कश्मीर में आतंक का पर्याय बन चुके लश्कर कमांडर अबू दुजाना को मार गिराने की तैयारी अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन को मार गिराने पर बनी फिल्म 'जीरो डार्क थर्टी' से प्रभावित थी. सुरक्षाबलों की जिस टीम ने इसको अंजाम दिया, उसमें सेना, सीआरपीएफ, जम्मू कश्मीर पुलिस की स्पेशल टीम के साथ ही दूसरी एजेंसियों शामिल थीं.

सूत्रों के अनुसार, दुजाना कई बार सुरक्षाबलों के रडार पर आते-आते बचा था. वह कई बार मुठभेड़ स्थलों से भाग निकला था. लेकिन इस बार ऐसी रचना रची गई, जिसमें उसके साथियों और मददगारों को भनक तक नहीं मिली.

इस तरह हुई कार्रवाई

> अबू दुजाना पर सर्विलेंस पहले से ही था. लेकिन 21 जुलाई से ज्यादा नजर रखी जाने लगी. 

> सुरक्षा एजेंसियों के संपर्क में एक युवती आई, जिसने बताया कि दुजाना अय्याशी के लिए कई लड़कियों के संपंर्क में है. वह अक्सर उनके घरों में जाता है. 

> 23 जुलाई को पूरी जानकारी मिल चुकी थी कि आखिर दुजाना कब कहां और किस समय आने वाला है.

> तामाम एजेंसियों ने सुरक्षा से जुड़े आधिकारियों के साथ बैठक कर इसके लिए व्यूह रचना शुरू कर दिया.

> 27 जुलाई को इससे पहले एक बार फिर दुजाना को दक्षिण कश्मीर में ट्रैप किया गया, लेकिन वह भागने में कामयाब रहा. 

> 29 जुलाई को दुजाना ने अपना फोन और नंबर बदल लिया. उसके पास तीन नंबर थे. इस बार दुजाना ने नया आईफोन खरीदा.

> दुजाना के दो पुराने एंड्रायड फोन भी दो युवतियों के पास थे, जिसे ट्रैक किया जा रहा था.

> 31 जुलाई को तैयारी हो चुकी थी कि दुजाना को इस बार बचने नहीं देना है. सुरक्षा बलों को तब तक पूरी जानकारी मिल चुकी थी कि आखिर दुजाना कहां और कब मिलेगा.

फिर शुरू हुआ ऑपरेशन दुजाना

एक अगस्त को तैयारी पूरी थी. दुजाना पुलवामा के गांव हरकीपोरा मे पहुंच चुका था. रात को सुरक्षाबलों ने अपनी तैयारी शुरू कर दी थी. सुरक्षाबलों की टीम रात को गांव के बाहर पहूंची. सभी गाड़ियों को गांव से 600 मीटर दूर ही रोक दिया गया. सारा रास्ता पैदल तय कर स्पेशल टीम के कमांडो, सेना और सीआरपीएफ के जवान गांव के भीतर दाखिल हुए. गांव के बाहर दो घेरे बनाए गए जिसमें सबसे अंतिम में सीआरपीएफ और दूसरे घेरे मे सेना के जवान शामिल किए गए.

दो घंटे में घर के अंदर हुई एंट्री

रात लगभग 2.30 बजे के करीब स्पेशल टीम के लोग गांव के उस घर के पास पहुंच गए, जिसमें दुजाना, उसकी पत्नी, सूसर, तीन और लोग व एक दुजाना का साथी सोया था. घेराबंदी इस कदर की गई कि आस-पास के लोगों को भी जवानों के आने की भनक नहीं लगी. जब घर को पूरी तरह से घेर लिया गया तो तकरीबन 4.30 बजे कुछ जवान अंदर दाखिल हुए.

सुबह होने का इंतजार कर रहे थे लोग

सुरक्षाबल सूर्योदय का इतंजार कर रहे थे. इसके बाद धीरे-धीरे घर के सभी लोगों को बाहर निकला गया. फिर दुजाना को चेतवानी दी गई कि वह सरेंडर कर दे. सुबह 6.30 बजे तक वह नहीं माना. उस समय घर में सिर्फ दुजाना और उसका साथी आरिफ ही था. तभी एक आधिकारी ने दुजाना से लगभग 5-6 मिनट बातचीत की. लेकिन वह सरेंडर के लिए नहीं माना तो फायरिंग शुरू हुई. इसके बाद मकान को उड़ा दिया गया, जिसमें दोनो आतंकी मारे गए.

किसी को नहीं दिखाया गया दुजाना का शव

इसके बाद किसी भी नागरिक को दुजाना का शव नहीं देखने दिया गया. हालांकि आरिफ का शव उनके परिजनों को दे दिया गया. दुजाना के शव को सुरक्षाबलों की टीम अपने साथ ले गई. इस ऑपरेशन दुजाना की फोटोग्राफी भी की गई. दुजाना के शव के नमूने को डीएनए के लिए ले लिए गया है और कानूनी कारवाई भी कर ली गई है.