अहमदाबाद।गुजरात के गोधरा में 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे को जलाए जाने के एक दिन बाद मेघाणीनगर इलाके में अल्पसंख्यक समुदाय के परिवारों की रिहायश वाले गुलबर्ग सोसायटी में भीड द्वारा जिंदा जला कर मार दिये गये 69 लोगों की मौत के मामले में फैसला 17 जून को आएगा। मारे गए लोगों में कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी भी शामिल थे। चर्चित गुलबर्ग सोसायटी नरसंहार मामले में दोषी ठहराये गये 24 लोगों को यहां एक विशेष अदालत 17 जून को सजा सुनाएगी।


इस बीच, इस मामले के एक फरार दोषी कैलाश धोबी ने सोमवार को विशेष न्यायाधीश पी बी देसाई की अदालत में समर्पण कर दिया। कैलाश हत्या के लिए दोषी करार दिये गए 11 लोगों में शामिल है। वह पेरोल की अवधि पूरी होने के बाद भी अदालत में हाजिर नहीं हुआ था। अदालत के आदेश के अनुरूप दोषियों के जेल रिकार्ड भी आज अदालत के समक्ष रखे गए। विशेष अदालत ने गत 2 जून को इस प्रकरण फैसला सुनाते हुए विश्व हिन्दू परिषद के नेता अतुल वैद्य समेत 24 आरोपियों को दोषी करार दिया था तथा भाजपा के तत्कालीन और वर्तमान पार्षद विपिन पटेल, कांग्रेस नेता मेघजी चौधरी और पुलिस अधिकारी के जी एरडा समेत 36 अन्य को दोषमुक्त कर दिया था।


कुल 66 आरोपियों में से छह की मुकदमें की सुनवाई की अवधि में मौत हो गयी थी। अदालत ने हालांकि इस मामले को पूर्व नियोजित षडयंत्र मानने से इंकार करते हुए सभी आरोपियों के खिलाफ लगायी गयी संबंधित भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी को हटा लिया था। दोषियों में से 11 को हत्या, एक को हत्या के प्रयास और 12 को दंगा करने और अन्य सामान्य अपराधों का दोषी ठहराया गया है। दोषी करार दिये गये विहिप नेता अतुल वैद्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 143, 147, 148, 149, 153, 186, 188, 427, 435, 436 के तहत ही मामला दर्ज किया गया है। उन्हें हत्या अथवा अन्य गंभीर अपराधों का आरोपी नहीं बनाया गया है। अदालत ने सजा के बिंदु पर अलग से सुनवाई की बात कही थी। इस बारे में सुनवाई दस जून को पूरी हो गई थी।