भोपाल: सरकार ने लव जिहाद रोकने के लिए कानून तो बना दिया लेकिन कमजोर पुलिसिंग के कारण इसका असर नहीं दिख रहा है। भोपाल में ही एक निजी कॉलेज की हिंदू लड़कियों को मुस्लिम समुदाय के लड़कों ने अपनी पहचान छिपाकर धोखे में रखा। उनका यौन शोषण किया। यह एक व्यक्ति का मामला नहीं बल्कि संगठित अपराध था। इसमें कई लोग शामिल थे। इसके बाद भी पुलिस को भनक तक नहीं लगी। दरअसल, ऐसे मामलों में कमजोर कड़ी पुलिस व्यवस्था ही है।

पुलिसकर्मियों से बदसलूकी

न तो उनका खुफिया तंत्र ठीक से काम कर रहा है और न ही पुलिसकर्मी सूचना प्रौद्योगिकी के इस युग के तौर-तरीकों से वाकिफ हैं। पुलिस का खौफ इस हद तक कम हो गया है कि अकेले मार्च-अप्रैल में ही आठ मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें पुलिसकर्मियों के साथ बदसलूकी की गई। दरअसल, राजधानी भोपाल में कुछ लोग संगठित तरीके से लड़कियों के शारीरिक शोषण और ब्लैकमेलिंग जैसी घटनाओं को अंजाम देते रहे और पुलिस को भनक तक नहीं लगी। हालांकि इस मामले में भी पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2021 की धारा 3 और धारा 5 के तहत मामला दर्ज किया है। उल्लेखनीय है कि इस मामले में अब तक पांच पीड़िताएं सामने आ चुकी हैं। पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

बुर्का पहनने का दबाव

घटनाक्रम से यह तो स्पष्ट है कि आरोपियों ने योजनाबद्ध तरीके से पीड़िताओं को फंसाया और उनके साथ दुष्कर्म किया, लेकिन इस बात के भी सबूत मिले हैं कि वे उनका धर्म परिवर्तन भी कराना चाहते थे। उन्होंने लड़कियों को मांस खिलाया। उन पर बुर्का पहनने का दबाव बनाया गया। इसी कारण इस मामले को लव जिहाद से जोड़कर देखा जा रहा है। आरोपी अलग-अलग राज्यों के हैं। इससे यह भी संभावना है कि उनके पीछे दूसरे राज्यों के कुछ और लोग भी हो सकते हैं, जो आरोपियों की मदद कर रहे हों। पुलिस इस दिशा में भी जांच कर रही है।

200 से अधिक मामले दर्ज

इसी साल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने एक कार्यक्रम में कहा था कि नाबालिग बेटियों को बहला-फुसलाकर दुष्कर्म करने वालों के लिए फांसी की सजा का प्रावधान होना चाहिए। इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी सख्त कार्रवाई की बात कह चुके हैं। धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत अब तक प्रदेश में 200 से अधिक मामले दर्ज हो चुके हैं, लेकिन अपराधियों में कानून का डर नहीं दिख रहा है।