काबुल । दशकों से गृहयुद्ध की विभिषिका झेल रहा अफगानिस्तान बच्चों के लिए कब्रगाह बनता जा रहा है। ताजा शोध में पता चला है, कि पिछले 5 साल में हवाई हमलों में मारे गए कुल लोगों में 40 फीसदी बच्चे हैं।जारी आंकड़े में कहा गया है कि वर्ष 2016 से 2020 के बीच में हुए हवाई हमले में 1598 बच्चे मारे गए या घायल हो गए। यह रिपोर्ट उस समय पर आई है, जब काबुल में बालिका विद्यालय में किए गए भीषण बम धमाके में 50 लोग मारे गए हैं। गृह मंत्रालय ने बताया कि मरने वालों में अधिकतर 11 से 15 साल की लड़कियां हैं। पीड़ित परिजनों ने रविवार को अपने प्रियजनों को सुपुर्दे खाक कर दिया।
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता तारिक अरियान ने बताया कि हमले में घायलों की संख्या भी 100 के पार हो गई है। सेव द चिल्ड्रेन इंटरनैशनल संस्था की अफगानिस्तान के डायरेक्टर क्रिस न्यामंडी ने कहा, 'दुखद, ये आंकड़े आश्चर्य में नहीं डालते हैं। अफगानिस्तान पिछले कई सालों से बच्चों के लिए बेहद खतरनाक रहा है।' अफगानिस्तान से इस साल अमेरिकी सेना हट रही है और संस्था के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2017 से लेकर वर्ष 2019 के बीच में अंतरराष्ट्रीय गठबंधन ने अपने हमलों की संख्या को 247 के मुकाबले तीन गुना करते हुए 757 तक पहुंचा दिया। संयुक्त राष्ट्र ने इन हमलों पर चिंता जाहिर की थी लेकिन किसी ने उस पर ध्यान नहीं दिया। न्यामंडी ने कहा कि पिछले 14 साल से हर दिन अफगानिस्तान में 5 बच्चे या तो मारे जाते हैं या घायल हो जाते हैं। एक्शन ऑन आर्म्ड वाइलेंस के कार्यकारी निदेशक इअइन ओवेर्टन ने कहा कि अमेरिका ने वर्ष 2018-19 में इतने ज्यादा बम बरसाए जितना उसने वर्ष 2011 में भी नहीं गिराए थे जब अमेरिकी अभियान चरम पर था। इस बमबारी की वजह से अफगानिस्तान बच्चों के लिए सबसे खतरनाक साल रहा। इस बीच काबुल में बालिका विद्यालय में किए गए भीषण बम धमाके में मरने वालों की संख्या बढ़कर 50 हो गई है। गृह मंत्रालय ने बताया कि मरने वालों में अधिकतर 11 से 15 साल की लड़कियां हैं। शनिवार के इस हमले में घायलों की संख्या भी 100 के पार हो गई है।





