रायसेन. इस दिन कहीं फूलों की होली (Holi) होती है, तो कहीं लोग एक-दूसरे पर लट्ठ बरसाते (Latthmar holi) हैं. लेकिन रायसेन (Raisen) में अंगारों से होली खेली जाती है. हालांकि इस पर यकीन कर पाना थोड़ा मुश्किल जरूर हो सकता है. लेकिन कई जगहों पर ऐसे ही कुछ अनोखे अंदाज में होली मनाई जाती है. ऐसी अजीबोगरीब होली रायसेन के सिलवानी महगवां में प्रतिवर्ष मनाई जाती है. यहां लोग जानजोखिम में डालकर अंगारों पर चलते हैं और पूरी तरह सुरक्षित निकलते हैं. यह यहां की परंपरा है, जो सदियों से चली आ रही.
रायसेन के सिलवानी महगवां में होलिका दहन के बाद पूरी आस्था के साथ अंगारों पर नंगे पैर चलते हैं ग्रामीण. लगभग डेढ़ सौ साल पुरानी इस परंपरा में गांव के बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक नंगे पैर धधकते अंगारों पर ऐसे चलते हैं, मानो सामान्य जमीन पर चल रहे हों. उनके पैरों में न तो काई छाला पड़ता है और न ही किसी तरह की तकलीफ अंगारों पर चलते समय होती है. गांव को आपदा से और खुद को विभिन्न बीमारियों और संकटों से दूर रखने के लिए ग्रामीण इस परंपरा को निभाते आ रहे हैं.
गांव में विधि-विधान से पूजा-अर्चना के बाद ग्रामीणों के सहयोग से होलिका दहन किया जाता है. इसके बाद अंगारों पर नंगे पैर चलने का सिलसिला शुरू होता है. यह परंपरा कब शुरू हुई और किसने शुरू की, इसकी सटीक जानकारी किसी के पास नहीं है. हालांकि ग्राम के वृद्ध लोगों ने बताया कि बरसों से देखते चले आ रहे हैं परंपरा को. बताते हैं कि गांव में कभी भी कोई आपदा नहीं आए, इसी मान्यता के चलते प्रत्येक वर्ष होली पर यह जोखिमभरा आयोजन किया जाता है.





