म्यांमार में तख्तापलट के 3 महीन बीतने के बाद पहली बार वहां की स्टेट काउंसलर (प्रधानमंत्री) आंग सान सू की सोमवार को कोर्ट में उपस्थित हुईं। अपने वकीलों से बात करते हुए सू की ने कहा कि उनकी पार्टी (म्यांमार नेशनल लीग) तब तक लोगों के अधिकारों के लिए लड़ेगी, जब तक देश में लोग चाहेंगे।

आर्मी के धमकी देने पर भी वे पार्टी को बंटने नहीं देंगी। सुनवाई के पहले उन्होंने 30 मिनट तक अपने वकीलों से फेस टु फेस बात की। इस दौरान उनकी हालत में काफी सुधार देखा गया। इस दौरान उनके वकील थाए मोंग मोंग भी वहां मौजूद रहे। सू की ने पूर्व राष्ट्रपति विन मिंट से भी मुलाकात की। मिंट को भी सू की साथ ही गिरफ्तार किया गया था।

लोगों के स्वस्थ रहने की कामना की

सू की ने म्यांमार के लोगों के स्वस्थ रहने की कामना की। सू की ने कहा कि उन्होंने लोगों के लिए ही राजनीतिक जीवन चुना है। नेपीडा के कोर्ट में सुनवाई के दौरान बड़ी तादाद में सुरक्षाबलों को तैनात किया गया था। सड़कों को पुलिस के ट्रक के जरिए ब्लॉक कर दिया गया था। उन्हें कोर्ट पहुंचाने के लिए अलग से रास्ता बनाया गया था, जिसे ब्लॉक किया गया था।

अब तक 800 से ज्यादा की हत्या

म्यांमार में 1 फरवरी को सेना ने तख्तापलट किया था। इसके बाद से ही लोकतंत्र समर्थक 75 साल की नोबल प्राइज विजेता आंग सान सू की हाउस अरेस्ट में हैं। तख्तापलट के बाद वहां की सेना अब तक 800 से ज्यादा लोगों की हत्या कर चुकी है, जबकि 4 हजार से ज्यादा लोगों को जेल में डाला जा चुका है।

ब्यूटी क्वीन भी कर चुकी है बगावत

इससे पहले म्यांमार की 32 वर्षीय ब्यूटी क्वीन ने बगावत कर दी थी। 2013 में पहले मिस ग्रैंड इंटरनेशनल ब्यूटी पेजेंट में म्यांमार का प्रतिनिधित्व करने वालीं तार तेत तेत ने असॉल्ट राइफल के साथ अपनी तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट की थीं। उन्होंने लिखा था कि क्रांति सेब की तरह नहीं है, जो तैयार होने के बाद गिर जाता है। हमें लड़ना होगा और निश्चित रूप से जीतना होगा। उन्होंने आगे लिखा था कि एक बार फिर से लड़ने का समय वापस आ गया है। चाहे आप एक हथियार, कलम, की-बोर्ड रखें या लोकतंत्र समर्थक आंदोलन के लिए पैसे दान करें। हर किसी को सफल होने की कोशिश करते रहना चाहिए। मैं संघर्ष जारी रखूंगी। मैं अपना जीवन भी बलिदान करने के लिए तैयार हूं। तार तेत तेत ने 8 साल पहले 60 प्रतियोगियों को पीछे छोड़ते हुए ब्यूटी क्वीन का खिताब अपने नाम किया था।

अमेरिका ने भी जताई थी नाराजगी

इससे पहले म्यांमार में सैन्य तख्तापलट और बर्बर कार्रवाई पर अमेरिका ने नाराजगी जताई थी। जल्द ही अमेरिका ट्रेजरी म्यांमार इकोनॉमिक कॉर्पोरेशन (MEC) और म्यांमार इकोनॉमिक होल्डिंग्स लिमिटेड (MEHL) को ब्लैकलिस्ट कर सकता है। साथ अमेरिका में उनकी संपत्तियों को भी फ्रीज कर सकता है। इससे पहले अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपियन यूनियन और कनाडा म्यांमार सेना के जनरलों पर प्रतिबंध लगा चुके हैं।

म्यांमार की इकोनॉमी पर सेना का कंट्रोल

म्यांमार की अर्थव्यवस्था पर सेना का नियंत्रण है। इसमें शराब, सिगरेट से लेकर टेलीकॉम, रियल स्टेट, माइनिंग भी शामिल है। वहीं, एक्टिविस्ट की मांग है कि सेना को होने वाले रेवेन्यू पर चोट पहुंचाना जरूरी है। इसमें ऑयल और गैस के बड़े प्रोजेक्ट शामिल हैं। इससे म्यांमार की सेना को बड़ा फायदा होता है।

तख्तापलट क्यों?

दरअसल, पिछले साल नवंबर में म्यांमार में आम चुनाव हुए थे। इनमें आंग सान सू की पार्टी ने दोनों सदनों में 396 सीटें जीती थीं। उनकी पार्टी ने लोअर हाउस की 330 में से 258 और अपर हाउस की 168 में से 138 सीटें जीतीं। म्यांमार की मुख्य विपक्षी पार्टी यूनियन सॉलिडैरिटी एंड डेवलपमेंट पार्टी ने दोनों सदनों में मात्र 33 सीटें ही जीतीं। इस पार्टी को सेना का समर्थन हासिल था। इस पार्टी के नेता थान हिते हैं, जो सेना में ब्रिगेडियर जनरल रह चुके हैं।

नतीजे आने के बाद वहां की सेना ने इस पर सवाल खड़े कर दिए। सेना ने चुनाव में सू की की पार्टी पर धांधली करने का आरोप लगाया। इसे लेकर सेना ने सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रपति और चुनाव आयोग की शिकायत भी की। चुनाव नतीजों के बाद से ही लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार और वहां की सेना के बीच मतभेद शुरू हो गया। अब म्यांमार की सत्ता पूरी तरह से सेना के हाथ में आ गई है। तख्तापलट के बाद वहां सेना ने 1 साल के लिए इमरजेंसी का भी ऐलान कर दिया है।