बीमा कंपनियां अब पॉलिसीधारकों से लेने वाले कमीशन को खुद तय करेंगी। बीमा नियामक भारतीय बीमा विनियामक विकास प्राधिकरण (इरडा) ने बीमा उत्पादों की बिक्री के लिए भुगतान किए जाने वाले कमीशन की व्यक्तिगत सीमा को खत्म कर दिया है।
कमीशन में इस बदलाव का उद्देश्य बीमा की पहुंच बढ़ाना है। हालांकि, साथ ही यह भी कहा है कि इसमें पॉलिसीधारकों के हितों से किसी भी तरह का समझौता नहीं होना चाहिए। यह नियम एक अप्रैल, 2023 से लागू किया जाएगा। इरडा के मुताबिक, बीमा कंपनी का बोर्ड एजेंटों और पॉलिसीधारकों के हितों का ध्यान रखकर कमीशन की नीति के लिए एक ढांचा तैयार करेगा। बोर्ड को यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रबंधन की जो खर्च सीमा (ईओएम) है, उसके दायरे में ही कमीशन रहे।
इरडाई ने इसे पेमेंट ऑफ कमीशन रेगुलेशंस, 2023 का नाम दिया है। इसमें कहा गया है कि सामान्य बीमा और स्वास्थ्य बीमा उत्पादों के तहत दिए जाने वाले कुल कमीशन की रकम ईओएम की तय सीमा से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। इसे समय-समय पर सुधारा भी जाएगा। इसकी हर तीन साल में समीक्षा की जाएगी। हालांकि, जरूरत पड़ने पर पहले भी इसकी समीक्षा हो सकती है। इरडा अभी तक कमीशन तय करता था और यह पॉलिसी के आधार पर दिया जाता था। नियामक ने कहा, इससे बाजार खोजपरख के लिए विनियमन की जवाबदेही बढ़ाने में मदद मिलेगी।
नियमों के अनुपालन को बनाएगा आसान
यह बीमाकर्ताओं को नए व्यापार मॉडल, उत्पादों, रणनीतियों, आंतरिक प्रक्रियाओं के विकास में मदद करेगा और नियामक उद्देश्यों को पूरा करते हुए नियमों के अनुपालन को आसान बनाएगा। यह बीमाकर्ताओं को उनकी विकास उद्देश्यों और हमेशा बदलती बीमा जरूरतों के आधार पर अपने खर्चों का प्रबंधन करने के लिए लचीलापन प्रदान करेगा।
लागत अनुशासन लाने में मिलेगी मदद
बढ़ेगा बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस के प्रबंध निदेशक तपन सिंघल ने कहा, संशोधित ईओम और कमीशन की सीमा उद्योग के मुताबिक है। अधिकांश बीमा कंपनियां खर्च के निर्धारित मानदंडों से ऊपर हैं। ये ईओएम सीमाएं लागत अनुशासन लाने में मदद करेंगी।