इन्दौर । सृष्टि में ऐसी कोई जगह नहीं, जहां परमात्मा की सत्ता नहीं हो। आज सारी दुनिया एक तरह से बारूद के ढेर पर बैठी हुई है लेकिन इसके बावजूद हम सब सलामत और सुरक्षित हैं तो इसलिए कि उसकी चाबी भगवान के ही हाथों में हैं। परमात्मा की सत्ता सर्वोपरि है और उनका ऐश्वर्य भी सबसे श्रेष्ठ है। नाम भले ही अलग-अलग हो, लेकिन आनंद कंद तो एक ही है।
ये प्रेरक विचार हैं भागवताचार्य पं. राहुल कृष्ण शास्त्री के, जो उन्होंने आज विमानतल मार्ग स्थित विद्याधाम के 26वें प्रकाशोत्सव में चल रहे भागवत ज्ञानयज्ञ में कृष्ण-रूक्मणी विवाह प्रसंग की व्याख्या करते हुए व्यक्त किए। कथा में संध्या को विवाह का उत्सव भी धूमधाम से मनाया गया। जैसे ही कृष्ण और रूक्मणी ने एक-दूसरे को वरमाला पहनाई, समूचा कथा मंडप भगवान के जयघोष से गूंज उठा। बधाई गीत भी गूंजे। प्रारंभ में महामंडलेश्वर स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती के सान्निध्य में आश्रम परिवार की ओर से सुरेश शाहरा, पूनमचंद अग्रवाल, पं. दिनेश शर्मा, राजेंद्र महाजन, रमेशचंद्र राठौर आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया। रूड़की (हरिद्वार) से आए संत यतींद्रानंद गिरी महाराज भी आज प्रकाशोत्सव में विद्याधाम पधारे। कथा प्रतिदिन दोपहर 2 से सांय 6 बजे तक हो रही है। गुरूवार को सुदामा चरित्र प्रसंग के साथ कथा का समापन होगा।
:: सग्रहमख ललितांबा महायज्ञ में एक लाख आहुतियां पूरी :: 
आश्रम के प्रकाशोत्सव के उपलक्ष्य में 51 विद्वानों द्वारा महामंडलेश्वर स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती के सान्निध्य एवं आचार्य पं. राजेश शर्मा के निर्देशन में सग्रहमख ललितांबा महायज्ञ का दिव्य अनुष्ठान भी जारी है। आज महायज्ञ में एक लाख आहुतियां पूरी हो गई। यज्ञशाला में प्रतिदिन स्वाहाकार की मंगल ध्वनि गूंज रही है। ललिता अष्टमी के उपलक्ष्य में 20 फरवरी को महायज्ञ में मां को प्रिय पदार्थों, त्रिमधु, मालपुआ, खीरान्न, गन्ना, पान, मौसमी फल, हलवा एवं अन्य व्यंजनों की विशेष आहुतियां देकर जन कल्याण, कोरोना से मुक्ति एवं समाज में सदभाव की प्रार्थना की जाएगी। आज छठ पर्व पर भगवती को हरियाली से श्रृंगारित कर सिंहवाहिनी के स्वरूप में सजाया गया था।
:: 19 को नौकाविहार एवं ‘भगवन’ का पाद पूजन :: 
शुक्रवार 19 फरवरी को सुबह 9 बजे से नर्मदा जयंती पर आश्रम के संस्थापक ब्रम्हलीन स्वामी गिरिजानंद सरस्वती ‘भगवन’ के पाद पूजन एवं सांय 7 बजे से मां पराम्बा के नौकाविहार के दर्शन होंगे। शनिवार 20 फरवरी को सांय 5 बजे मां पराम्बा अपने भक्तों को दर्शन देने आश्रम परिसर से कान्यकुब्ज नगर, साठ फीट रोड एवं कालानी नगर चैराहा होते हुए पुनः आश्रम पहुंचेगी, जहां मां पराम्बा को छप्पन भोग समर्पित किए जाएंगे तथा 21 फरवरी को सायं 6 बजे से भव्य पुष्पबंगला सजेगा।