलाकारों, वैज्ञानिकों के योगदान का भी यहां उल्लेख होगा। भारत उत्कर्ष पर केन्द्रित शोध, अनुसंधान, फैलोशिप और अध्ययन की गतिविधियां वीर भारत न्यास के अंतर्गत संचालित होंगी। प्रथम चरण में उज्जैन के कोठी महल में वीर भारत संग्रहालय की स्थापना की जाएगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने वीर भारत न्यास, वीर भारत संग्रहालय और महादेव मूर्ति कला कार्यशाला की गतिविधियों की मंत्रालय में समीक्षा की तथा आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। बैठक में लोकमाता देवी अहिल्या बाई के त्रिशताब्दी समारोह के संबंध में भी चर्चा हुई। बैठक में मुख्य सचिव अनुराग जैन, अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि उज्जैन, सृष्टि के आरंभ से ही महत्वपूर्ण रहा है। ऐतिहासिक रूप से अलग-अलग युगों में उज्जैन के महत्व पर केंद्रित गैलरी, वीर भारत संग्रहालय में विकसित की जाए। इसके साथ ही मध्यप्रदेश के विभिन्न अंचलों पर भी गैलरी हो। देश की धरोहर के रूप में विकसित हो रहे संग्रहालय के विकास से संस्कृति, कला और स्थापत्य के विशेषज्ञों को जोड़ने के साथ-साथ भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय से भी सहयोग लिया जाए। उज्जैन को मूर्ति कला परम्परा के संरक्षण और विकास के केंद्र के रूप में विकसित किया जाए, यहां से प्रदेश में आवश्यकता अनुसार मूर्तियां उपलब्ध कराई जाएं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि जिन बड़ी मूर्तियों को पत्थर से बनाना कठिन है, उन्हें धातुशिल्प से बनाया जाए। वीर भारत संग्रहालय से विश्वविद्यालय, अकादमिक संस्थाओं और विज्ञान के शिक्षण, प्रशिक्षण व शोध से जुड़ी संस्थाओं को भी जोड़ा जाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने महाकाल महालोक में विद्यमान रंगमंडप में सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की व्यवस्था करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इससे क्षेत्रीय कलाकारों को प्रोत्साहन मिलेगा और श्रद्धालुओं के लिए भी यह रूचिकर होगा। महाकाल मंदिर सहित प्रदेश के अन्य प्रमुख मंदिरों की ओर से समाज सेवा के विभिन्न कार्य आरंभ करने पर भी विचार किया जाए। प्रदेश में विद्यमान धार्मिक पर्यटन की संभावनाओं का अन्य राज्यों में प्रचार-प्रसार भी किया जाए।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि लोकमाता देवी अहिल्या बाई का त्रिशताब्दी समारोह 20 से 31 मई तक मनाया जाएगा। इस उपलक्ष में 20 मई को मंत्रि-परिषद की बैठक राजवाड़ा इंदौर में होगी। इसके साथ ही महेश्वर, इंदौर, भोपाल और उज्जैन में अन्य आयोजन भी होंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि देवी अहिल्या बाई महिला सशक्तिकरण, स्वावलंबन और सुशासन की प्रतीक थीं। त्रिशताब्दी समारोह के अंतर्गत मालवा-निमाड़ क्षेत्र के महिला स्व-सहायता समूहों का विशाल सम्मेलन आयोजित किया जाए। बैठक में बताया गया कि समारोह में लोकमाता देवी अहिल्या बाई के व्यक्तित्व और जीवन के महत्वपूर्ण प्रसंगों पर प्रदर्शनी, व्याख्यान माला, महेश्वरी साड़ी सहित अन्य क्षेत्रीय सामग्री की प्रदर्शनी, पारम्परिक लोक कला, नाट्य, गायन-वादन और नृत्य पर केन्द्रित कार्यक्रम होंगे। समारोह में मालवा और निमाड़ क्षेत्र के क्षेत्रीय व्यंजनों को स्टॉल भी लगाए जाएंगे।

बैठक में कोठी महल और परिसर के उन्नयन के लिए जारी गतिविधियां, वीर भारत न्यास के कार्यों पर विचार-विमर्श हुआ। बैठक में वीर भारत संग्रहालय के अंतर्गत विकसित होने वाली गैलरियों की विषय-वस्तु का प्रस्तुतिकरण किया गया। उज्जैन में पत्थर, संगमरमर, ग्रेनाइट और धातु आदि के मूर्तिशिल्प को प्रोत्साहित करने के लिए स्थापित महादेव मूर्ति कला कार्यशाला के अंतर्गत जारी गतिविधियों की भी समीक्षा हुई। बैठक में प्रमुख सचिव संस्कृति शिवशेखर शुक्ला, प्रमुख सचिव नगरीय विकास संजय शुक्ला, मुख्यमंत्री के संस्कृति सलाहकार श्रीराम तिवारी, उज्जैन के कमिश्नर-कलेक्टर तथा विषय-विशेषज्ञ उपस्थित थे।