इंचियोन : एशियाई खेलों में आज एक बड़ा विवाद पैदा हो गया जब भारतीय महिला मुक्केबाज सरिता देवी ने दक्षिण कोरियाई से विवादास्पद हार के विरोध में अपना कांस्य पदक लौटा दिया जिससे उन्हें अवज्ञा के लिए निलंबन का सामना करना पड़ सकता है।

सरिता को घरेलू दावेदार जिना पार्क के खिलाफ 60 किग्रा सेमीफाइनल बाउट में दबदबे भरा प्रदर्शन करने के बाद पराजित घोषित किया गया। वह आज पोडियम पर बहुत रो रही थी और उसने कांस्य पदक अस्वीकार कर अधिकारियों और दर्शकों को हैरान कर दिया जो अब आयोजकों के पास है।

यह मुक्केबाज कल पार्क से हारने के बाद हैरान थी, दक्षिण कोरियाई मुक्केबाज ने रजत पदक जीता। सरिता दोनों मुक्केबाजों में बेहतर थी लेकिन जज का फैसला मेजबान देश की मुक्केबाज के पक्ष में रहा। सरिता एक पत्रकार और मैरीकाम के पति की मदद से 500 डॉलर जुटाने में सफल रही, उसने इस फैसले के खिलाफ अपील की लेकिन इसे खारिज कर दिया गया। सरिता पदक समारोह के दौरान चली गयी और पदक पोडियम पर ही छोड़ गयी। रोती हुई सरिता ने बाद में पत्रकारों से कहा कि उसे अपना मुक्केबाजी करियर जारी रखने के लिए पदक समारोह में ऐसा करना पड़ा, वर्ना यह हमेशा उसके दिमाग में रहता।

सरिता ने कहा, ऐसा नहीं था कि मैं पदक नहीं स्वीकारना चाहती थी। मैंने इसे स्वीकार किया और फिर इसे कोरियाई मुक्केबाज को दे दिया। मुझे ऐसा करना पड़ा ताकि मैं अपना मुक्केबाजी करियर जारी रख सकूं, वर्ना यह घटना मेरे दिमाग में हमेशा रहती। अब मैं वापस जाउंगी और अपने नन्हें बच्चे को गले लगाउंगी। वह अपने इस फैसले का नतीजा भुगतने के लिये तैयार है लेकिन उसने भारतीय अधिकारियों पर पूरी घटना में बेपरवाह व्यवहार का आरोप भी लगाया।

सरिता ने कहा, मैं किसी भी परिणाम को भुगतने के लिये तैयार हूं। एक भी भारतीय अधिकारी हमारे पास नहीं आया और सांत्वना दी या हमसे बात की। एआईबीए ने उसके पदक लौटने को खेदजनक करार किया और अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू कर दी।

एआईबीए ने बयान में कहा, एआईबीए ने इस मामले की समीक्षा के लिये अपनी अनुशासनात्मक कार्रवाई प्रक्रिया शुरू कर दी है और फैसला एशियाई खेलों के तुरंत बाद किया जाएगा।