धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम 2020:लव जिहाद के खिलाफ अध्यादेश को राज्यपाल की मंजूरी, 1-2 दिन में नोटिफिकेशन के बाद लागू हो जाएगा कानून
 

आंनदी बेन पटेल ने लखनऊ में गुरुवार को कैबिनेट से स्वीकृत प्रस्ताव पर किए हस्ताक्षर
विधि विभाग एक-दो दिन में राज पत्र में अध्यादेश का प्रकाशन कराएगा

राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम 2020 के अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। अब राजपत्र में नोटिफिकेशन के बाद यह कानून प्रदेश में लागू हो जाएगा। राजभवन सूत्रों ने बताया कि शिवराज कैबिनेट के प्रस्ताव को लखनऊ भेजा गया था, जिस पर राज्यपाल ने गुरुवार शाम हस्ताक्षर कर दिए हैं। माना जा रहा है कि एक-दो दिन में विधि विभाग इस संबंध में अधिसूचना प्रकाशित करेगा। हालांकि इसे 6 महीने में विधानसभा से पास कराना होगा।

गौरतलब है, पिछले साल 29 दिसंबर को शिवराज सरकार ने कैबिनेट बैठक में अध्यादेश के ड्राफ्ट को अनुमोदन दे दिया था। अध्यादेश में प्रलोभन, बहलाकर, बलपूर्वक या धर्मांतरण करवाकर विवाह करने या करवाने वाले को एक से 10 साल तक की सजा और अधिकतम एक लाख रुपए तक जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

यूपी में भी राज्यपाल आनंदी बेन ने ही मंजूरी दी
मध्यप्रदेश से पहले उत्तरप्रदेश में लव जिहाद के खिलाफ अध्यादेश लाया गया। यहां पिछले साल 26 नवंबर को आनंदी बेन ने ही मंजूरी दी थी। वहां विधानसभा सत्र नहीं होने के कारण अध्यादेश के माध्यम से कानून लागू किया गया, जबकि मध्यप्रदेश में विधानसभा सत्र प्रस्तावित था, लेकिन इसके स्थगित होने के कारण अब इसे अध्यादेश के रास्ते लाया गया है।

कानून के मुख्य प्रावधान

बहला-फुसलाकर, धमकी देकर जबर्दस्ती धर्मांतरण और शादी करने पर 10 साल की सजा का प्रावधान। यह गैर जमानती अपरोध होगा।
धर्मांतरण और धर्मांतरण के बाद होने वाले विवाह के 2 महीने पहले डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को धर्मांतरण और विवाह करने और करवाने वाले दोनों पक्षों को लिखित में आवेदन देना होगा।
बगैर आवेदन दिए धर्मांतरण करवाने वाले धर्मगुरु, काजी, मौलवी या पादरी को भी 5 साल तक की सजा का प्रावधान है।
धर्मांतरण और जबरन विवाह की शिकायत पीड़ित, माता- पिता, परिजन या गार्जियन द्वारा की जा सकती है।
सहयोग करने वालों को भी मुख्य आरोपी बनाया जाएगा। उन्हें अपराधी मानते हुए मुख्य आरोपी की तरह ही सजा होगी।
जबरन धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जाएगा।
इस प्रकार के धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं को डोनेशन देने वाली संस्थाएं या लेने वाली संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन भी रद्द होगा।
इस प्रकार के धर्मांतरण या विवाह में सहयोग करने वाले आरोपियों के विरुद्ध मुख्य आरोपी की तरह ही कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
अपने धर्म में वापसी करने पर इसे धर्म परिवर्तन नहीं माना जाएगा।
पीड़ित महिला और पैदा हुए बच्चे को भरण-पोषण का हक हासिल करने का प्रावधान है।
आरोपी को ही निर्दोष होने के सबूत प्रस्तुत करना होगा।