नई ‎दिल्ली । तेल व्यापारियों के प्रमुख संगठन एसईए ने सरकार को खाद्य तेल की बढ़ती कीमतों से गरीबों को राहत देने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के जरिए रियायती कीमतों पर खाद्य तेलों को वितरित करने का सुझाव दिया है। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने सरकार को जिंस एक्सचेंजों पर तिलहन और खाद्य तेलों के कारोबार में सट्टेबाजी पर अंकुश लगाने का भी सुझाव दिया है और अनिवार्य डिलीवरी वाले अनुबंधों के कारोबार अपनाने पर जोर दिया है। इसके अलावा, मुंबई स्थित इस व्यापार निकाय ने कहा कि सरकार को निचले स्तर पर शुल्क को स्थिर करना चाहिए, आयात पर कृषि-उपकर कम करना चाहिए और सीमा शुल्क में कमी के उपायों पर फिर से विचार करना चाहिए।खाद्य सचिव सुधांशु पांडे को लिखे पत्र में एसईए अध्यक्ष अतुल चतुर्वेदी ने कहा ‎कि पिछले कुछ महीनों में हमने न केवल खाद्य तेलों में बल्कि दुनिया भर में सभी वस्तुओं की कीमतों में अभूतपूर्व वृद्धि देखी है। अभूतपूर्व वृद्धि के कारणों पर कई बार चर्चा की गई है। उन्होंने कहा कि इस अभूतपूर्व वृद्धि के कारणों में चीन की ओर से खरीदारी, प्रोत्साहन राशि, पाम और सोया उत्पादक क्षेत्रों में ला नीना मौसम की समस्याएं, कोविड-19 के कारण मलेशिया में श्रमिकों की समस्याएं, इंडोनेशिया में बायो-डीजल पर आक्रामक रूप से जोर और संयुक्त राज्य अमेरिका तथा ब्राजील में सोयाबीन तेल से बनने वाले अक्षय ईंधन आदि शामिल हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि कारोबार से तेजड़ियों के पीछे हटने के संकेत हैं, लेकिन समय ही बताएगा कि यह 'अल्पकालिक' है या स्थायी होने वाला है।
हालांकि, एसईए अध्यक्ष ने कहा कि अल्पावधि में मूल्य वृद्धि से निपटने के लिए, सरकार को पीडीएस के माध्यम से खाद्य तेलों पर 30-40 रुपए प्रति किलोग्राम की सब्सिडी देनी चाहिए। मौजूदा समय में केंद्र सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत 80 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को पीडीएस के माध्यम से 1-3 रुपए प्रति किलोग्राम की रियायती दर पर केवल खाद्यान्न वितरित करती है। जिंस एक्सचेंजों पर तिलहन/खाद्य तेलों के कारोबार में सट्टेबाजी पर अंकुश लगाने की जरूरत पर जोर देते हुए चतुर्वेदी ने कहा ‎कि जब तेल की कीमतें 80-90 रुपए प्रति किलोग्राम के आसपास थीं। कमोडिटी एक्सचेंज द्वारा चार प्रतिशत उतार-चढ़ाव की अनुमति थी। अब जब कीमतें व्यावहारिक रूप से दोगुनी हो गई हैं, तो हमें दिन के दौरान केवल दो प्रतिशत उतार-चढ़ाव की ही अनुमति देनी चाहिए। इससे सट्टेबाजी पर अंकुश लगेगा।