भोपाल. एक तरफ, मध्य प्रदेश में कोरोना और ब्लैक फंगस के कहर की खबरें लगातार बनी हुई हैं, तो दूसरी तरफ बड़ी खबर यह है कि इन हालात में करीब 19,000 हेल्थकेयर वर्कर बेमियादी हड़ताल पर चले गए हैं. ये स्वास्थ्यकर्मी अनुबंधित हैं, इस हड़ताल में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कर्मचारी शामिल हैं. हड़तालियों का दावा है कि महामारी के दौरान बने कठिन समय में इन्होंने परमानेंट या स्थायी कर्मचारियों से कम काम नहीं किया, फिर भी इनका वेतन बहुत कम होना इनके साथ अन्याय है.
मध्यप्रदेश में संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल के दूसरे दिन मंगलवार को ज़िला मुख्यालय पर थाली और शंख बजाकर प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन के दौरान सोशल डिस्टेंस और कोरोना गाइडलाइन का पालन किया गया. कर्मचारी पीपी किट में भी नजर आए. भोपाल के जेपी अस्पताल में प्रदर्शन के दौरान थाली और शंख बजाकर अपनी मांगों की तरफ शासन प्रशासन का ध्यान खींचने की कोशिश की गई.
इन स्वास्थ्यकर्मियों की हड़ताल के चलते सरकारी अस्पतालों के तंत्र में सेवाओं के प्रभावित होने की बात कही जा रही है. वास्तव में, इन कर्मचारियों की अहमियत 'मास्टर की' जैसी रही है यानी इन्हें ज़रूरत पड़ने पर हर तरह के कामों में इस्तेमाल किया जाता रहा, मसलन आशा वर्करों की रिपोर्ट मेंटेन करने, डेटा कलेक्शन, वॉर्ड ड्यूटी, वैक्सीन व दवाओं के ट्रांसपोर्ट, सैंपल कलेक्शन और टेस्टिंग यानी जहां मेडिकल स्टाफ की कमी पड़ी, इन्हें इस्तेमाल किया गया. न्यूज़18 ने आपको हाल में बताया था कि किस तरह ये स्वास्थ्यकर्मी चरणबद्ध ढंग से हड़ताल करने जा रहे हैं.