
भोपाल : स्कूल शिक्षा, उच्च शिक्षा और कौशल विकास पर आपसी समन्वय होना आवश्यक है। यदि शिक्षा को उद्यमिता आधारित बनाया जायेगा, तो राज्य अपने संसाधनों का पूर्ण रूप से उपयोग कर सकेगा। यह विचार मंगलवार को कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में विषय-विशेषज्ञों ने नीति संवाद श्रृंखला-2025 में व्यक्त किये।
सत्र के प्रारंभ में तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोजगार श्री रघुराज एम.आर. ने बताया कि बदलते दौर में मशीनों का बहुत प्रयोग हो रहा है। इससे मानव संसाधन का उपयोग सीमित हुआ है। इन सबको देखते हुए हमें नये-नये व्यावसायिक पाठ्यक्रम तैयार करने होंगे। उन्होंने बताया कि आज की आवश्यकता को देखते हुए वेतन और मजदूरी का निर्धारण जरूरी है। यह हमारी सामाजिक सुरक्षा की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। सचिव तकनीकी शिक्षा ने बताया कि औद्योगिक क्षेत्र में नये सेक्टर लगातार आ रहे हैं। उनकी आवश्यकता के अनुसार मानव संसाधन के प्रशिक्षण की आवश्यकता है।
सत्र में सलाहकार एआईजीजीपीए डॉ. आर. कोष्टा ने बताया कि प्रदेश में “सीखो-कमाओ’’ योजना के अच्छे परिणाम आये हैं। भोपाल के ग्लोबल स्किल पार्क में कई टेक्निकल कोर्स चल रहे हैं। इनके माध्यम से युवाओं को देशभर में रोजगार के अवसर मिल रहे हैं। आईआईटी इंदौर की प्रोफेसर प्रीति शर्मा ने बताया कि आने वाला समय सर्विस सेक्टर का है। यहाँ रोजगार की ज्यादा संभावनाएँ बनी रहेंगी। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण कोर्स में समय के अनुसार लगातार बदलाव की आवश्यकता है। इसके लिये विषय-विशेषज्ञों के बीच संवाद जरूरी है। डीन स्कोप ग्लोबल स्किल यूनिवर्सिटी डॉ. अनुराग कुलश्रेष्ठ ने बताया कि ऐसे कोर्स लोकप्रिय हो रहे हैं, जहाँ 70 प्रतिशत प्रेक्टिकल और 30 प्रतिशत थ्योरी पोर्शन हैं।
सत्र का संचालन भारतीय वन प्रबंध संस्थान भोपाल की वरिष्ठ उच्च शिक्षा विशेषज्ञ डॉ. पारुल ऋषि ने किया। उन्होंने कहा कि आज वैश्विक स्तर पर पढ़ाई को रोजगार से जोड़कर देखा जा सकता है। आज आवश्यकता इस बात की है कि कोर्स में बदलाव के लिये हमेशा तैयारी रखी जाये। सत्र में विशेषज्ञों की राय थी कि तकनीकी शिक्षा के जरिये विकसित मध्यप्रदेश की कल्पना को साकार करने के लिये कार्य-योजना तैयार की जाये।