सामान्य तौर पर चांद का सेहत से कोई रिश्ता नजर नहीं आता। मगर दुनिया भर में कई ऐसे रिसर्च हुए हैं, जो चांद का सेहत से कनेक्शन जोड़ते नजर आते हैं। खासतौर पर फुल-मून यानी वह वक्त जब चांद, धरती के करीब होता है, तब इसका असर इंसान के शरीर पर भी पड़ता है।
जान‌िए, चांद किस-किस तरह से आपका सेहत को प्रभावित करता है।
जर्नल करंट बायोलॉजी में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक फुल मून से पहले और बाद के चार दिनों में कोई व्यक्ति सामान्य नींद की अपेक्षा 30 प्रतिशत कम नींद लेता है।

इस शोध के लिए 35 प्रतिभागियों को स्लीप लैब में रखा गया। यहां उन्हें बाहर का प्रकाश और घड़ी जैसी सुविधाएं नहीं दी गई और आम द‌िनों की तरह ही सोने और जागने को कहा गया।

नतीजों में सामने आया कि फुल मून के आसपास के दिनों में प्रतिभागियों में नींद लाने वाले हार्मोन मेलाटोनिन का स्तर कम पाया गया।
जर्नल इंटरएक्टिव कार्डियोवास्कुल एंड थॉरेसिक सर्जरी में प्रकाशित एक शोध के अनुसार जिन मरीजों की आपातकालीन हार्ट सर्जरी फुल-मून के दौरान हुई, उन्हें रिकवर होने में सिर्फ 10 दिन का समय लगा।

जबकि अन्य दिनों में सर्जरी किए जाने पर मरीज को अस्पताल से डिस्चार्ज मिलने में 14-15 दिन का समय लगा। हालांकि सर्जरी की तारीख को लुनार साइकिल के अनुसार तय नहीं किया जा सकता, लेकिन यह तथ्य अपने आप में दिलचस्प है।2011 में लंदन के एक गायनोकोलॉजी जर्नल में प्रकाशित शोध के अनुसार लगभग 30 प्रतिशत महिलाओं को मासिक धर्म फुल-मून यानी पूर्णिमा के आसपास के दिनों में होता है। इसके लिए 16 से 25 साल की 826 महिलाओं पर अध्ययन किया गया था।
जापान के क्योटो शहर के एक निजी अस्पताल में शोधकर्ताओं ने 1000 बच्चों के जन्म का विश्लेषण किया।

उन्होंने पाया कि जब चांद धरती के सबसे नजदीक होता है, यानी सुपरमून के समय बच्चों के जन्म लेने की संभावना भी सबसे ज्यादा होती है। इसमें फुलमून की बजाय सुपरमून का होना अहम है।