इंदौर। लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण के मतदान से पहले इंदौर में आज एक बड़ा एवं अप्रत्‍याशित घटनाक्रम सामने आया है। इंदौर लोकसभा सीट से कांग्रेस के उम्‍मीदवार अक्षय बम ने अपना नामांकन फॉर्म वापस ले लिया है।

इसके बाद कांग्रेस के दूसरे उम्‍मीदवार मोती सिंह पटेल का भी फॉर्म निरस्‍त हो गया है। इसके बाद से अब भाजपा के उम्‍मीदवार शंकर लालवानी के सामने कांग्रेस का कोई भी प्रत्‍याशी नहीं बचा है।

सोमवार सुबह अक्षय बम विधायक रमेश मेंदोला के साथ फॉर्म वापस लेने आए थे। वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस को शक है कि बम ने फॉर्म भरते समय जानबूझकर गलती की। उन्‍होंने फॉर्म में स्‍वतंत्र उम्‍मीदवार लिखा था।

इस संबंध में कांग्रेस ने पार्टी प्रदेश अध्‍यक्ष जीतू पटवारी को पहले ही बताया था कि इंदौर सीट में गड़बड़ी हो सकती है लेकिन वो ध्‍यान नहीं दे पाए। इससे पहले दावा किया जा रहा है कि रविवार 28 अप्रैल को अक्षय बम चंदननगर क्षेत्र में पहुंचे थे और वहां उन्‍होंने जय श्रीराम के नारे लगाए थे। 

17 वर्ष पुराने मामले में अक्षय पर लगी कई धाराएं

बता दें कि कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय बम प्राणघातक हमले के मामले में फंसे हुए हैं। जिला न्यायालय ने 17 वर्ष पुराने एक मामले में बम पर हत्या के प्रयास की धारा बढ़ा दी है। अब तक प्रकरण में सिर्फ धारा 323, 506, 147, 148, 149 ही लगी थीं। कोर्ट ने अक्षय और उनके पिता कांति बम को 10 मई को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए भी कहा है।

फरियादी युनूस पटेल के वकील मुकेश देवल ने बताया कि मामला कनाडिया क्षेत्र की जमीन का है। यह जमीन फरियादी की थी। अक्षय बम, कांति बम और उनके परिवार के अन्य सदस्यों ने साल 2007 में इस जमीन का सौदा 50 लाख रुपये में करते हुए एक अनुबंध किया था। बाद में आरोपितों ने चेक देकर इस जमीन की रजिस्ट्री भी करवा ली, लेकिन चेक बाउंस हो गया।

पुलिस ने इस मामले में मामूली धाराओं में प्रकरण दर्ज किया था। एडवोकेट देवल ने बताया कि प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी ने प्रकरण को अगली कार्रवाई के लिए प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश के समक्ष भेज दिया है। आरोपितों को 10 मई को उन्हीं के समक्ष उपस्थित होना है।

कांग्रेस के पास अब क्या है विकल्प?

इंदौर संसदीय सीट पर आज नामांकन वापसी की आखिरी तारीख है। ऐसे में अभी देखना होगा कि कितने प्रत्याशी नामांकन वापस लेते हैं। क्योंकि कई प्रत्याशियों ने निर्दलीय नामांकन भरा है। कांग्रेस के पास विकल्प की बात करें तो वो किसी निर्दलीय उम्मीदवार को अपना समर्थन दे सकती है। जैसे खजुराहो संसदीय सीट पर इंडी गठबंधन ने फैसला लिया है।