
5 जून 2025 को उत्तर प्रदेश का अयोध्या एक ऐतिहासिक आयोजन का साक्षी बनने जा रहा है, जहां गंगा दशहरा के मौके पर आस्था की बयार बहेगी. यहां राम मंदिर निर्माण के बाद पहली बार ऐसा होगा, जब रामनगरी में एक साथ 14 मंदिरों में देव प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. यह आयोजन सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण है, जो अयोध्या की आध्यात्मिक ऊर्जा को नई दिशा देने वाला है.
गंगा दशहरा के दिन हिंदू पंचांग के अनुसार बहुत ज्यादा शुभ माना जाता है. इसी तारीख को 14 मंदिरों में देव विग्रहों को विधिपूर्वक जाग्रत किया जाएगा. इस खास अवसर पर 101 वैदिक आचार्य मंत्रोच्चार और विधि-विधान से प्राण प्रतिष्ठा की प्रक्रिया पूरी करेंगे. हर मंदिर के लिए एक-एक यजमान चुने गए हैं, जिनकी सहभागिता में यह आयोजन संपन्न होगा. इस आयोजन में 100 से ज्यादा विशिष्ट अतिथियों और श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है, जो इस दिव्य क्षण के साक्षी बनेंगे.
इन मंदिरों में होगी प्राण प्रतिष्ठा
जिन मंदिरों में प्रतिमाएं प्रतिष्ठित की जाएंगी. उनमें श्रीराम दरबार, वीर हनुमान, गणेश जी, मां अन्नपूर्णा, मां शीतला, लक्ष्मी-नारायण, गोविंद देव, शिव परिवार, वैद्यनाथ, राधा-कृष्ण, मां दुर्गा, सूर्य देव और आदि शंकराचार्य मंदिरों के नाम शामिल हैं. हर एक मूर्ति के साथ अयोध्या में एक नई ऊर्जा का संचार होगा. यह आयोजन सिर्फ मूर्तियों की स्थापना नहीं है, बल्कि श्रद्धा, विश्वास और सांस्कृतिक चेतना का विस्तार है. हर मंदिर अपने आप में एक भक्ति, शांति और आत्मिक शक्ति का केंद्र होगा.
कार्यक्रम का संचालन
इस पूरे कार्यक्रम का संचालन श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट कर रहा है. ट्रस्ट ने आयोजन की तैयारियां पूरी कर ली हैं और आचार्यों, यजमानों और कन्याओं के चयन की प्रक्रिया तेजी से जारी है. 5 जून का यह दिन रामनगरी के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय के रूप में दर्ज होगा. यह आयोजन न सिर्फ स्थानीय श्रद्धालुओं, बल्कि देशभर के सनातन भक्तों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बनेगा. ये कार्यक्रम 3 जून से ही शुरू हो जाएगा. पहले तीन दिन धार्मिक अनुष्ठान होंगे, जिनमें मूर्तियों का जलवास, अन्नवास और सैयावास कराया जाएगा. इसके बाद आखिरी दिन यानी 5 जून को गंगा दशहरा के मौके पर देव प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी.