नई दिल्ली । लोकसभा चुनाव की तैयारी पूरी हो गई है, जल्दी ही आचरण सं‎हिता लगने वाली हैं। ऐसे में पा‎र्टियों ने भी अपने वादों के ‎पिटारे आम जनता के ‎लिए खोलने तैयारी कर ली है। वहीं केन्द्रीय चुनाव आयोग की तैयारियां भी लगभग पूरी हो चुकी हैं। इधर ‎सियासत के जानकार बता रहे हैं ‎कि अब तक मिले संकेतों से यही लग रहा है कि बीजेपी लगातार तीसरी बार सत्ता में आने के लिहाज से अभी मजबूत स्थिति में दिख रही है। लेकिन विपक्षी गठबंधन ने भी जीत की उम्मीद नहीं छोड़ी है। सूत्रों के अनुसार, विपक्षी गठबंधन नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी से मुकाबले के लिए इस बार लुभावाने वादों की झड़ी लगाने वाला है। कांग्रेस पहले ही किसानों को एमएसपी यानी मिनिमम सपोर्ट प्राइस पर फसल खरीद का वादा कर चुकी है। वहीं विपक्षी दलों का अलायंस इं‎डिया भी जल्द ही एक साझा घोषणापत्र जारी कर सकता है, जिसमें हर तबके के लिए लुभावने वादों की लिस्ट देखने को मिल सकती है। 
वहीं भाजपा ने भी इस बार विपक्ष की मंशा को देखते हुए व्यापक घोषणापत्र बनाने की तैयारी की है। पार्टी ने दावा किया है कि वह देश में एक करोड़ से अधिक लोगों से बात करके अपना घोषणापत्र तैयार करेगी। जब‎कि इं‎डिया गठबंधन बड़े लोकलुभावन वादों के साथ आम चुनाव में उतर सकता है। इसमें महिलाओं और बेरोजगारों के लिए हर महीने पगार के अलावा कर्ज माफी तक के वादे हो सकते हैं। सूत्रों की मानें तो विपक्षी दलों के अलायंस की ओर से ऐसे वादों की घोषणा जल्द हो सकती है। विपक्ष हाल में हुए विधानसभा चुनाव में सामने आए ट्रेंड को आगामी आम चुनाव में भी बढ़ाना चाहता है। विधानसभा चुनाव में लुभावने वादों को गेमचेंजर माना गया। मगर ऐसा नहीं हुआ कि सिर्फ विपक्षी दल ही ऐसे वादों के साथ मैदान में उतरे थे। भाजपा भी इसमें पीछे नहीं थी। जानकार बता रहे हैं ‎कि पिछले कुछ सालों से समाज के कुछ तबकों को हर महीने तय राशि देने का ट्रेंड सफल साबित हुआ है। मध्य प्रदेश में चुनाव से तीन महीने पहले बीजेपी ने लाडली बहना योजना लॉन्च की थी। इस योजना में महिलाओं को हर महीने 1250 रुपये रा‎शि दी जाती है। वहां चुनाव में भी पार्टी इसी योजना के बेस पर मैदान में उतरी थी। इससे पहले कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश में ओल्ड पेंशन या सस्ती दरों पर बिजली उपलब्ध करने जैसे वादों के साथ चुनाव जीतकर कांग्रेस ने इस तरह के वादों को सफल बताया। आम आदमी पार्टी ने इसकी शुरुआत दिल्ली से की और पंजाब में भी इसी के बल पर उसके लिए सत्ता का दरवाजा खुला।