जबलपुर नकली रेमडेसिविर मामले में गिरफ्तार सिटी अस्पताल के डायरेक्टर सरबजीत मोखा को बचाने में पुलिस से लेकर प्रशासनिक तंत्र लगा है। इतने बड़े खुलासे और सीएम की तल्खी के बावजूद कुछ अधिकारी मोखा से यारी और वफादारी निभा रहे हैं। मोखा के खिलाफ एफआईआर से लेकर गिरफ्तारी और फिर जेल भेजे जाने के घटनाक्रम पर गौर करें, तो पुलिस-प्रशासन की चालबाजी साफ नजर आ जाएगी।

एसपी ने नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन मामले में ट्रेनी आईपीएस रोहित काशवानी की अगुवाई में एसआईटी गठित की है, लेकिन मोखा को लेकर उनका सम्मान शर्मनाक है। जिस मोखा को सीएम नरपशु की संज्ञा देते हुए उसकी संपत्ति राजसात करने की तल्खी दिखा गए। उसे उनका ट्रेनी आईपीएस "श्री' व "जी' कहकर संबोधित कर रहा है।

कलेक्टर कर्मवीर शर्मा, ट्रेनी आईपीएस रोहित काशवानी और सीएसपी आरडी भारद्वाज।

मोखा के दोस्त को बना दिया विवेचक

दूसरा सवाल केस की जांच के लिए बनाए गए विवेचक को लेकर है। एसपी ने मामले में सीएसपी ओमती आरडी भारद्वाज को जांच अधिकारी बनाया है। भारद्वाज पूर्व में ओमती टीआई भी रह चुके हैं। तब उनके और मोखा के संबंध जगजाहिर थे। अब दोस्त के हाथ में ही पूरी जांच की कमान सौंप दी है।

केस कमजोर करने की कर चुके हैं कोशिश

सीएसपी ओमती आरडी भारद्वाज दोस्ती निभाने की कोशिश भी कर चुके हैं। मोखा समेत तीनों आरोपियों पर एफआईआर दर्ज करने से पहले वे सिटी अस्पताल के कर्मी देवेश चौरसिया को फरियादी बना रहे थे। ट्रेनी आईपीएस रोहित काशवानी भी सहमति दे चुके थे। इसकी भनक एसपी को लग गई। इसके बाद ओमती टीआई को फरियादी बनाया गया।

ससम्मान गिरफ्तार, बिना रिमांड गया जेल

मोखा की गिरफ्तारी भी नाटकीय ढंग से हुई। उसके ही अस्पताल से उसे ससम्मान पुलिस की जीप में बिठाकर थाने लाया गया। यहां उसे मेहमान की तरह पूरी रात रखा गया। घर से आया खाना खिलवाया गया। फिर बिना पूछताछ किए ही उसे जेल भेज दिया गया। हैरानी की बात ये कि पुलिस ने रिमांड पर लेने का प्रयास ही नहीं किया।

नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर इन सवालों का जवाब नहीं

देवेश गुप्ता के अलावा मोखा और किससे नकली इंजेक्शन मंगवा रहा था।
500 नकली इंजेक्शन में कितना उसने खुद लगाए और कितना दूसरे को दिए?
नकली इंजेक्शन लगाने के बाद कितने लोगों की उसके अस्पताल में मौत हुई?
रेमडेसिविर के एवज में वह मरीजों से कितने रुपए वसूल रहा था?
नकली रेमडेसिविर बनाने वाली फर्म के संपर्क में कैसे आया?
कोरोना संक्रमितों के इलाज में इसी तरह वह दूसरी दवाओं का तो उपयोग नहीं करता था?
अस्पताल में 23 व 28 अप्रैल काे नकली रेमडेसिविर के कार्टून संबंधी सीसीटीवी फुटेज तक जब्त नहीं किया गया।
कलेक्टर ने एनएसए लगाने में दिखाई दरियादिली
सरबजीत मोखा पर एनएसए लगाने में भी कर्मवीर शर्मा ने दरियादिली दिखाई। इससे पहले न्यू मुनीष मेडिकोज के दो कर्मियों के खिलाफ एनएसए में कार्रवाई करते हुए 6 महीने के लिए जेल में निरूद्ध किया था। पर मोखा को सिर्फ तीन महीने के लिए निरूद्ध किया, जबकि न्यू मुनीष के दोनों कर्मियों का रेमडेसिविर इंजेक्शन का सौदा करते हुए बातचीत हुई थी। यहां तो 500 नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन मरीजों को लगा दी गई थी।

प्रोडक्शन वारंट लेकर आ रही गुजरात की दूसरी टीम

सरबजीत मोखा और उसके अस्पताल का कर्मी देवेश चौरसिया गुजरात के मोरबी थाने में भी आरोपी बने हैं। दोनों को रिमांड पर लेने की कवाद में गुजरात पुलिस जुटी है। एक टीम बुधवार को आई थी, और कोर्ट में आवेदन लगाकर चली गई। दूसरी टीम प्रोडक्शन वारंट लेकर फिर से आ रही है। अभी देवेश को लेकर जाएगी। इसके बाद मोखा को ले जाएगी।